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Farmer Protest: टिकरी बॉर्डर पर किसान ने खाया जहर, पत्र में लिखा- मूंछों की लड़ाई बन गया है आंदोलन

किसान को इलाज के लिए दिल्ली के अस्पताल में ले जाया गया है जहां हालत गंभीर बनी है। एंबुलेंस में जाने से पहले किसान ने कहा कि जिंदा की तो कोई सुन नहीं रहा है हो सकता है मुर्दों की सुन लें। किसान रोहतक के पाकस्मा गांव का निवासी है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 07:39 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 08:18 PM (IST)
Farmer Protest: टिकरी बॉर्डर पर किसान ने खाया जहर, पत्र में लिखा- मूंछों की लड़ाई बन गया है आंदोलन
जहर निगलने वाले किसान ने एक सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसमें अपनी पीड़ा लिखी है

बहादुरगढ़, जेएनएन। Farmers Protest: बहादुरगढ़ में टिकरी बॉर्डर पर रोहतक के किसान ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। 42 वर्षीय किसान जयभगवान ने एक नोट भी छोड़ा है। किसान को इलाज के लिए दिल्ली के अस्पताल में ले जाया गया है। उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। एंबुलेंस में जाने से पहले किसान ने कहा कि जिंदा की तो कोई सुन नहीं रहा है, हो सकता है मुर्दों की सुन लें। किसान रोहतक के पाकस्मा गांव का निवासी है। किसान ने अपने नोट में लिखा है कि यह आंदोलन न रहकर मूंछों की लड़ाई बन गया है।

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कृषि कानूनों के विरोध में जारी टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन के बीच रोहतक के पाकस्मा गांव का रहने वाला जयभगवान अचानक बेसुध हो गया और उसे उल्टी आने लगी, तब उसे संभाला गया तो पता चला कि उसने जहर निगल लिया है। एंबुलेंस बुलाई गई। इस बीच किसान ने कहा कि जिंदा रहते तो कोई सुन नहीं रहा है, हो सकता है कि कोई मुर्दा की ही सुन ले। किसान ने खुद बताया कि उसने जहर खा लिया है। इसके बाद उसे अस्पताल ले गए। इधर मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला। इसमें किसान ने लिखा है कि... मैं छोटा सा किसान हूं। हम सरकार द्वारा बनाए गए कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं।

सरकार बोलती है कि यह दो-चार राज्यों के किसान ही इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं और किसान बोलते हैं कि यह पूरे देश का आंदोलन है। अब यह आंदोलन न रहकर मूंछों की लड़ाई बन गया है। न किसान मानने को तैयार हैं और न सरकार मानने को तैयार है। किसान ने आगे लिखा है कि समाधान का तरीका में बताता हूं। सरकार और किसान दोनों विचार करें और इच्छाशक्ति दिखाएं। तरीका यह है कि... देश में जितने भी प्रदेश और केंद्र शासित क्षेत्र हैं, सभी से दो-दो किसान नेताओं को दिल्ली बुलाया जाए।

सरकार के साथ मीडिया के सामने सार्वजनिक रूप से किसानों से पूछा जाए कि वे कानूनों के पक्ष में हैं या खिलाफ। अगर कानूनों के पक्ष में ज्यादा राज्य हैं तो किसानों से प्रार्थना है कि वे आंदोलन को खत्म करें और यदि कानूनों के खिलाफ ज्यादा मिले तो सरकार को कानून वापस लेने चाहिए। अंत में किसान ने लिखा... भारत की पहचान-मजबूत जवान, मेहनती किसान और भोला इंसान।


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