मेरे घर आई नदी और रोशनी हैं हम कविता संग्रह का विमोचन
हिसार : हरियाणा के वयोवृद्ध साहित्यकार पूरन मुद्गल और उनकी बेटी शमीम
जागरण संवाददाता, हिसार : हरियाणा के वयोवृद्ध साहित्यकार पूरन मुद्गल और उनकी बेटी शमीम शर्मा के कविता संग्रहों का लोकार्पण और साहित्यिक गोष्ठी का बुधवार को गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में आयोजन हुआ। इस अवसर पर गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. टंकेश्वर कुमार मुख्यातिथि थे। उन्होंने मुद्गल द्वारा रचित 'मेरे घर आई नदी' और शमीम की रचित 'रोशनी हैं हम' कृतियों का विमोचन किया।
शमीम की यह 17वीं कृति है, जबकि मुद्गल का यह 20वां संग्रह है। शमीम शर्मा ने अपनी काव्य कृति शिक्षाविद् डा. नीलमप्रभा और चित्रकार व कार्टूनिस्ट मनोज छाबड़ा को समर्पित की। वहीं मुद्गल ने अपनी कृति उन नदियों को अर्पित की है, जिनके तटों पर दुनिया की सभ्यताओं ने जन्म लिया। धैर्य से पढ़ें कविता, ताकि उसके मर्म को जाना जा सकें : कुलपति
कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने दोनों कृतियों का लोकार्पण कर दोनों रचनाकारों को बधाई दी और आह्वान किया कि कविता को बहुत धैर्य से पढ़ा जाना चाहिए, ताकि उसके मर्म को जाना जा सके और उसकी प्रेरणा को ग्रहण किया जा सके। रूपम अहलावत ने पूरन मुद्गल के संग्रह 'मेरे घर आई नदी' की दो कविताओं का पाठ किया। हरियाणा के विख्यात साहित्यकार डा. रूप देवगुण ने समीक्षा की। ओजस्विनी ने 'रोशनी हैं हम' से शमीम शर्मा की महिला सशक्तिकरण संबंधी दो कविताओं का पाठ किया। डा. शील कौशिक ने उक्त कृति पर विवेचनात्मक वक्तव्य दिया। डा. नीलमप्रभा ने कहा कि जयपुर के बोधि प्रकाशन से प्रकाशित पिता और बेटी के दोनों संकलन हिन्दी साहित्य कोष को समृद्ध करते हैं। हिमांशी, नीपिका और वेदिका ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति दी। गजलकार महेंद्र जैन ने गजल के माध्यम से समां बांध दिया। मंच संचालन डा. गीतू धवन ने किया। दिल्ली से ऊर्जा नवीनीकरण मंत्रालय के पूर्व निदेशक डा. महेश शर्मा, शिक्षाविद, साहित्यकार और समाजसेवी मौजूद रहे।