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Rao Inderjit rally: पाटाेदा में राव इंद्रजीत सिंह बोले- नेता कैसे बनते हैं ये मैंने सीख लिया है, कही ये बात

Rao Inderjit rally शहीदी दिवस के मौके पर होने वाली सभा से सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से निकलने वाला संदेश सूबे की राजनीति पर अपना क्या असर दिखाएगा। इस बात को लेकर भी अभी से माहौल बनने लगा है। यह रैली लंबे समय तक अपना असर दिखाएगी।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 01:09 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 03:45 PM (IST)
Rao Inderjit rally: पाटाेदा में राव इंद्रजीत सिंह बोले- नेता कैसे बनते हैं ये मैंने सीख लिया है, कही ये बात
पाटाेदा की रैली में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राव इंद्रजीत सिंह, धनखड़ की अध्यक्षता में कई मंत्री-विधायकाें की शिरकत

जागरण संवाददाता, झज्जर : झज्‍जर के पटोदा में शहीदी दिवस पर आयोजित हुई राव इंद्रजीत की रैली के कई सियासी मायने देखे जा रहे हैं। राव इंद्रजीत विरोधियों पर जमकर बरसे। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने अपना संबोधन शुरू करते हुए सबसे पहले बीजेपी प्रदेशाध्‍यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ का धन्यवाद किया और कहा कि उनका आभार है कि वे समारोह का हिस्सा बने। मुझे इस बार भी यह भय था कि मैं नेताओं को बुलाऊं और कहीं वे ना आएं। क्योंकि, रेवाड़ी के इलाके में आयोजित कार्यक्रम में मनोहर परिकर नही आये थे। अब सभी सांसद हमारे बीच आए हैं, हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आए हैं, इनका धन्यवाद करता हूं।

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उन्‍होंने कहा अगर मैं शहीदों की तरफ से इनका धन्यवाद नहीं करूंगा तो हरियाणा में कौन करेगा। 1947 की बात करते हुए कहा, अगर चंद घण्टे और बीत जाते तो कश्मीर हमारे पास नहीं रहता। नरेंद्र भाई मोदी ने कश्मीर से दो झंडे के विधान को खत्म किया है। आज के माहौल में शास्त्री जी का भी जिक्र होना चाहिए।

उन्होंने नारा दिया था कि हमारी सुरक्षा करने वाला कौन है, कौन पेट भरता है। आज किसान का बेटा सीमा पर नहीं खड़ा होता तो चीन और पाकिस्तान हमारे साथ कैसा व्‍यवहार करते ये आप सोच सकते हैं। आज इनका एक नया साथी तालिबान भी आ गया है। सेना के साथ हम राजनीतिक लोगों का भी फर्ज है।

1971 के बाद भी हमारे विरोधी आज भी शांत नही हैं। हमें सोचना होगा क्या हमारे पुराने नेताओं ने वाजिब फैसले लिए। बिना किसी नेता का नाम लिए कहा कि जब हमने सभी को माफ किया था। कारगिल के युद्ध में भी हमारे हाथ काफी हद तक बांध दिए गए थे। पाकिस्तान की हद तक में जाने की छूट नहीं थी। फिर भी हमने जीत हासिल की। हमारी राजशाही तो अंग्रेज़ो ने छीन ली थी, लेकिन, मुझे या मेरे परिवार को अगर कोई सम्मान देता है तो उसका स्नेह है।

अगर मैं गलत होता तो क्या बार बार लोग मुझे चुनते। अगर हमें बार बार चुना तो उसका एक ही कारण है, हम जनता की आवाज उठाते हैं। नेता कैसे बनते हैं, यह भी मैंने सीख लिया। या तो पार्टी आपको पैराशूट से भेज दे, या जनता स्पोर्ट करे। पूरी प्रक्रिया में क्या दिक्कत होती है, मुझे पता है।

राव ने कहा कि मुझे फक्र है, मैं नीचे से आया हूं। मैं ऊपर से इसलिए नहीं आ सकता, क्योंकि पब्लिक मेरे साथ है। मैं आज तक सिर्फ वोट लेने वाला नेता नहीं बन पाया हूं। भजनलाल की सरकार में मैं मंत्री था, लोगों से कहता था। जिस दिन आपके पास ताकत आये, जनता की बात सुनो और काम करो और उनके मन पर छा जाओ।

10 सीट दूसरी बार भाजपा को मिली। हम इसका धन्यवाद भी नहीं कर पाए। हरियाणा के चुनाव में हम 90 में से 75 की उम्मीद कर रहे थे। जहां हम 100 फीसद थे वहां 50 फीसद भी नहीं रहे। धनखड़ जी बड़े सहनशील हैं। मैं पार्टी को कहना चाहता हूं, मैं जिस थाली में खाता हूं उसमें कभी छेद नहीं करता।

मैं भाजपा का सांसद हूं, नरेंद्र भाई का वजीर हूं। धनखड़ जी तो हमारे साथी हैं, यहां कुछ संघ वाले भी बैठे होंगे बीच में। मुझे पार्टी से कुछ नहीं चहिए, बहुत कुछ मिल रहा है। लेकिन, चहिए तो मेरी और मेरे साथियों की इज्जत चाहिए।

हम 47 पर ही क्यों सीमित रह गए, जिस एरिया में कांग्रेस की तूती बोलती थी, यहां भी कांग्रेसियों को पहली बार आप सभी ने मिल जुल कर हराया। पता नहीं कंहा से नारा ले आये 75 पर। हमें भी लग रहा था कि 80 तक पहुंच गए। अहीरवाल में भी कुछ सीट जयचंद की वजह से हार गए। मैं पूछता हूं, क्या हम अहीरवाल की ही लड़ाई लड़ेंगे या पानीपत की भी लड़ाई लड़ेंगे। क्या हमने जितना योगदान दिया, क्या हमें उतना इनाम नहीं मिला। इसका जवाब नही चाइये मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूं।

साथियो को कहना चाहता हूं, मैंने अपना ईमान नहीं खोया है। कालेज की जमीन का विवाद छिड़ गया, कोई बताए कि क्‍या इंद्रजीत 30 साल बाद जमीन बेचकर खायेगा। क्या मैं 30 साल जीऊंगा। मुझसे अपनी जमीन नहीं संभलती। मैं अपनी जमीन बेच दूंगा, बहुत है मेरे पास। इसमें रत्ती भर भी भ्रष्‍टाचार नहीं हुआ है। दुश्‍मनों को कहना चाहता हूं, इंद्र जीत सिंह रिटायर होने वाला है, इसको रगड़ दो। पर अब मैंने मन बना लिया है, की अब रिटायर नहीं होऊंगा। सेहत से दुरुस्त हूं, ना कोई मेंटल प्रॉब्लम है, ना मिर्गी आती है और ना ही कमजोर हूं। मैं मरीजों के खिलाफ, अपाहिजों के खिलाफ नहीं लड़ता।

राव इंद्रजीत ने कहा कि जो किन्हीं कारणों से बाहर हैं, वे भी पार्टी के अंदर आ जाएं। वहीं सम्बोधन शुरू होने के साथ ही युवाओं ने हरियाणा के भावी मुख्यमंत्री की जय के नारे लगाए।

संबोधन की शुरुआत करते हुए सांसद धर्मबीर सिंह ने अपनी बात रखी तो फिर राव इंद्रजीत की बेटी आरती ने कहा कि यह वीरों की धरती है। कितने ही वीरों ने इस धरती को अपने खून से सींचा है। आरती राव ने कहा कि हर युद्ध में यंहा के सैनिकों ने अपना योगदान दिया है। रूस सरकार आज भी राव तुलाराम को भारत का पहला राजदूत मानती है।

आरती राव ने कहा कि आज आपका स्नेह देखकर विरोधी दल परेशान है। राव साहब इंद्रजीत सिंह की पीठ लोगों की मजबूती की वजह से फौलाद से बनी है। भगवान के घर मे देर है अंधेर नहीं है। आज भी भीड़ देखकर विरोधी कांप गए होंगे। आरती ने बिना नाम लिए कहा, विरोधियों अपने दिल को काबू में रखो, अभी तो बहुत कुछ देखना बाकी है। अगर आपका आशीर्वाद रहा तो मैं चुनाव जरूर लड़ूंगी। यह समय बताएगा, कब कैसे और क्या होगा।

बीजेपी प्रदेशाध्‍यक्ष ओपी धनखड़ ने कहा कि गीता में भगवान ने कहा है कि युद्ध मे शहीद होने वाला सीधा मोक्ष प्राप्त करता है। तिरंगा हवा से नहीं फहरता, बलिदानियों के सांसो के त्‍याग से फहरता है। बलिदान की कथाए मामूली नहीं है। आज का महोत्सव 75 साल का एक शानदार महोत्सव अहीरवाल ने रखा है। हम अपनी कौम को आज़ादी का इतिहास नहीं भूलने देंगे।

करीब अढ़ाई साल पहले राव इंद्रजीत सिंह गांव पाटोदा में राव तुला राम की मूर्ति का लोकार्पण करने के लिए आए थे। मंच पर केंद्रीय मंत्री के तेवर और लहजा ऐसा था कि लंबे समय तक लोगों के बीच में वह चर्चा का विषय बना रहा। एक दफा फिर से मंच और स्थान पुराना ही है और वे मुख्‍य अतिथि भी रहे। लेकिन मंच पर मौजूद रहने वाले नेताओं की संख्या में पहले से अब की दफा इजाफा हुआ।

झज्जर रैली में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत अपने समर्थक नेताओं के साथ व कार्यक्रम में आई महिलाएं।

कार्यक्रम के लिए दूसरी दफा जारी हुए पोस्टर में प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़, राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव सहित चार सांसद, दो सूबे के मंत्री और चार विधायकों का भी नाम रहा और वो पहुंचे । जो कि स्पष्ट तौर पर अहसास करवाता है कि होने वाला यह समारोह एक तरह से शक्ति प्रदर्शन का मंच भी बना है।

दरअसल, शहीदी दिवस के मौके पर होने वाली सभा से सामाजिक एवं राजनैतिक रूप से निकलने वाला संदेश सूबे की राजनीति पर अपना क्या असर दिखाएगा। इस बात को लेकर भी अभी से माहौल बनने लगा है। चर्चा है कि राजनैतिक स्तर पर जाटलैंड में केंद्रीय मंत्री की होने वाली जनसभा एक दफा फिर लंबे समय तक अपना असर दिखाएगी। भले ही, झज्जर जिला ओल्ड रोहतक का पार्ट है, लेकिन यहां अहीर वोटरों की संख्या कम नहीं है। कोसली, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ से सटा होने की वजह से इलाके में इस वर्ग से जुड़े लोगों की हाजिरी बड़ी संख्या में है। कोसली विधानसभा क्षेत्र भी रोहतक संसदीय क्षेत्र में आता है। बहरहाल, सभी की नजर कार्यक्रम पर आन टिकीं हैं, देखा जा रहा है कि इस रोज पाटोदा से क्या संदेश निकल कर सामने आता है।


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