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टोक्‍यो ओलंपिक में पदक जीतने के लिए बहादुरगढ़ का राहुल बैंगलुरू में टीम इंडिया के साथ बहा रहा पसीना

इलेक्ट्रिशियन पिता के होनहार बेटे राहुल ने 20 किलोमीटर पैदल चाल में एक घंटे 20 मिनट और 26 सेकंड का समय लेते हुए ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप का टिकट हासिल किया था। राहुल के स्वजनों के साथ-साथ देश और प्रदेश को भी उनसे ओलंपिक में बहुत उम्मीदें हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 14 Jul 2021 04:40 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jul 2021 04:40 PM (IST)
टोक्‍यो ओलंपिक में पदक जीतने के लिए बहादुरगढ़ का राहुल बैंगलुरू में टीम इंडिया के साथ बहा रहा पसीना
20 किलोमीटर पैदल चाल प्रतिस्पर्धा में बहादुरगढ़ निवासी राहुल रोहिल्ला टोक्यो ओलंपिक में करेंगे देश का प्रतिनिधित्व

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: 20 किलोमीटर पैदल चाल प्रतियोगिता में टोक्यो ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले बहादुरगढ़ निवासी राहुल रोहिल्ला इन दिनों बैंगलुरू में आयोजित कैंप में कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। राहुल यहां पर हर रोज ढाई घंटे पैदल चाल का अभ्यास करते हुए खूब पसीना बहा रहे हैं। राहुल ओलंपिक में पदक जीतने का जज्बा लिए हुए हैं और खूब मेहनत कर रहे हैं। इलैक्ट्रिशियन पिता के होनहार बेटे राहुल ने 20 किलोमीटर पैदल चाल में एक घंटे 20 मिनट और 26 सेकंड का समय लेते हुए ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप का टिकट हासिल किया था। राहुल के स्वजनों के साथ-साथ देश और प्रदेश को भी उनसे ओलंपिक में बहुत उम्मीदें हैं। राहुल पांच अगस्त को भारतीय समयानुसार साढ़े 12 बजे टोक्यो ओलंपिक में होने वाली पैदल चाल प्रतियोगिता में भाग लेगा।

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आठ साल की कड़ी और थका देने वाली मेहनत के बाद आखिरकार वो सुकून का पल आ ही गया जिसे राहुल ने सपनों में देखा था। राहुल ओलंपिक में भाग लेने जा रहा है। राहुल ने गत फरवरी माह में झारखंड के रांची में हुई चौथी अंतरराष्ट्रीय रेस वाकिंग प्रतियोगिता की 20 किलोमीटर पैदल चाल प्रतिस्पर्धा में एक घंटे 20 मिनट और 26 सेकंड में पूरी की थी। राहुल ने रजत पदक के साथ ओलंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप का टिकट हासिल किया था। अब ओलंपिक पदक पर राहुल की निगाहें हैं और उनके घर में भी खुशियों का माहौल है।

राहुल ने भीम अवार्डी चरण सिंह राठी के पास साल 2013 में पैदल चाल शुरू की थी। गरीब घर के होनहार बेटे के सामने एक वक्त वो भी आया जब उसने गेम को छोड़ दिया था। पिता रोहतास रोहिल्ला इलैक्ट्रिशियन हैं और माता रामरती ग्रहिणी। घर में ही छोटी सी दुकान है। तीन भाई-बहनों के साथ परिवार का पालन पोषण का जिम्मा इसी छोटी सी दुकान के जिम्मे है। गुजर बसर जब मुश्किल हुआ तो राहुल ने गेम खेलना छोड़ दिया था, लेकिन ओलंपिक पदक जीतने के सपनों ने राहुल को सोने नही दिया और माता पिता की ओर से हौंसला बढ़ाने के साथ एक बार फिर शुरुआत की और आज वह ओलंपिक गेम्स में हिस्सा ले रहा है।

राहुल के पिता रोहतास ने बताया कि राहुल ने 2014 में जूनियर नेशनल रेस वाकिंग चैंपियनशिप में रजत पदक, 2015 में नार्थ जोन वाकिंग प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। 2018 में सीनियर नेशनल में स्वर्ण और 2020 में इंटरनेशल रेस वाकिंग में रजत और फिर 2021 में रजत पदक हासिल कर ओलंपिक का सफर तय किया है। राेहतास व रामरती ने बताया कि 23 जुलाई से टोक्यो में ओलंपिक शुरू हो रहा है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि राहुल रिकार्ड टाइम के साथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल करेगा।


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