एचएययू के पुस्तकालय में रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी से रुकेगी पुस्तकों की चोरी
पुस्तकालय में इस तकनीकी के शुरू होने से छात्रों शिक्षकों और सभी कर्मचारियों को जहां एक ओर स्वयं पुस्तकें प्राप्त करने एवं वापस करने की सुविधा होगी।
जेएनएन, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के नेहरू पुस्तकालय में अब कोई बिना इश्यू करवाए पुस्तकें नहीं ले जा सकेगा। विवि के पुस्तकालय में शुक्रवार को रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी (आरएफआइडी) का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन कुलपति प्रो. केपी सिंह ने किया। प्रो. सिंह ने आरएफआइडी सिस्टम के पूरी तरह से लागू होने पर कहा कि पुस्तकालय में इस तकनीकी के शुरू होने से छात्रों, शिक्षकों और सभी कर्मचारियों को जहां एक ओर स्वयं पुस्तकें प्राप्त करने एवं वापस करने की सुविधा होगी। वहीं दूसरी तरफ पुस्तकों की चोरी होने की आशंका समाप्त होगी। इस दौरान कुलपति ने स्वयं के खाते में आरएफआइडी इन्फोरमेशन कियोस्क से एक पुस्तक इशू की। आरएफआइडी बुक ड्रॉप बॉक्स के माध्यम से उसी पुस्तक को वापस किया। उन्होंने इस सिस्टम के लागू करने पर पुस्तकालयाध्यक्ष को बधाई दी।
प्रो. सिंह ने पुस्तकालय द्वारा अध्यापक दिवस के अवसर पर लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। पुस्तक प्रदर्शनी में विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों द्वारा लिखित पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया। प्रो. केपी सिंह ने डा. बिमलेंद्र कुमारी द्वारा लिखित नवीन पुस्तक फोरेस्ट्री रिफ्रेशर का विमोचन भी किया। डा. बिमलेंद्र कुमारी वानिकी विभाग में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है।
पुस्तकों के लिए लाइन में लगने की नहीं होगी जरूरत
प्रो. बलवान सिंह ने बताया कि अब पुस्तकालय के सदस्य को पुस्तक प्राप्त करने और वापस करने के लिए लाइन में लगने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस टेक्नोलॉजी को पूरी तरह से लागू करने के लिए लगभग तीन लाख किताबों पर आरएफआइडी टैग लगवाए गए हैं व विश्वविद्यालय के सभी कर्मचारियों।
इस तरह से रोकेगी चोरी
यह आरएफआइडी तकनीकी रेडियों तंरगों पर आधारित है जो उन वस्तुओं को आसानी से पहचान लेती है। जिसमें रेडियों इलेक्ट्रानिक मैग्नेटिक चिप लगी है। इस तकनीक में आरएफआइडी टैग, टैग रीडर, ऐंटना लगा सुरक्षा गेट, इन्फोरमेशन कियोस्क, स्मार्ट आइडी कार्ड और सर्वर का उपयोग होता है। टैग को प्रत्येक पुस्तक में चिपकाया जाता है व इन्हें टैग रीडर के द्वारा एक्टीवेट व डीएक्टीवेट किया जाता है। जब पाठक अपने स्मार्ट कार्ड का उपयोग करके पुस्तक स्वयं प्राप्त करता है तो टैग डी-एक्टीवेट हो जाते है तथा सुरक्षा गेट इसे पहचान नहीं पाता। परंतु यदि कोई पाठक पुस्तक का बिना डिएक्टीवेट किए हुए सुरक्षा गेट के समीप से भी निकले तो गेट में लगे एंटेना उसे पहचान लेते है तथा गेट ध्वनि करने लगता है, जिसके कारण कोई भी पाठक पुस्तक को बिना इशू करवाए पुस्तकालय के बाहर नहीं ले जा पाता।
यह तकनीक पुस्तकों की चोरी को तो रोकती ही है इसके साथ पाठकों द्वारा पुस्तकालय में गलत जगह पर रखी पुस्तकें या छुपाई गई पुस्तकों को हैंड हेल्ड रीडर की सहायता से खोजने में मदद करती है। इस रीडर के माध्यम से लाखों पुस्तकों के संग्रह का भौतिक सत्यापन तीव्र गति से एवं सही ढ़ंग से किया जा सकता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, ओएसडी व सभी अधिष्ठाता, निदेशक व अधिकारी उपस्थित रहे।