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जाट आरक्षण आंदोलन : प्रो. वीरेंद्र के मामले में लगी डिस्चार्ज एप्लीकेशन, आरोपित बोले हमें रिहा करो

विवादित ऑडियो में भीड़ को उकसाने का है मामला। पूर्व सीएम हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार रहे हैं प्रो. वीरेंद्र। कोर्ट ने सरकारी वकील से मांगा चार दिसंबर तक जवाब पांच को सुनवाई

By Manoj KumarEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 02:16 PM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 02:16 PM (IST)
जाट आरक्षण आंदोलन : प्रो. वीरेंद्र के मामले में लगी डिस्चार्ज एप्लीकेशन, आरोपित बोले हमें रिहा करो
जाट आरक्षण आंदोलन : प्रो. वीरेंद्र के मामले में लगी डिस्चार्ज एप्लीकेशन, आरोपित बोले हमें रिहा करो

रोहतक [विनीत तोमर] आरक्षण आंदोलन के दौरान ङ्क्षहसा भड़काने के मामले में आरोपित प्रो. वीरेंद्र और जयदीप धनखड़ की तरफ से अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट में डिस्चार्ज एप्लीकेशन लगाई गई है। डिस्चार्ज एप्लीकेशन के लिए आरोपित पक्ष ने कई ङ्क्षबदुओं को आधार बनाया है। जिस पर कोर्ट ने डिस्चार्ज एप्लीकेशन को लेकर सरकारी वकील से चार दिसंबर तक जवाब देने के लिए कहा है। मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।

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यह है मामला

दरअसल, फरवरी 2016 में प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन हुआ था। जिसमें रोहतक समेत कई जिलों में ङ्क्षहसा हो गई थी। इसी बीच एक विवादित ऑडियो वायरल हुआ था। इसके आधार पर भिवानी के रिटायर्ड कैप्टन पवन ङ्क्षसह की तरफ से सिविल लाइन थाने में पूर्व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहाकार प्रो. वीरेंद्र, जयदीप धनखड़ और मानङ्क्षसह के खिलाफ ङ्क्षहसा भड़काने का मामला दर्ज कराया था। यह मामला तभी से कोर्ट में विचाराधीन है। शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रितू वाइके बहल की कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई, जिसमें प्रो. वीरेंद्र की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जेके गक्खड़ ने 89 पेज की डिस्चार्ज एप्लीकेशन और जयदीप धनखड़ की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता पीयूष गक्खड़ ने 130 पेज की डिस्चार्ज एप्लीकेशन लगाई है। आरोपित पक्ष ने कई ङ्क्षबदुओं को आधार बनाकर रिहा करने की मांग की है।

प्रो. वीरेंद्र पर लगे आरोपों पर यह दिया तर्क

आरोप नंबर 1 : विवादित ऑडियो क्लिप में प्रो. वीरेंद्र आंदोलन की भड़काने की बात कर रहे हैं

अधिवक्ता का तर्क : जिस समय यह फोन किया गया उस वक्त सांपला में धरना चल रहा था। कहीं भी कोई ङ्क्षहसा नहीं हुई थी। धरने पर एक इनेसो नेता लगातार विवादित बातें बोल रहे थे। कैप्टन मान ङ्क्षसह भी इनेलो से जुड़े हुए थे। इस नाते प्रो. वीरेंद्र ने कैप्टन मान ङ्क्षसह को फोन किया था कि हमारे यहां पर सब अच्छा चल रहा है। तुम यहां क्या कर रहे हो, सिरसा में तो चींटी भी नहीं रोकी गई। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि इस ऑडियो से कहीं भी यह साबित नहीं होता कि उन्होंने किसी को उकसाया है।

आरोप नंबर : 2

- प्रो. वीरेंद्र ने 12 फरवरी 2016 से लेकर 25 फरवरी 2016 तक करीब 41 ऐसे लोगों से फोन पर बात की। जिनकी टावर लोकेशन सांपला और एमडीयू गेट के आसपास थी।

अधिवक्ता का तर्क : रोहतक जिले में ङ्क्षहसा से संबंधित करीब 1202 मामले दर्ज हुए, लेकिन प्रो. वीरेंद्र ने जिन 41 लोगों से बातचीत की है, उनमें से एक भी व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज नहीं है। इसके अलावा ना ही उनमें कोई आरोपित है, ना कोई शिकायतकर्ता और ना ही गवाह। ऐसे में यह कैसे साबित होता है कि मैंने किसी को उकसाया है। दिन भर में हजारों की संख्या में लोग इन जगहों से गुजरते हैं, फिर किस आधार पर मुझ पर यह आरोप लगाया गया।

जयदीप धनखड़ पर लगे आरोपों पर यह दिया गया तर्क

आरोप नंबर 1 :

- जयदीप के मोबाइल से प्रो. वीरेंद्र से बात की है।

अधिवक्ता का तर्क : मैंने अपना मोबाइल प्रो. वीरेंद्र को बात करने के लिए दिया था। इससे यह साबित नहीं होता कि इतना बड़ा आंदोलन मेरी वजह से हो गया।

आरोप नंबर 2 :

- आंदोलन के दौरान करीब 80 ऐसे लोगों से फोन पर बातचीत हुई, जिनकी लोकेशन सांपला और एमडीयू गेट के आसपास थी।

अधिवक्ता का तर्क : जिन लोगों से बात करने का आधार दिया गया है उसमें से एक भी व्यक्ति ना आरोपित है, ना गवाह और ना ही शिकायतकर्ता। ऐसे में किस आधार पर यह चार्ज लगाया है।

---इस मामले में प्रो. वीरेंद्र की तरफ से मैं खुद पेश हुआ था, जबकि जयदीप धनखड़ की तरफ से पीयूष गक्खड़ पेश हुए थे। दोनों आरोपितों की तरफ से डिस्चार्ज एप्लीकेशन लगाई गई है, जिस पर कोर्ट ने सरकारी वकील से चार दिसंबर तक जवाब मांगा गया है। इसके बाद पांच दिसंबर को मामले में सुनवाई होगी।

- जेके गक्खड़, वरिष्ठ अधिवक्ता आरोपित पक्ष।


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