रजत पदक विजेता पूजा ढांडा ने स्वर्ण जीतने वाली पहलवान को प्रो रैसलिंग में चटाई थी धूल
कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली पूजा ढांडा ने जूडो खेल से शुरु किया था करियर
जेएनएन, हिसार : कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकीं हिसार की बेटी पूजा ढांडा ने कॉमनवेल्थ में 57 किलोग्राम भारवर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में हिसार की बेटी ने दूसरा मेडल हासिल किया है। ढांडा का फाइनल मुकाबला नाईजीरिया की पहलवान ओडोनायो के साथ हुआ। इसमें पूजा 7-5 से हार गई और सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। मगर प्रो रैसलिंग चैंपियनशिप में इसी नाइजीरियन पहलवान को पूजा ढांडा ने फाइनल मैच में हराया था। तब सोना जीतने वाली पूजा अब सिल्वर पदक ही जीत सकी। वहीं मेडल जीतने पर परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है। घर पर बधाईयों का तांता लगा हुआ है। पूजा ढांडा मूलरूप से गांव बुडाना की रहने वाली हैं। सिरसा रोड स्थित जीएलएफ कॉम्पलेक्स में रहने वाली पूजा ने अपने पहले मुकाबले में कनाडा की एमिली को 12-5 से शिकस्त दी तो ढांडा के मेडल लाने की उम्मीद जगने लगी। वहीं दूसरे मुकाबले में भी पूजा ने न्यूजीलैंड की खिलाड़ी पर 8-0 से एक तरफा जीत हासिल करते हुए सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया। पूजा के सेमीफाइनल में प्रवेश करने पर पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। पूजा का सेमीफाइनल मुकाबला केमरॉन की पहलवान के साथ हुआ। इसमें भी पूजा ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 9-5 से जीत हासिल कर फाइनल में जगह बनाई। फाइनल मुकाबला नाईजीरिया की पहलवान ओडोनायो के साथ हुआ। कॉमनवेल्थ में पहली बार में जीता मेडल
पूजा ढांडा ने पहली बार कॉमनवेल्थ में हिस्सा लिया था। इसमें उसने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल हासिल कर लिया है। इससे पहले वर्ष 2014 में पूजा के घुटने में चोट लगने के कारण वह कॉमनवेल्थ में भाग नहीं ले सकीं। पूजा का ऑपरेशन भी किया गया। पूजा ढांडा एक खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि महाबीर स्टेडियम में जूनियर कुश्ती कोच के पद पर भी कार्यरत है। पूजा अधिकतर कैंप में रहती है, लेकिन जब भी वह हिसार आती है तो महाबीर स्टेडियम में खिलाड़ियों को कुश्ती की तकनीक सिखाती है, साथ ही वह खुद भी कुश्ती का अभ्यास करती है। 2009 में जूडो से की थी खेलने की शुरुआत
पूजा ढांडा ने अपने खेल करियर की शुरुआत वर्ष 2009 में जूडों खिलाड़ी के रूप में की थी। लेकिन बाद में पूजा ने कुश्ती खेलना शुरू किया और अगले ही वर्ष कुश्ती में देश की पहली महिला यूथ ओलंपियन का खिताब अपने नाम किया। जिसके बाद पूजा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वर्ष 2014 तक अपने खेल में लगातार निखार लाते हुए विभिन्न इंटरनेशनल कैडेट और जूनियर स्तरीय प्रतियोगिताओं में जीत का परचम लहराया। पूजा के मेडल जीतने पर पूर्व जिला खेल अधिकारी सुभाष चंद्र सोनी, खेल निदेशक जगदीप ¨सह ने शुभकामनाएं दी। मां बोली, गोल्ड आता तो और भी अच्छा लगता
पूजा ढांडा की माता कमलेश ने बताया कि बेटी ने सिल्वर मेडल जीता है, काफी अच्छा लग रहा है। यदि गोल्ड आता तो और भी अच्छा लगता। वहीं पिता अजमेर का कहना है कि बेटी ने सिल्वर मेडल हासिल कर अपना ही नहीं, बल्कि गांव का नाम भी रोशन किया है। पूजा ढांडा की उपलब्धियां
- 2010 में ¨सगापुर में आयोजित यूथ ओलंपिक में सिल्वर मेडल
- 2011 में थाईलैंड में आयोजित कैडट एशिया रेस¨लग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
- 2011 में हंगरी में आयोजित वर्ल्ड कैडट रेस¨लग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल
- 2012 में ताश्कंद में आयोजित जूनियर एशिया रेस¨लग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल
- 2013 में साउथ अफ्रीका में आयोजित कॉमनवेल्थ रेस¨लग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
- 2014 में सीनियर एशिया रेस¨लग चैंपियनशिप में कांस्य पदक
- 2017 में तुर्कमेनिस्तान में आयोजित एशियन इंडोर एंड मैटेरियलार्टस गेम्स में कांस्य पदक
- 2017 में साउथ अफ्रीका में आयोजित कॉमनवेल्थ रेस¨लग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल