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दीपावली से पहले ही हिसार व पानीपत में खतरे के निशान पर Pollution, सिरसा व जींद भी पहुंचे नजदीक

दीपावली से दो दिन पहले प्रदूषण का स्तर हरियाणा में चरम पर पहुंच गया है। हिसार और पानीपत में तो पीएम 2.5 खतरे के निशान से भी अधिक है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 25 Oct 2019 07:48 PM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 08:24 AM (IST)
दीपावली से पहले ही हिसार व पानीपत में खतरे के निशान पर Pollution, सिरसा व जींद भी पहुंचे नजदीक
दीपावली से पहले ही हिसार व पानीपत में खतरे के निशान पर Pollution, सिरसा व जींद भी पहुंचे नजदीक

हिसार [वैभव शर्मा]। दीपावली से दो दिन पहले प्रदूषण का स्तर हरियाणा में चरम पर पहुंच गया है। हिसार और पानीपत में तो पीएम 2.5 खतरे के निशान से भी अधिक है। हिसार में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) जहां सबसे अधिक 332 तो पानीपत में 308 पर स्थिति काफी भयावह है। इसके बाद सिरसा और जींद में भी खतरे के निशान के पास ही प्रदूषण है।

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मौजूदा समय में वातावरण में एक प्रकार का दबाव बन चुका है, जहां महज एक किलोमीटर की रफ्तार से ही हवाएं चल रही हैं जो धूल व हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों को कहीं सर्कुलेट ही नहीं होने दे रहीं। ऐसे में निर्माण कार्य से उठने वाली धूल हो या पराली से निकलने वाला धुआं सभी मिलकर वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं। पिछले तीन दिनों से हवा में इसी प्रकार से प्रदूषण घुल रहा है। इसके साथ ही सबसे बड़ा खतरा तो दीपावली पर रहेगा तब प्रदेशभर में बहुतायत में पटाखे चलाए जाएंगे।

स्वास्थ्य पर यह प्रभाव

  • सांस फूलना, अस्थमा, एलर्जी
  • हाइपर टेंशन, सिरदर्द, माइग्रेन
  • रक्तचार प्रभावित होने से हार्टअटैक

प्रदेश के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहर

शहर           एयर क्वालिटी इंडेक्स

हिसार          332

पानीपत       308

सिरसा         304

जींद            298

रोहतक        293

गुरुग्राम       274

कैथल         271

सोनीपत      271

नारनौंद       249

कुरुक्षेत्र        246

बहादुरगढ़    238

फतेहाबाद    178

(आंकड़े एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार)

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अपील

दीपावली के दो दिनों में प्रदूषण का स्तर का इस खतरे के निशान से भी भयानक होगा। पटाखों को चलाने के बाद पीएम 2.5 व पीएम 10, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन डाई आक्साइड के साथ कार्बन मोनोआक्साइड का स्तर काफी बढ़ जाएगा, यह तीनों मिलकर दीपावली पर हमेशा अधिक प्रदूषण करते हैं। इन जहरीली हवाओं से बुजुर्गों, बच्चों और बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को सबसे अधिक नुकसान होता है। ऐसे में जहर को अपनी सांसों से दूर करने में खुद आगे आएं।

पीएम 2.5

वातावरण में शामिल 2.5 एमजीसीएम यानि माइक्रोग्राम, घनमीटर से छोटे धूल के कण।

शुक्रवार का औसत 332 रहा, जोकि खतरे के निशान से भी आगे है।

पीएम 2.5 सिर्फ 30 एमजीसीएम तक स्वीकार्य होता है

कारण- पराली, निर्माण कार्य व धूल के कणों का हवा से मिलना

पीएम 10

  • वातावरण में मौजूद 10 एमजीसीएम से छोटे धूल के कण
  • शुक्रवार का औसत 207 एमजीसीएम।
  • 50 एमजीसीएम तक ही होना चाहिए

कारण- घटती हरियाली, टायरों, प्लास्टिक आदि का प्रदूषण

एनओ 2

  • यह नाइट्रोजन डाई आक्साइड है, जो धुएं का हिस्सा है
  • शुक्रवार को औसत 48 रहा
  • स्वीकार्य मात्र 0 से 40 माइक्रोग्राम, घनमीटर

कारण- यह सर्दी, जुकाम, एलर्जी जैसी बीमारियों का बड़ा कारण है। वाहनों व मशीनों से यह प्रदूषण निकलता है।

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