लंपी संक्रमण के भय के साथ अब तूड़ी संकट, गोवंश को बेसहारा छोड़ने लगे लोग
फतेहाबाद में लगातार लंपी स्किन डिजीज से संक्रमित पशुओं की तादाद बढ़ रही है। लेकिन राहत की बात यह है कि मृत्यु दर अभी कम है। संक्रमित पशु वहीं मर रहा है। जिसका समय पर इलाज शुरू नहीं हो रहा। जिसका इलाज शुरू हो रहा है।
फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। लंपी स्किन डिजीज का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इससे संक्रमण से बेशक मृत्यु दर कम है, लेकिन लोग गोवंश को इसके भय से बेसहारा छोड़ रहे है। बीमारी के साथ जलजमाव से उत्पन्न चारे का संकट भी एक बड़ी वजह है। इससे अब गोवंश को लोग छोड़ने लगे है। गोशाला संचालकों ने पहले ही लंपी संक्रमण की वजह से गोशाला में पशु रखना बंद कर दिया है।
ऐसे में पशु पालक पशुओं के टैग निकालकर उन्हें शहर के आसपास छोड़ रहे है। इससे लोगाें को परेशानी आ ही रही है। शहर के पास होने से दुर्घटना होने की संभावना अधिक बढ़ गई है। शाम को शहर से गुजरते हाइवे पर बड़ी संख्या में बेसहारा पशु आ जाते है। ये पशु पिछले पांच से सात दिनों में ही ज्यादा आने लगे है। रतिया रोड व हिसार रोड के साथ सिरसा रोड पर भी बड़ी संख्या में पशु हाइवे पर आकर बैठ जाते है। इससे दुर्घटनाएं भी होने लगी।
अब तो मुसीबत बढ़ गई की, खुले छोड़े गए बेसहारा गोवंश में लंपी स्किन डिजीज के मामले आने लगे। वीरवार को सुबह लघु सचिवालय के पास एक गाय लंपी डिजीज की वजह से तड़प रही थी। जिसे बाद में गोभक्तों ने सुरक्षित स्थान पर छोड़ा। इसी तरह सद्भावना अस्पताल के पास एक संदिग्ध अवस्था में गाय की मौत भी हो गई। वहीं गोभक्तों की अपील है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए, ताकि इस तरह से गोवंश व अन्य दुधारू पशु न मरे।
संक्रमित पशु की संख्या बढ़ रही, मृत्यु का खतरा कम
जिले में लगातार लंपी स्किन डिजीज से संक्रमित पशुओं की तादाद बढ़ रही है। लेकिन राहत की बात यह है कि मृत्यु दर अभी कम है। संक्रमित पशु वहीं मर रहा है। जिसका समय पर इलाज शुरू नहीं हो रहा। जिसका इलाज शुरू हो रहा है। वे पशु बच रहा है। जिले में वीरवार को 130 पशु संक्रमित हो गए। वहीं 58 पशु इस बीमारी से ठीक भी हुए। इस दौरान दो पशुओं की मौत भी हुई। पशुपालन विभाग का कहना है कि मृत्यु दर अब दो से ती प्रतिशत तक है। ऐसे में पशुपालक घबराए नहीं। बीमार होने के बाद पशु का तुरंत नजदीकी पशुपालन विभाग के चिकित्सक से इलाज शुरू कर दे। ताकी पशु की इस बीमारी से मृत्यु होने का खतरा न रहे।
धान के अवशेष जलाने की बजाए पराली बनाए किसान, इसी तरह की है योजना
गोवंश को खुल में छोड़े जा रहे है। उनकी वजह बीमारी के साथ चारे का भी संकट है। तूड़ी अब 1 हजार रुपये क्विंटल तक पहुंची हुई है। ऐसे में आगामी सितंबर में धान की कटाई का कार्य शुरू हो जाएगा। किसान धान की फसल के अवशेष जलाने की बजाए उसकी पराली बनाए, बनाए ताकि पशुपालकों को किसी प्रकार की परेशानी न आए। सरकार को इसी दिशा में काम करना होगा। किसानों को प्रोत्साहन देने के साथ ऐसी सख्त नीति भी बनानी पड़ेगी। जिससे अवशेष जलाने के मामले कम आए। किसान भी पराली की आस में कम से कम एक बार महामारी के दौर में गोवंश को बेसहारा न छोड़े।
जिले में लगातार गोवंश को बचाने के लिए पशुपालन विभाग कार्य कर रहा है। लंपी स्किन डिजीज संक्रमण से मृत्यु दर कम है। पशुपालकों से मेरा आग्रह है कि लंपी से पशु संक्रमित होने के बाद सरकारी पशु अस्पताल से इलाज शुरू करवा दे। इलाज शुरू होने के बाद पशु शत फीसद बचेगा। अब वे ही पशु मर रहे है। जिनका समय पर इलाज शुरू नहीं हुआ।
- सुखविंद्र सिंह, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग।