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इस बीमारी के कारण लोग लगने लगते हैं भूत, झाड़-फूंक से नहीं, दवा से होंगे ठीक

10 अक्टूबर को इस बार वर्ल्‍ड मेंटल हेल्थ डे की इस बार की थीम आत्महत्या रोकना। दूनिया में हर 40वें सेकंड में एक इंसान करता है सुसाइड। मनोवैज्ञानिक ने बताया कैसे समझें स्थिति

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 03:36 PM (IST)Updated: Thu, 10 Oct 2019 08:50 PM (IST)
इस बीमारी के कारण लोग लगने लगते हैं भूत, झाड़-फूंक से नहीं, दवा से होंगे ठीक
इस बीमारी के कारण लोग लगने लगते हैं भूत, झाड़-फूंक से नहीं, दवा से होंगे ठीक

हिसार [सुभाष चंद्र] सिजोफ्रेनिया नाम की एक मानसिक बीमारी है। जिससे ग्रस्त व्यक्ति को उसके आसपास मौजूद व्यक्ति भी भूत-प्रेत लगने लगते हैं। इस बीमारी के साथ अन्य कई मानसिक बीमारिया है जिसके ग्रस्त व्यक्ति आत्महत्या तक कर लेते है। 10 अक्टूबर को मनाए जा रहे वर्ल्‍ड मेंटल हेल्थ डे का इस बार का विषय भी लोगों को आत्महत्या से रोकना है। जानें क्‍या है यह बीमारी, क्‍या है इलाज.....

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दुनिया में हर 40वें सेकंड में एक इंसान सुसाइड कर रहा है। दुनिया में आठ लाख लोग हर वर्ष सुसाइड करते हैं। एक व्यक्ति के सुसाइड करने से उससे जुड़े 132 लोग प्रभावित होते हैं। वहीं उसके आसपास के 20 लोग ऐसे भी होते हैं जो सुसाइड की कोशिश कर चुके होते हैं। इसका मुख्य कारण मानसिक बीमारियां होती हैं। सबसे अधिक सुसाइड केस डिप्रेशन के कारण होते हैं।

सिजोफ्रेनिया में लगता है आसपास के लोग भूत हैं उसे मार देंगे

सिजोफ्रेनिया में व्यक्ति अपने ख्यालों में खोया रहता है और उसे बहुत अधिक डर लगता है। अंधेरे में और ज्यादा डरता है। इस बीमारी में व्यक्ति को लगता है कि उसके आसपास मौजूद लोग भूत है और वह उसे मार देंगे। इसलिए इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति हर समय डरा हुआ रहता है। व्यक्ति ना नहाता है ना कपड़े बदलता है, ना ही नाखून, बाल और दाड़ी कटवाता है। क्योंकि वह हर दम तनाव में रहता है। यह मानसिक रोग धीरे-धीरे अपनी जड़ बनाता है। जो व्यक्ति हीन भावना और तनाव से ग्रस्त है वो लोग सिजोफ्रेनिया की गिरफ्त में आ जाते है। ऐसे मरीज बेवजह झगड़ा भी करते हैं।

पहले झाड़-फूंक पर करते थे विश्वास

पहले किसी व्यक्ति में सिजोफ्रेनिया के लक्षण होते थे तो लोग तांत्रिक के पास पहुंच जाते थे। लेकिन जैसे-जैसे लोगों की इस बारे में अज्ञानता दूर हुई है। वैसे-वैसे लोग मानसिक बीमारियों के लिए भी डॉक्टर के पास आने लगे है। मानसिक बीमारियों से ग्रस्त करीब 80 मरीज प्रतिदिन सिविल अस्पताल आते हैं। वहीं जीजेयू में भी काउंसङ्क्षलग के लिए लोग प्रदेश के विभिन्न जिलों से आते हैं।

बेडिय़ों में बांध कर लाए थे अस्पताल, अब जी रहे स्वस्थ जिंदगी

शहर के 12 क्वाटर निवासी 25 वर्षीय मानसिक रोगी व जिसने एमसीए तक पढ़ाई की थी। लेकिन उसके मन में हीनभावना आ गई, जो धीरे-धीरे तनाव में बदल गई। इससे उसकी मानसिक स्थिति धीरे-धीरे इतनी बिगड़ी की वह अपने घरवालों के साथ ही झगड़ा करने लगा, अजीब-अजीब बातें बोलना उसकी रोजाना की आदत हो गई। एक-दो बार सुसाइड करने की भी कोशिश की। परिजनों ने तांत्रिक से झाड़-फूंक भी करवाई। लेकिन इस युवक की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ा। परिजनों ने युवक का इलाज शहर के सिविल अस्पताल करवाया तो धीरे-धीरे मानसिक स्थिति सुधरी और अब वह सामान्य रूप से जिंदगी जी रहा है।

पत्नी ने दिया तलाक तो हो गया मानसिक रोगी

शहर के नजदीक लगते गांव में 33 वर्षीय एक युवक का करीब दो साल पहले तलाक हो गया था। जिसके कारण वह तनाव की स्थिति में चला गया। परिजनों ने झाड़-फूंक करवाई। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, जिसके बाद सिविल अस्पताल में इस युवक का इलाज करवाया गया। इलाज के बाद इस व्यक्ति की हालत में सुधार है।

तनाव के कारण नहीं कर पाते कोई काम

तनाव से ग्रस्त व्यक्ति उदास रहते है, कोई काम नहीं कर पाते, ना किसी से बात करते है। वर्ड मेंटल हेल्थ डे पर 15 दिन का एक पखवाड़ा मनाया जाएगा। जिसमें सुसाइड को रोकने के लिए जागरूकता कैंपेन चलाएंगे। व्यक्ति जितना जल्दी मानसिक बीमारी के लिए इलाज लेना शुरू करता है उतना जल्दी उसके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।

डॉ. विनोद डूडी, मनोचिकित्सक, सिविल अस्पताल

आत्महत्या व तनाव के मरीज अधिक पहुंचते है

प्रदेश के विभिन्न जिलों से काउंसलिंग के लिए मानसिक रोगी यहां आते है। उनकी समय-समय पर काउंसलिंग की जाती है। इनमें आत्महत्या करने के विचार व तनाव से ग्रस्त लोग अधिक आते है। ऐसे लोगों की समय-समय पर काउंसलिंग की जाती है। जिससे वो तनाव की स्थिति से उबर कर एक सुखी जीवन जी पाते है।

प्रो. संदीप राणा, मनोविज्ञान विभाग, जीजेयू।


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