काबरेल में टायर की फैक्ट्री के धुएं से लोग परेशान
ऐसा ही एक मामला आदमपुर के गांव काबरेल में सामने आया है। दरअसल बालसमंद रोड़ पर पुराने टायरों को जलाने वाली फैक्ट्री से होने वाले प्रदूषण से ग्रामीण बीमार हो रहे हैं। अधिकतर लोग फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं। कई बार शिकायतें की गई मगर प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से फैक्ट्री पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब परेशान ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से गुहार लगाई है कि फैक्ट्री को गांव से बाहर किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि इस फैक्ट्री में पुराने टायर जलाकर उनका तेल निकाला जाता है। इससे उठने वाले धुएं और दुर्गध ने जीना मुहाल कर दिया है। तेल निकलने के बाद टायरों के अवशेष व कचरे को सड़क किनारे फेंक दिया जाता है।
जागरण संवाददाता, हिसार : लॉकडाउन में प्रदूषण काफी कम हो गया था। इसका प्रमुख कारण फैक्ट्रियों का बंद होना था, लेकिन अनलॉक शुरू होते ही प्रदूषण फिर पहले की स्थिति में पहुंच गया है। फैक्ट्रियों और वाहनों से निकलने वाला धुआं वातावरण को सबसे ज्यादा प्रदूषित करता है। इसके बावजूद प्रशासन के स्तर से इन पर अंकुश लगाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा।
ऐसा ही एक मामला आदमपुर के गांव काबरेल में सामने आया है। दरअसल बालसमंद रोड़ पर पुराने टायरों को जलाने वाली फैक्ट्री से होने वाले प्रदूषण से ग्रामीण बीमार हो रहे हैं। अधिकतर लोग फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे हैं। कई बार शिकायतें की गई, मगर प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से फैक्ट्री पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब परेशान ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से गुहार लगाई है कि फैक्ट्री को गांव से बाहर किया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि इस फैक्ट्री में पुराने टायर जलाकर उनका तेल निकाला जाता है। इससे उठने वाले धुएं और दुर्गध ने जीना मुहाल कर दिया है। तेल निकलने के बाद टायरों के अवशेष व कचरे को सड़क किनारे फेंक दिया जाता है।
खेतीबाड़ी पर भी मंडरा रहा है संकट
ग्रामीणों को कहना है कि फैक्ट्री से निकलने वाले कचरे से खेतीबाड़ी पर भी संकट मंडरा रहा है। इसलिए इस फैक्ट्री को गांव से किसी अन्य जगह पर शिफ्ट किया जाए। हालांकि पंचायत ने इस बारे में पहले भी आला अधिकारियों को इस समस्या के बारे में अवगत करवाया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।