कैंपस की कैंटीन : पार्टी-वार्टी कुछ नीं..वोट कंडीडेट देख के करेंगे, जिसने काम करै वो ही बनैगा सांसद
जागरण संवाददाता हिसार गुजवि के कंप्यूटर साइंस विभाग के पीछे और छात्र संघ के ऑफिस
जागरण संवाददाता, हिसार : गुजवि के कंप्यूटर साइंस विभाग के पीछे और छात्र संघ के ऑफिस के करीब बनी कैंटीन। दोपहर करीब ढाई बजे। चाय की चुस्कियां खत्म हुई तो बैंच से उठते हुए एक छात्र सूर्या ने छात्र संघ के ऑफिस को देखा। बोला, ये छात्र राजनीति भी तब तक किसी काम की नहीं, जब तक छात्र को विधानसभा और लोकसभा की राजनीति में जगह नहीं मिलती। वैसे भी संस्थानों में राजनीति होनी ही नहीं चाहिए। दूसरे साथी नीतेश जांघू ने उसकी कॉलर पकड़ी और उसे वहीं पर बैठा लिया। दिल्ली और हरियाणा के नेताओं के नाम गिनाते हुए बोला, ये सब छात्र नेता थे। सूर्या ने कहा, ये बातें पुरानी हो चुकीं है। कोई नया है क्या। नीतेश ने कहा, रोहतक से जिसको जजपा ने टिकट दी है, वो छात्र नेता है। सूर्या ने कहा, वो बीजेपी, कांग्रेस से हार जाएगा। तो पास बैठे अन्य छात्र बोले, राजनीति में तो आ गया ना, हार जीत का फैसला उसके काम और समाज में की गई सेवा के आधार पर जनता करेगी।
बातों-बातों में बहस होने लगी। हर कोई एक-दूसरे से पूछने लगा, तू ही बता किसे वोट देगा। एक ने बीजेपी कहा तो एक ने जजपा। एक विद्यार्थी ने कहा मुझे तो वंशवाद के अलावा राजनीति में कुछ दिखता ही नहीं। तीन विद्यार्थी बोले, पार्टी-वार्टी कुछ नहीं..वोट कंडीडेट को देखकर ही देंगे। जिसनै काम करै हैं, सांसद उसी को बणाएंगे। जो कभी लोगों से मिला ही नहीं, उसे क्या पता जनता के मुद्दों का। तब एक अन्य विद्यार्थी हाफिज अहमद बोला, ज्ञान की बात अब हुई है। वोट मुद्दों और उम्मीदवार के काम के आधार पर ही डालना चाहिए। सोशल मीडिया की झूठी बातों और अफवाहों से बचकर।
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राजनीति में जाति है हावी
कैंटीन पर बैठे और राजनीति पर चर्चा कर रहे छात्र परविद्र सिंह, गौतम, सुरेंद्र वर्मा, रोहन, हाफिज, विकास चौहान, नीतेश जांघू और सूर्या और ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि राजनीति साफ किए जाने की जरूरत है। इसके लिए नए और युवा लोग राजनीति में आ रहे हैं। आज हर पार्टी मुद्दों से भटकी हुई है। जरूरी है कि राजनीति मुद्दों पर हो और लोग भी उसी आधार पर वोट करें। हरियाणा में राजनीति में जाति हावी है। यहां तक कि पढ़े-लिखे लोगों के बीच में भी जातिवाद भरा हुआ है। हमें इससे बाहर आना होगा। अच्छी बात है कि युवाओं में ऐसी चीजें मायने नहीं रखती हैं। ऐसे में फिलहाल तो नहीं बेहतर शिक्षा मिले तो भविष्य में बेहतर राजनीति की उम्मीद की जा सकती है।