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Parali problem solution: सिरसा में धान की पराली न जलाकर प्रबंधन के लिए किसान कर रहे हैं प्रेरित

धान की पराली का मुद्दा गंभीर समस्या पैदा करता रहा है। कई किसान धान की पराली को आग के हवाले कर देते हैं। परंतु ऐसे हालात में कुछ ऐसे किसान भी हैं जो हिम्मत व मेहनत कर आग से होने वाले नुकसान के प्रति बेहद गंभीर हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 10 Oct 2021 09:02 AM (IST)Updated: Sun, 10 Oct 2021 09:02 AM (IST)
Parali problem solution: सिरसा में धान की पराली न जलाकर प्रबंधन के लिए किसान कर रहे हैं प्रेरित
सिरसा। रोड़ी में पराली जलाने की बजाए का प्रबंधन करने में जुटे किसान।

जागरण संवाददाता, सिरसा (रोड़ी ) धान की फसल कटाई शुरू होते ही धान की पराली का मुद्दा गंभीर समस्या पैदा करता रहा है। कई किसान धान की पराली को आग के हवाले कर देते हैं। परंतु ऐसे हालात में कुछ ऐसे किसान भी हैं जो हिम्मत व मेहनत कर आग से होने वाले नुकसान के प्रति बेहद गंभीर हैं। खेतों में आग लगाने से होने वाले नुकसान को ध्यान में रख अपने खेतों में पराली नही जला रहे व अन्य किसान वर्ग को विशेष मुहिम चलाकर इस संबंध में जागरूक कर रहे हैं।

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रोड़ी में मत्तड़ रोड पर अपने खेत में धान की फसल कंबाइन से कटाई कर रहे किसान सुरेश कुमार, हरदीप सिंह का कहना है कि किसी दिन तो अन्य किसानों की समझ में आयेगा कि पराली न जलाने के क्या नुकसान व फायदे हैं।

--- भूमि में मिला रहे हैं पराली

रोड़ी कस्बा में किसान जसप्रीत सिंह व परिजनों ने पिछले सीजन में भी धान के खेत में ही कटर से अवशेष काटकर पानी लगाकर खेत में ही मिलान किया था। किसान सुखपाल सिंह ने बताया कि पराली की संभाल की समस्या है व खर्च भी करना पड़ता है। उनका कहना है कि चार एकड़ भूमि में धान की बिजाई की गई है। दो एकड़ धान की पराली को खेत में कटर के सहारे से कटाई कर उसमें पानी लगाकर भूमि में मिला रहे हैं। कुछ दिनों उपरांत जमीन में पराली गल जायेगी तो जमीन बत्तर होने पर बिजाई करेंगे।

किसान जोगेन्द्र सिंह का कहना है कि कटाई बिजाई के सीजन में किसानों के पास पहुंचना चुनौती है फिर भी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से किसानों को जागरूक किया गया है। उनकी मांग हैं कि पराली को जलाने से रोकने के लिए केन्द्र व प्रांत सरकार को गांव-गांव सस्ते औजार मुहैया करवाने होंगे ताकि किसान वर्ग पराली जलाने के समाधान के लिए सजग हो सके।

किसानों ने बताया कि पराली को मिट्टी में मिलाने से जहां खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है वही पराली जलाने से होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है। किसानों ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा पराली काटने के लिए उपकरण भी मुहैया करवाए जा रहे हैं इससे भी बड़ी तादात में धान उत्पादक अब पराली जलाने की वजह उसके प्रबंधन की तरफ जोर दे रहे हैं।


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