ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों को चूना लगाने वाले वाट्स एप ग्रुप में पाकिस्तान और नेपाल के भी लोग
ऑनलाइन कंपनियों को चूना लगाने वाले गिरोह के मामले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। अब सामने आया है कि वाट्सएप ग्रुप में भारत के अलावा के पाकिस्तान और नेपाल के लोग भी जुड़े थे।
हिसार [अमित धवन]। ऑनलाइन कंपनियों को चूना लगाने वाले गिरोह के मामले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं। अब सामने आया है कि वाट्सएप ग्रुप में भारत के अलावा के पाकिस्तान और नेपाल के लोग भी जुड़े थे। साइबर मंडी के रूप में चल रहे इस ग्रुप पर ही हर बंदा अपना सामान बेच रहा था। पाकिस्तान और नेपाल के लोगों ने इससे सिम खरीदे या अन्य लाभ उठाया इसकी जांच के लिए मध्यप्रदेश की इंदौर पुलिस जुटी है। वहीं राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के कर्णपुरा गांव निवासी कालूराम अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
इंदौर पुलिस ने देश में चल रही साइबर मंडी के एक बड़े रैकेट का भांडा फोड़ किया है। इसमें राजस्थान के कर्णपुरा गांव निवासी कालूराम को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। कालूराम ने हिसार के आदमपुर में भी अभिषेक नामक युवक को 3950 सिम बेचे थे। फर्जी आइडी पर सिम लेकर यहां बेचने और अभिषेक के पास इनके मिलने पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था।
दूसरी तरफ से इंदौर पुलिस द्वारा कालूराम से पूछताछ व जांच में सामने आया कि देश के 22 राज्यों में चल रहे 52 ग्रुप में पाकिस्तान और नेपाल के लोग भी जुड़े थे। इन ग्रुप में सिम, डेबिट कार्ड सहित अनेक सामान बेचे जाते थे। उसका रेट तय कर उसमें कोई भी व्यक्ति खरीद लेता था। पुलिस के पास जानकारी आने के बाद उनकी तरफ से देश की सुरक्षा की ²ष्टि से भी जांच की जा रही है।
ऐसे चलता था खेल, डिलीवरी से पहले ही ले लेते थे सामान
गिरोह के सदस्य ऑनलाइन शापिंग कर सामान मंगवाते थे तो उसके लिए अपना कोई भी सही पता नहीं देता था। सामान की डिलीवरी तिथि पता होने पर वह उस गलत पते के रास्ते में रहते थे। कुरियर देने आने वाले युवक को वह रास्ते में ही रोक लेते और सामान ले लेते थे। इसमें कुरियर वाले से भी गिरोह के सदस्यों की साठगांठ रहती थी। जिसके बाद वह उसको बैड डिलिवरी दिखाकर पैसा रिफंड करवा देता था। कंपनी की तरफ से अपनी रेपुटेशन को रखने के लिए पैसा वापस दिया जाता था।
10 हजार रुपये तक कमाता था कालूराम
राजस्थान में हनुमानगढ़ के कर्णपुरा गांव निवासी कालूराम 12वीं पास है। वह वाट्सएप के जरिए ही इन ग्रुप में जुड़ा और अपना नेटवर्क बनाया। कालूराम ने 22 सिम मध्यप्रदेश में भी बेचे थे। इसके बाद वह वहां से चले गया था। पुलिस पूछताछ में सामने आया कि वह सिम, कार्ड व अन्य सामान बेचकर एक माह में दस हजार रुपये में कमा लेता था। इससे उसके घर का खर्चा चल रहा था। वह अभी जेल में है।
इंदौर पुलिस के निरीक्षक अंबरीश मिश्रा का कहना है कि पाकिस्तान-नेपाल के लोग भी ग्रुप में जुड़े हुए थे। जांच चल रही है। कालूराम को अदालत में पेश किया गया था जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
इन तरीकों से होती है धोखाधड़ी
- पहला तरीका
ओटीपी
गिरोह के सदस्य अपने ग्रुप में सभी को एक नारा देते थे। खुद आराम करें और अपने डेबिट कार्ड को काम पर लगाए। किसी भी व्यक्ति से डेबिट कार्ड लेकर वह उसको प्रयोग करने की एवज में कुछ कमीशन देते थे। ओटीपी आने पर वह उससे वह लेकर उसे प्रयोग करते थे। इसमें पेटीएम, फोन-पे, पेयजैप, अमेजन आदि कंपनियों से सामान खरीद लिया जाता था। इसमें यह भी रहता है कि यदि कोई व्यक्ति पैसा और डेबिट कार्ड खुद का प्रयोग करता था तो उसे बचत में से ज्यादा कमीशन दिया जाता। यह सिस्टम कंपनियों की स्कीम आने पर चलता है।
- दूसरा तरीका
कस्टमर ईजी रिटर्न पॉलिसी का फायदा
ऑनलाइन कंपनियों की तरफ से ग्राहक को खुश करने के लिए कस्टमर ईजी रिटर्न पॉलिसी बनाई हुई है। इसमें वह अपने ग्राहक को खुश रखने के लिए उनकी शिकायत पर किसी सामान के नहीं पहुंचने, खराब होने या मिङ्क्षसग होने की शिकायत पर उसका पैसा रिफंड कर देते है। कंपनियों की तरफ से उस पर कोई भी जांच नहीं करवाई जाती।
- तीसरा तरीका
गलत घर का पता देकर सामान मंगवाना
गिरोह के सदस्य ऐसे काम करने के लिए सामान मंगवाने के बाद अपना घर का पता गलत देते हैं। इस दौरान उनके घर पर सामान देने आने वाले कोरियर वाले से भी साठगांठ की जाती है। उसको कमीशन का लालच देकर उससे बीच में सामान लिया जाता था। इसमें सेल का फायदा उठाकर सामान मंगवाते हैं। साथ ही किसी प्रकार से डिब्बे में सामान नहीं मिलने की शिकायत दी जाती है। उसके बाद सामान उसी कोरियर वाले को करते हैं और वह उसको स्कैन कर कंपनी को भेज देते हैं। उससे ग्राहक का पैसा तुरंत कंपनी वापस दे देती है।