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सरसों का तेल हुआ महंगा तो रोहतक में बढ़ गया रकबा, किसानों को कम लागत में मिलेगा अधिक मुनाफा

किसानों की मानें तो जिले में सरसों को रकबा और भी बढ़ सकता था। लेकिन जिले में अनेक स्थानों पर बरसाती पानी जमा रहा। लंबे समय बाद भी खेतों से बरसाती पानी की निकासी नहीं हुई और सरसों की बिजाई का समय चला गया।

By Naveen DalalEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 08:10 PM (IST)
सरसों का तेल हुआ महंगा तो रोहतक में बढ़ गया रकबा, किसानों को कम लागत में मिलेगा अधिक मुनाफा
पिछले साल के मुकाबले इस बार 630 हेक्टेयर में ज्यादा की सरसों की बिजाई

रोहतक, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के बीच इस बार सरसों के तेल के दाम आसमान छूने लगे तो किसानों का रुझान पर सरसों की बिजाई की तरफ बढ़ चला। इसी का परिणाम है कि रोहतक में इस बार सरसों का रकबा 630 हेक्टेयर तक बढ़ गया है। हालांकि कुछ किसानों का कहना है कि जिले में अनेक स्थानों पर जलजमाव के चलते सरसों की बिजाई नहीं हो सकी। अगर वहां भी समय पर बिजाई होती तो यह रकबा और भी अधिक हो जाता।

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बहरहाल, सरसों का रकबा बढ़ने को लेकर किसानों का कहना है कि इस बार मौसम भी सरसों की बिजाई के अनुकूल रहा है। वही, अनाज मंडी में सरसों के दाम भी किसानों को किफायती मिले हैं। सरसों की फसल में अच्छा मुनाफा मिलने से किसानों में जागरूकता बढ़ी और उन्होंने पहले से अधिक भू-भाग पर सरसों की बिजाई की है। उधर, कृषि विभाग के अधिकारी भी इसे किसानों के लिए फायदेमंद मान रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इससे किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलने की उम्मीद है।

कम लागत में अधिक मुनाफा

विभागीय जानकारों के मुताबिक सरसों की फसल से किसानों को कम लागत में अधिक मुनाफा मिल जाता है। सरसों की बिजाई में काफी कम लागत आती है। इसमें सिंचाई पानी की भी गेहूं के मुकाबले कम जरूरत हाेती है। अगर समय पर बारिश हो जाती तो कुछ स्थानों पर उसी बारिश के पानी से अच्छी पैदावार हो जाती है। एक एकड़ में औसतन 8-10 क्विंटल तक सरसों निकल जाती है। इस बार सरसों के दाम भी लगभग 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक किसानों को मिले हैं। ऐसे में प्रति एकड़ 60-70 हजार रुपये का मुनाफा मिल जाता है।

और बढ़ सकता था रकबा

किसानों की मानें तो जिले में सरसों को रकबा और भी बढ़ सकता था। लेकिन जिले में अनेक स्थानों पर बरसाती पानी जमा रहा। लंबे समय बाद भी खेतों से बरसाती पानी की निकासी नहीं हुई और सरसों की बिजाई का समय चला गया। अगर समय रहते बरसाती पानी की निकासी के लिए ठोस प्रयास किए जाते तो रोहतक में सरसों की बिजाई का रकबा 12500 हेक्टेयर तक बढ़ सकता था। रोहतक में सितंबर-अक्टूबर में सरसों की बिजाई हुई है। वहीं मंडी में भी सरसों की प्राइवेट खरीद हुई। जिसमें किसानों को फसल के बहुत अच्छे दाम मिले।

सरसों का ब्योरा

  • जिले में गत वर्ष सरसों का रकबा : 10500 हेक्टेयर
  • जिले में इस बार सरसों का रकबा : 11130 हेक्टेयर
  • गत वर्ष के मुकाबले 630 हेक्टेयर ज्यादा में हुई बिजाई

मंडी में सरसों के दाम भी मिले किसानों को किफायती, जागरूकता भी बढ़ी

सरसों की फसल को किसानों ने इस बार अच्छे दामों पर बेचा है। जिसके चलते उनमें उत्साह बढ़ा और उन्होंने इस बार पहले से अधिक भू-भाग पर सरसों की बिजाई की है ताकि अपनी आमदनी को और बढ़ाया जा सके। फसल को अच्छे दाम मिलना किसानों के लिए फायदेमंद है। सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही है।

- डा. इंद्र सिंह, कार्यकारी जिला कृषि उपनिदेशक, रोहतक ।


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