होस्ट आधारित कोरोना की एंटीवायरल दवा विकसित करेगा एनआरसीई
जागरण संवाददाता हिसार भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर ब
जागरण संवाददाता, हिसार: भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि साइंस एंड इंजीनियरिग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) ने हरियाणा के हिसार स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के नेशनल सेंटर फॉर वेटरनरी टाइप कल्चर (एनसीवीटीसी) के वैज्ञानिक डा. नवीन कुमार को कोरोना की एंटीवायरल दवा बनाने की जिम्मेदारी दी है। इस कार्य में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीवायरल दवा के लिए वह अपनी लाइब्रेरी के 94 छोटे अणुओं की स्क्रीनिग करेंगे। इसमें खास बात है कि जो एंजाइम कैंसर बनाते हैं, वह सामान्यत: वायरस जनित बीमारियों को पैदा करने में भी मददगार होते हैं। डा. नवीन देखेंगे कि कोरोना वायरस के विषाणु किस प्रकार से कोशिकीय अणुओं को किस प्रकार से शोषित करते हैं। अणुओं को कोशिकीय काइनेस, फॉस्फेट, और हिस्टोन मिथाइल ट्रांसफरेज, हिस्टोन डेसेटाइलेज और डीएनए मिथाइल ट्रांसफेज जैसे एपिजेनेटिक रेगुलेटर को रोकने के लिए जाना जाता है। इसके तहत एंटी-कोरोना वायरस गुणों वाली चयनित दवाओं का अध्ययन किया जाएगा। एनआरसीई में एनसीवीटीसी के वैज्ञानिक डा. कुमार ऐसे सेलुलर प्रोटीन, प्रोटीन-प्रोटीन (वायरस-होस्ट) इंटरेक्शन या एपिजेनेटिक नियामकों को लक्षित करने के साथ एंटीवायरल ड्रग विकसित के लिए एक वैकल्पिक रणनीति की खोज कर रहे हैं, जिसे आमतौर पर होस्ट-निर्देशित एंटीवायरल थेरेपी कहा जाता है।
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ये होता है एंटीवायरल ड्रग्स
पारंपरिक रूप से, एंटीवायरल ड्रग्स को कुछ वायरल प्रोटीनों को सीधे लक्षित करके विकसित किया जाता है। हालांकि, दवा-प्रतिरोधी वायरस के तेजी से बढ़ने के कारण यह रणनीति अक्सर विफल हो जाती है। अन्य जीवों के विपरीत वायरल एंजाइम, जो अपने न्यूक्लिक एसिड (आरएनए) को संश्लेषित करता है, इसमें प्रूफरीडिग क्षमता नहीं होती है। इसलिए, कोरोनावायरस जैसे आरएनए वायरस में वायरल जीनोम के संश्लेषण के दौरान गलत तरीके से शामिल न्यूक्लियोटाइड्स (वायरल आरएनए के निर्माण ब्लॉकों) को हटाने की क्षमता नहीं है। प्रूफरीडिग क्षमता की कमी के परिणामस्वरूप वायरल जीनोम में बिदु म्यूटेशन का संचय होता है। इससे वायरल प्रोटीन में परिवर्तन होता है। परिवर्तित वायरल प्रोटीन तब उपलब्ध एंटीवायरल दवाओं के लिए प्रतिरोधी बन सकता है। तेजी से और बार-बार खुद को बदलने की वायरस की इस क्षमता के कारण एंटीवायरल ड्रग्स विकसित करना, वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
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होस्ट सेल के अंदर बढ़ सकता है वायरस
वायरस केवल होस्ट सेल के अंदर बढ़ (प्रतिकृति) सकते हैं। एक मेजबान (मानव) कोशिका में लगभग 25,000 प्रोटीन होते हैं। प्रतिकृति के दौरान, वायरस इन सेलुलर प्रोटीन के साथ कई संपर्क स्थापित करते हैं। एक वायरस को होस्ट सेल के अंदर प्रभावी ढंग से प्रतिकृति के लिए 1000 से अधिक विभिन्न सेलुलर प्रोटीनों की आवश्यकता होती है।
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बननी चाहिए एंटी कोरोना वायरस दवा
एसईआरबी के सचिव प्रोफेसर संदीप वर्मा ने कहा औषधीय रसायन विज्ञान अनुसंधान में रासायनिक लाइब्रेरी स्क्रीनिग एक उपयोगी पद्धति है जो विशेष रूप से नए पहचाने गए सार्स -कोव -2 के लिए कम समय में दवा की खोज और विकास कर सकती है। इस तरह के दृष्टिकोण उपयोगी फार्मास्युटिकल्स के लिए तेजी से पहुंच प्रदान करते हैं और खोज की अवधि को कम कर देते हैं। कोव -2 वैक्सीन विकास कार्यक्रमों का समर्थन के साथ एंटी-कोरोनावायरस दवा पर भी पर्याप्त ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।