एनआरसीई ने जांचे कोविड के 2 लाख से अधिक सैंपल
कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामलों के बीच टेस्टिग एवं आइसोलेशन को रफतार देने की कोशिश जारी है।
जागरण संवाददाता, हिसार: कोविड-19 के लगातार बढ़ते मामलों के बीच टेस्टिग एवं आइसोलेशन को रफ्तार देने की कोशिश की जा रही है। कोरोना महामारी के इस संकट के दौर में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीई) शुरुआती चरणों से ही अपना योगदान दे रहा है। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र का उद्देश्य राष्ट्र के अश्वों के स्वास्थ्य और उत्पादन पर शोध करना है मगर देश और विश्व में आई इस विपत्ति के दौरान केंद्र ने अपने संसाधनों का प्रयोग कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए भी किया। सभी विज्ञानी और कर्मचारी कोविड की द्वितीय लहर के दौरान दिन रात कार्यरत हैं। अभी तक राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र के विज्ञानियों की ओर से कुल दो लाख 417 कोविड सैंपलों की जांच पूरी की गई है। इनमें से 13 हजार 870 सैंपल पॉजिटिव पाए गए।
ऐसे समझें लैब से लेकर आरटी पीसीआर मशीन में टेस्ट तक की पूरी प्रक्रिया
एनआरसीई के निदेशक डा. यशपाल बताते हैं कि सैंपल को सुरक्षित प्रक्रिया से लाकर लैब में रख दिया जाता है। इसके बाद दो वैज्ञानिक अपने पूर्व में पहने हुए कपड़ों को उतारकर लैब के कपड़े पहनते हैं। फिर पर्सनल प्रोटेक्शन किट पहनकर वह फुल बॉडी सैनिटाइज टनल से होकर गुजरते हैं। इसके बाद निगेटिव प्रेशर से युक्त कोविड-19 लैब में वैज्ञानिक आरटी पीसीआर मशीन में सैंपल लगाकर उसमें से आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) निकालते हैं। इसके बाद आरटी पीसीआर मशीन में पॉजिटिव और निगेटिव सैंपल लगाते हैं और उन्हें एम्प्लीफाई करते हैं। साथ ही सैंपल का आरएनए लगाया जाता है। इसमें सैंपल पॉजिटिव होता है तो पॉजिटिव में जीन बढ़ जाते हैं अगर निगेटिव होता है तो वह निगेटिव की तरफ चला जाता है। यह चार से पांच घंटे की पूरी प्रक्रिया है। इन वैज्ञानिकों की प्रमुख भूमिका
डॉ. बलदेव गुलाटी, डॉ. नितिन विरमानी, डॉ. बलविंदर कुमार, डॉ. नवीन कुमार, डॉ. हरिशंकर सिघा, डॉ. बी बेरा, डॉ. रियाश सहित अन्य विज्ञानियों की एक टीम द्वारा परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण में शामिल तकनीकी और सहायक कर्मचारी सीता राम, मुकेश चंद, गुरु दत्ता, रमेश चंदर, जय सिंह हैं।