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प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल: अब अस्पताल के बाहर बोर्ड पर लिखवाने होंगे बेड और लैब टेस्ट के रेट

जागरण संवाददाता हिसार आखिरकार जिले में निजी अस्पतालों द्वारा पांच ओवरचार्जिंग के मामले और

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 08:04 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 08:04 AM (IST)
प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल: अब अस्पताल के बाहर बोर्ड पर लिखवाने होंगे बेड और लैब टेस्ट के रेट
प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल: अब अस्पताल के बाहर बोर्ड पर लिखवाने होंगे बेड और लैब टेस्ट के रेट

जागरण संवाददाता, हिसार: आखिरकार जिले में निजी अस्पतालों द्वारा पांच ओवरचार्जिंग के मामले और लगातार मिल रही शिकायत पर प्रशासन हरकत में आया है। पिछले करीब दो महीने में जिले में पांच ओवरचार्जिंग के मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें से दो मामलों में जांच भी चल रही है। कोविड महामारी के ओवरचार्जिंग मामलों में संज्ञान लेते हुए उपायुक्त ने कड़े नियम निर्धारित किए हैं। उपायुक्त ने निर्धारित नियमों का पालन करवाने के लिए एक कमेटी का भी गठन किया है। साथ ही अब निजी अस्पतालों को फ्लैक्स या होर्डिंग लगाकर बेड, दवाओं, लैब टेस्ट आदि सभी के रेट लिखने होंगे, ताकि निजी अस्पताल मरीजों से किसी भी सुविधा के नाम पर ओवरचार्जिंग ना कर पाएं। हिसार में पांच मामलों में सिविल अस्पताल के जीव वैज्ञानिक डा. रमेश पूनिया के हस्तक्षेप के बाद निजी अस्पतालों ने पीड़ितों को रुपये वापस भी किए हैं। इन्हीं मामलों में उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी ने संज्ञान लेते हुए निजी अस्पतालों संचालकों को फटकार लगाते हुए कड़े कदम उठाए हैं।

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इस मामले में सोमवार को उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी ने सरकारी और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की बैठक ली। जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 के रोगियों के उपचार के लिए जो नियम निर्धारित किए हैं। सभी निजी अस्पताल संचालकों को उनके अनुसार ही कार्य करना होगा।

कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को वेंटिलेटर की संख्या बढ़ाने के निर्देश

उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी ने जिले के सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों में रोगियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए सभी प्रकार के उपकरण, दवाइयां एवं स्टाफ का प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के चलते जिले के सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में रोगियों को स्वास्थ्य संबंधी सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए प्रबंध किया जाए। निजी अस्पताल संचालक अपने संस्थानों में बेड, आक्सीजन बेड, आइसीयू तथा वेंटिलेटर सहित सभी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का प्रबंध करें। इस अवसर पर डा. सुभाष खटरेजा व डा. तरूण ने कोविड-19 एवं वैक्सीनेशन की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

मलेरिया-डेंगू से बचाव के लिए कूलरों में डाले टेमिफोस, डीजल या पेट्रोल

उपायुक्त डा. प्रियंका सोनी ने बैठक में मलेरिया एवं डेंगू से बचाव के लिए भी चिकित्सकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। मलेरिया व डेंगू मच्छरों के कारण फैलता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अपने घर की पानी की टंकियों के ढक्कन हमेशा बंद रखें, घर के आस-पास पानी एकत्रित ना होने दें तथा सप्ताह में एक बार कूलर को खाली करके सुखाएं। यदि कूलर खाली न हो सकें, तो उसमें एक बड़ा चम्मच टेमिफोस/डीजल या पेट्रोल डालें।

ओवरचार्जिंग के यह मामले आ चुके सामने

1. शहर के एक निजी अस्पताल से मई माह में पहले ऐसा मामला सामने आया था। उस दौरान दिल्ली से आए एक दंपती को कोरोना संक्रमित होने पर उपचार के लिए निजी अस्पताल में दाखिल किया गया। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने बिना आक्सीजन के सामान्य बेड पर दाखिल कर प्रतिदिन 30 हजार रुपये बेड के वसूल कर करीब 11 लाख का बिल दंपती को थमा दिया। डा. पूनिया के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल प्रशासन ने करीब पांच लाख से अधिक रुपये पीड़ित को वापस कर दिए।

2. दूसरे मामले में शहर के एक निजी अस्पताल ने कोरोना संक्रमित महिला को ठीक होने पर छुट्टी देने पर एक लाख चार हजार रुपये का बिल स्वजनों को थमा दिया। इस मामले में भी अस्पताल प्रशासन ने 36 हजार 595 रुपये पीड़ितों को वापस किए।

3. तीसरा मामले में एक निजी अस्पताल ने एक मरीज से पांच दिन के एक लाख 85 हजार रुपये वसूले। इस मामले में हांसी निवासी रमेश खुराना ने डा. रमेश पूनिया और आइडीएसपी इंचार्ज को मामले की शिकायत दी है। शिकायत में बताया कि उसे बाद में पता लगा कि सरकार ने कोविड के मरीजों के लिए बेड के रेट तय किए हैं। इससे पहले वो अपने पिता के उपचार के लिए एक लाख 85 हजार रुपये अस्पताल को दे चुका था। उस दौरान उपचार के दौरान 9 अप्रैल को उसके पिता की मौत चुकी है।

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निजी अस्पतालों को दो भागों में बांटा

निजी अस्पतालों को दो भागों में बांटा गया है। इनमें एक वे अस्पताल हैं, जो नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड फार हास्पिटल एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स यानि नभ के तहत आते हैं तथा दूसरे अस्पताल वे हैं जो नभ के दायरे में नहीं आते। वहीं आयुष्मान भारत योजना के अधिसूचित अस्पताल में योजना के लाभार्थियों का उपचार निश्शुल्क ़है।

एनएबीएच के अंडर आने वाले अस्पतालों में निर्धारित रेट

आक्सीजन बैड के लिए - 10 हजार रुपये प्रतिदिन

बिना वेंटिलेटर के आइसीयू में दाखिल होने पर- 15 हजार रुपये प्रतिदिन

वेंटिलेटर के साथ आइसीयू में दाखिल होने पर - 18 हजार रुपये प्रतिदिन

एनएबीएच के अंडर ना आने वाले निजी अस्पतालों में निर्धारित रेट

आक्सीजन वाले बेड के लिए - आठ हजार रुपये प्रतिदिन

बिना वेंटिलेटर के आइसीयू में दाखिल होने पर - 13 हजार रुपये प्रतिदिन

-वेंटिलेटर के साथ आइसीयू में दाखिल होने पर - 15 हजार रुपये प्रतिदिन

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डा. पूनिया ने डीसी का जताया आभार

सिविल अस्पताल से जीव वैज्ञानिक डा. रमेश पूनिया ने इस मामले में संज्ञान लेने पर उपायुक्त का आभार जताया। उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालकर अपने अंदाज में लिखा है कि देखते हैं क्या होता है, यह पब्लिक है, सब जानती है।

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ओवरचार्जिंग मामलों में लगातार शिकायतें मिल रहीं थी, इसलिए निजी अस्पतालों को निर्धारित रेट की फ्लैक्स या होर्डिंग गेट पर ही लगाने के आदेश दिए हैं, ताकि मरीजों से ओवरचार्जिंग ना हो।

डा. प्रियंका सोनी, उपायुक्त, हिसार।


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