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गांवों में दूध से प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण देगी लुवास में तैयार नई दूध की चक्की लगी वैन

वैन में कुल्फी मेकिंग यूनिट पनीर मिल्क एनालाइजर क्रीम खोया मेकिंग मशीनें लगी हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 02:28 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 02:28 PM (IST)
गांवों में दूध से प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण देगी लुवास में तैयार नई दूध की चक्की लगी वैन
गांवों में दूध से प्रोडक्ट बनाने का प्रशिक्षण देगी लुवास में तैयार नई दूध की चक्की लगी वैन

जेएनएन, हिसार: लाला लाजपत राय पशुचिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) ग्रामीणों को दूध से प्रोडक्ट बनाना अब उनके गांव में ही सिखाएगा। इसके लिए विवि ने मिल्क प्रोसेसिंग डेमोस्ट्रेशन कम एग्जिबिशन वैन (दूध की चक्की) तैयार की है। इस मशीन में कुल्फी मेकिंग यूनिट, पनीर बनाने की मशीन, मिल्क एनालाइजर, क्रीम निकालने की मशीन, खोया मेकिंग मशीन के अलावा मिल्क चिलिंग मशीन की सुविधा उपलब्ध है। खास बात है कि यह वैन गांव-गांव जाकर किसानों को दूध से प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग देगी। शुक्रवार को कुलपति डा. गुरदियाल सिंह ने वैन का मुआयना भी किया। उनके साथ डेयरी साइंस कालेज के डीन डा. दिवाकर प्रकाश शर्मा भी उपस्थित रहे। कुलपति ने बताया कि अब पशुपालकों को उनके गांव में ही यह प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध करवाएगी। लुवास द्वारा नवनिर्मित दूध चक्की यह सुविधा अभी फिलहाल महेंद्रगढ़ जिले के गांवों में ही प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध करवाएगी। इस दौरान पशुपालकों को दूध से उत्पाद बनाकर बेचने के लिए प्रेरित किया जाएगा ताकि पशुपालक दूध से बने उत्पाद बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा सकें।

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डेयरी प्रोडक्ट बनाने से आमदनी में होगी बढ़ोत्तरी

डेयरी साइंस कॉलेज के अधिष्ठाता डा. दिवाकर शर्मा ने बताया कि प्रदेश के पशुपालक इस परियोजना द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने स्तर पर दूध उत्पाद बना कर बाजार में बेचेंगे तो न सिर्फ उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि लोगों को शुद्ध उत्पाद भी उपलब्ध होंगे। ज्ञात हो कि पूर्व में लुवास ने दूध की चक्की बनाने की योजना राज्य सरकार के पशुपालन विभाग को विचारार्थ भेजी गई थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए इस प्रकार की कुल छह वैन बनाने के लिए धनराशि लुवास को उपलब्ध करवाई गई है।

वैन में यह हैं सुविधाएं

वैन में उपलब्ध सभी सुविधाओं के सुचारू संचालन के लिए सौलर पैनल व जनरेटर की भी व्यवस्था की गई है। इस वैन पर तीन कर्मचारी तैनात रहेंगे, जिनमें ड्राईवर, हेल्पर तथा डेमोंस्ट्रैटर शामिल हैं। प्रोजेक्ट के पीआइ डा. योगेंद्र यादव के मुताबिक दूध की चक्की जिस भी गांव में जाएगी वहां के पशुपालकों को इस बारे में पूर्व सूचित कर दिया जाएगा, ताकि गांव के निवासी दूध एकत्रित कर, वैन पर विभिन्न उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। यह उत्पाद बनाने के बाद पशुपालकों को वापस कर दिए जाएंगे। लुवास द्वारा संचालित दूध की चक्की प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्स्पेक्टिगेटर व डेयरी साइंस कालेज के अधिष्ठाता डा. दिवाकर प्रकाश शर्मा, कोपीआइ डा. योगेन्द्र यादव, डा. वंदना चौधरी तथा सुमित महाजन हैं।


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