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बस स्‍टैंड पर छूट गया था बीएसएफ जवान का सूटकेस, जिसे मिला उसने किया ऐसा काम हुई तारीफ

देर रात बस स्टैंड पर छूट गया था बीएसएफ जवान का सूटकेस, मालिक तक पहुंचाने के लिए घंटों प्रयास करते रहे अदालत में कार्यरत कर्मचारी नरेश

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 11:53 AM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 11:53 AM (IST)
बस स्‍टैंड पर छूट गया था बीएसएफ जवान का सूटकेस, जिसे मिला उसने किया ऐसा काम हुई तारीफ

जेएनएन, हांसी, हिसार : जरा सा फायदा या लालच मिलने पर इंसान का ईमान डोल जाता है, मगर हांसी में एक ऐसा वाकया सामने आया है जिससे कहा जा सकता है कि ईमानदारी आज भी जिंदा है। हांसी की अदालत में कार्यरत एक कर्मचारी ने बस स्टैंड पर बुधवार देर रात मिले सूटकेस को आसाम में तैनात फौजी को वापस कर इसे साबित कर दिया। जरूरी दस्तावेज व कीमती सामान से भरे इस सूटकेस को सुरक्षित पाकर बीएसएफ जवान ने कोर्ट कर्मचारी का आभार व्यक्त किया।

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हांसी की अदालत में कार्यरत कर्मचारी नरेश ठकराल ने बताया कि वे बुधवार देर रात करीब 12 बजे हांसी बस स्टैंड पर दिल्ली से लौट रहे अपने भाई को लेने गए थे। घर आने लगे तो उनकी नजर बस स्टैंड के बाहर लावारिस पड़े एक सूटकेस पर गई। इस पर पहले तो उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को देनी चाही, लेकिन आसपास कोई पुलिसकर्मी नजर न आने पर उन्होंने कुछ समय पहले गुजरी कृष्णा बस के संचालकों से संपर्क करने का प्रयास शुरू किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

इसके बाद उन्होंने हांसी अदालत में कार्यरत नाजिर भूपेंद्र जांगड़ा से बात करके कृष्णा बस के संचालकों के फोन नंबर मांगे। काफी प्रयास के बाद नरेश को कृष्णा बस के कंडक्टर का नंबर प्राप्त हो गया। नरेश ने कंडक्टर को सूटकेस छूटने की जानकारी दी।

इसके बाद कंडक्टर ने बस में सवारियों से सामान की जानकारी ली तो पता चला कि बस में सवार बीएसएफ जवान और हिसार के ठसका गांव निवासी जयबीर का सूटकेस हांसी में छूट गया है।

इस पर नरेश ने जयबीर से बातचीत कर सूटकेस सकुशल होने की जानकारी दी। जयबीर ने बृहस्पतिवार सुबह हांसी वापस आकर नरेश से सूटकेस प्राप्त कर लिया। जयबीर ने सकुशल सूटकेस वापस मिलने पर नरेश का आभार व्यक्त किया।

देश सेवा करने का मौका नहीं मिला, करने वालों की कर दी यही बहुत

कर्मी नरेश ने कहा कि देश के लिए कुछ करने का जज्‍बा हर किसी के अंदर होता है, मगर ये सौभाग्‍य सबको नहीं मिलता है। मैं भी देश के लिए कुछ करना चाहता हूं, मगर ये मौका सीधे तौर पर नहीं मिला। मगर देश के लिए जो सब कुछ कर रहे हैं उनकी सेवा करने का मौका आज बैग लौटाकर मिल गया है। इससे दिल को बहुत सुकून मिल रहा है। किसी भी व्‍यक्ति को इसी तरह से अगर कोई भी सामान मिलता है तो कोशिश करके वापस लौटाने का प्रयास करना चाहिए।


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