बहादुरगढ़ सिविल अस्पताल में ही नहीं एन-95 मास्क, ऐसे तो डाक्टर व स्टाफ ही होता रहेगा संक्रमित
सिविल अस्पताल के डाक्टर व मेडिकल स्टाफ भी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में कोरोना से बचाव में बहुत जरूरी एन-95 मास्क ही अस्पताल में न हो तो मेडिकल स्टाफ व डाक्टरों में संक्रमण फैलना स्वाभाविक है। कई माह से सिविल अस्पताल में एन-95 मास्क नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: कोरोना संक्रमण की दर लगातार बढ़ रही है। कुछ दिन से 100 से ज्यादा केस कोरोना पाजिटिव केस सामने आ रहे हैं। सिविल अस्पताल के डाक्टर व मेडिकल स्टाफ भी कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में कोरोना से बचाव में बहुत जरूरी एन-95 मास्क ही अस्पताल में न हो तो मेडिकल स्टाफ व डाक्टरों में संक्रमण फैलना स्वाभाविक है। कई माह से सिविल अस्पताल में एन-95 मास्क नहीं हैं। थ्री लेयर मास्क का स्टाक भी काफी कम है। तीन हजार एन-95 मास्क की सप्लाई के लिए मांग कई बार की जा चुकी है लेकिन विभाग के उच्च अधिकारियों की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
इसी का नतीजा है कि अस्पताल में काफी समय से एन-95 मास्क नहीं हैं। डाक्टर खुद के पैसों से एन-95 मास्क लेकर अपना बचाव कर रहे हैं। एम्स के चिकित्सकों के अनुसार सामान्य स्थिति में एक चिकित्सक के लिए महीने में कम से कम पांच एन-95 मास्क चाहिए। वहीं आइसोलेशन में बार-बार मास्क चेंज करना चाहिए।
फिलहाल कुछ माह से आइसोलेशन वार्ड में कोरोना संक्रमित मरीज ही भर्ती नहीं हुए थे, मगर अब संक्रमण बढ़ रहा है तो मरीज भी भर्ती हो रहे हैं। ऐसे में एन-95 मास्क का न होना कोरोना योद्धा यानि डाक्टर व मेडिकल स्टाफ के लिए काफी बड़ा खतरा है। बहादुरगढ़ सिविल अस्पताल में चार डाक्टर इस लहर में कोरोना पाजिटिव हो चुके हैं। तीन डाक्टरों ने सोमवार को अपना टेस्ट कराया है। यहां के मेडिकल स्टाफ से भी कुछ सदस्य कोरोना पाजिटिव हो चुके हैं।
इसलिए जरूरी है एन-95 मास्क
ब्रह्मशक्ति अस्पताल के निदेशक डा. मनीष शर्मा ने बताया कि वायरस से बचाव के लिए एन-95 मास्क ही सबसे बेहतर है। मास्क जब भी खरीदें तो ध्यान रखें, इसकी रेटिंग एन-95 ही हो। दूसरी सबसे अहम बात इसका आपके चेहरे पर फिट होना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं है तो इसका कोई फायदा नहीं होता। एन-95 मास्क कोरोना वायरस जैसे संक्रमण से बचाव के लिए सबसे बेहतर मास्क है।
यह आसानी से मुंह और नाक पर फिट हो जाता है और बारीक कणों को भी नाक या मुंह में जाने से रोकता है। यह हवा में मौजूद 95 प्रतिशत कणों को रोकने में सक्षम है। इसलिए इसका नाम एन-95 पड़ा है। कोरोनावायरस के कण डायमीटर में 0.12 माइक्रोन जितने होते हैं, जिसकी वजह से यह काफी हद तक मदद करता है। यह बैक्टीरिया, धूल और परागकणों से 100 प्रतिशत बचाता है।
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हमारी ओर से कई बार एन-95 मास्क की मांग की जा चुकी है, मगर अब तक सप्लाई नहीं हुई है। अब तक चार डाक्टर कोरोना पाजिटिव आ चुके हैं। सोमवार को ही तीन डाक्टरों ने और टेस्ट कराया है। अगर डाक्टर व मेडिकल स्टाफ ही सुरक्षित नहीं रहेगा तो कोरोना संक्रमितों का इलाज कैसे होगा।
----डा. प्रदीप शर्मा, पीएमओ, सिविल अस्पताल बहादुरगढ़।