Move to Jagran APP

मदर्स डे पर विशेष : हिसार में मदर्स डे पर महिलाओं ने बताया मां के प्रेम में कैसे जिया बचपन

हिसार के सिरसा रोड स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी रेखा के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में हरियाणा राजस्थान मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश दिल्ली पंजाब सहित कई राज्यों की महिलाओं ने भाग लिया और अपनी मां से जुड़ी बचपन की यादों को साझा किया।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 08:36 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 08:36 AM (IST)
हिसार में मदर्स डे पर ऑनलाइन अनुभव साझा करते हुए महिलाएं

हिसार, जेएनएन। भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया। प्यार और ममता का प्रतीक मां के लिए देश के कई राज्यों की महिलाओं ने एकसाथ अपने तरीके से मदर्स डे मनाया। मदर्स डे के इस विशेष दिन को महिलाओं ने वर्चुअल तरीके से अपने अंदाज में किसी लिखकर, किसी ने गा कर तो किसी ने केक काटकर सेलिब्रेट कर मां के प्रति आने प्यार को दर्शाया। महिलाओं ने अपनी मां से जुड़ी यादों के किस्सों को सबसे सामने प्रस्तुत करते हुए मां की महिमा का गुणगान किया। मौका था सनशाइन ऑफ इंडिया की ओर से ऑनलाइन आयोजित मां मेरी प्रेरणा कार्यक्रम का।

loksabha election banner

हिसार के सिरसा रोड स्थित हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी रेखा के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली पंजाब सहित कई राज्यों की महिलाओं ने भाग लिया और अपनी मां से जुड़ी बचपन की यादों को साझा किया। साथ ही युवतियों व महिलाओं ने अपनी मां के साथ अपने फोटो भी एक दूसरे से साझा की।

--

महिलाओं ने मां के प्रेम व ममता को ऐसे बताया

बचपन में मां का छुट गया था हाथ, भगवान ने 5 मां का दिया प्रेम

बचपन में मां भगवान के पास चली गई। मां का हाथ छुटा तो भगवान ने 5 मां भेज दी। यह कहते हुए ऑनलाइन कार्यक्रम में एक महिला ने अपनी मां के बारे में बताया कि बचपन में कैसे उसकी मांग का हाथ उससे छूट गया। रिश्तेदारी में एक नहीं 5 महिलाओं ने उसका हाथ थामा और मां की तरह प्यार दिया। कैसे 5 मां के साथ उसका बचपन बीता। यह कहानी सुनाते हुए उसने कहा मुझे परिवार की महिलाओं ने मां का जो प्रेम मिला उसे शायद शब्दों में बया कर पाना संभव नहीं है।

खुद पर आई जिम्मेदारी तो मां की मेहनत और संघर्ष को जीया

बचपन में मां का संघर्ष व मेहनत का पता ही नहीं चलता था, खुद पर जिम्मेदारी आई तो हुआ अहसास महिलाओं ने कहा मां बचपन में हमारे लिए सारा काम करती थी तो वह सब आम लगता था। उसकी मेहनत को घर का रुटीन काम सकते थे लेकिन जब खुद पर जिम्मेदारी आई तो मां की वह मेहनत और संघर्ष का असली मायने में अहसास हुआ और उसे जीया।

घर को सहित मायनों में मां ने बाया घर

ईंट-सिमेंट और मिट्टी इत्यादि सामग्री से हम बिल्डिंग तो खड़ा कर लेते है जिसे हम घर कहते है लेकिन सहीं मायने में उस घर को मां अपनी मेहनत, प्रेम और ममता से घर बनाती है। जो रहने लायक बनता है। इसलिए तो हम दर्द में वहीं मां याद आती है। जो प्रेम की मूर्त है। सीधे शब्दों में कहा तो हम यहीं कह सकते है कि मां की महिमा और प्रेम को शब्दों में बया नहीं कर सकते है।

--मां के कई रुप हैं। उसमें धैर्य है, प्यार है, इतनी फिक्र है कि उसका कर्ज उतार पाना भी संभव नहीं है। मांग के सम्मान में देश के कई राज्यों की महिलाओं ने मिलकर मदर्स डे मनाया है।

- रेखा, प्रधान, सनसाइन ऑफ इंडिया संस्था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.