मानसून की वर्षा से हरियाणा में कपास की उत्पादकता के साथ गुणवत्ता पर पड़ेगा प्रभाव, 24 सितंबर तक बारिश के आसार
सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून की वापसी से फिर से हवाएं वर्षा ला सकती हैं। जिसमें धान और कपास की फसल फिर से प्रभावित हो सकती है। कृषि विज्ञानियों की मानें तो जिन स्थानों पर अधिक वर्षा हुई है वहां पर कुछ नुकसान देखने को मिल सकता है।
जागरण संवाददाता, हिसार। हरियाणा में हल्की वर्षा ने ही किसानों की चिंता बढ़ा दी है। हालात यह हैं कि जिन क्षेत्रों में कपास की चुगाई हो रही है वहां अधिक वर्षा होने से कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता दोनों ही प्रभावित हो रही हैं। सिर्फ कपास ही नहीं बल्कि धान की अगेती बिजाई की फसलों में भी हल्का नुकसान होने की संभावना है।
अभी मौसम विज्ञानियों की मानें तो 24 सितंबर तक वर्षा होने की संभावना है, इसके बाद सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून की वापसी से फिर से हवाएं वर्षा ला सकती हैं। जिसमें धान और कपास की फसल फिर से प्रभावित हो सकती है। कृषि विज्ञानियों की मानें तो जिन स्थानों पर अधिक वर्षा हुई है वहां पर कुछ नुकसान देखने को मिल सकता है।
इस कारण से इस समय आई वर्षा
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि दक्षिण पश्चिमी मानसून की हवाएं बंगाल की खाड़ी से इस बार आईं वहीं अरब सागर से भी कुछ हवाएं आईं और दोनों ने मिलकर वर्षा की। इन मानसूनी हवाओं के कारण उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक प्रभाव देखने को मिला। वहीं हरियाणा में भी वर्षा का प्रभाव देखने को मिला। अब 24 सितंबर तक वर्षा का प्रभाव रहेगा। इसके बाद सितंबर माह के समय मानसून की वापसी की वजह से वर्षा फिर वापस आ सकती है।
अच्छी वर्षा कहीं करती नुकसान कहीं पहुंचाती फायदा
इस वर्षा से फसलों पर अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं कह सकते मगर फसलें प्रभावित जरूर हुई हैं। कपास अभी चुगाई पर चल रहे हैं, इसमें कपास की क्वालिटी पर प्रभाव पड़ता है। कई जगह अगैती धान की बिजाई है वहां धान पकाई पर है वहां धान पर वर्षा का हल्का नकारात्मक प्रभाव दिख सकता है। वहीं एक तरफ जहां फसलें प्रभावित हुई हैं वहीं दूसरी ओर सरसों की बिजाई के लिए वर्षा कम हुई है। अगर वर्षा अच्छी होती ताे सरसों बोने वाले किसानों को फायदा होता। अच्छी वर्षा चने की बिजाई के लिए भी अच्छी हो सकती थी मगर ऐसा नहीं हो सका।
फतेहाबाद : वर्षा से नरमे व बाजरे में नुकसान, खेतों में तैयार फसल बिछ गई
जिले में हुई वर्षा से नरमे व बाजरे की फसल से कहीं अधिक धान की फसल तेज हवा व वर्षा से बिछ गई। इससे धान उत्पादन किसानों को बहुत अधिक नुकसान हुआ। जिले में नरमे की फसल तो जुलाई में अधिक वर्षा होने से खराब हो गई थी। हालांकि अब कुछ जगह नुकसान हुआ है, लेकिन अधिक नहीं है। वहीं बाजरे की फसल में भी मामूली नुकसान है। राजस्व विभाग के अनुसार जिले के कई गांवों में अगेती धान की फसल पूरी तरह खेतों में बिछने से नुकसान हुआ है। जिले में करीब 3 लाख एकड़ में धान की खेती की गई है। बारिश से करीब 20 हजार एकड़ में धान की फसल खेतों में बिछ गई। वहीं नरमे की खेती 58 हजार एकड़ में की गई थी। जिसमें से चुगाई के लिए तैयार फसल को ही नुकसान हुआ है। वहीं जिले में 3650 एकड़ में बाजरे की फसल बोई हुई थी। करीब 100 एकड़ में बाजरे की फसल को बारिश से नुकसान हुआ है। फसल खराब होने से उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।
कैथल: वर्षा से मिली गर्मी से राहत, धान की फसल के लिए आफत
बुधवार शाम से शुरु हुई बारिश वीरवार सुबह भी जारी है। वर्षा के कारण किसानों की कई एकड़ फसल खेतों में बिछ गई है। साथ ही मंडी में धान लेकर पहुंचे किसानों की चिंता बढी हुई है। हालांकि अभी वर्षा सामान्य ही हाे रही है। अगर ये वर्षा तेज हाे जाती है तो किसानों को भारी नुकसान हो सकता है।
बहरहाल खेतों में धान पक कर तैयार है। अगर मौसम की बेरुखी जारी रही तो किसानों को धान की फसल में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। मंडी में धान आना शुरू हो गया है। मौसम विज्ञानी का कहना है कि आगामी पांच दिन तक वर्षा के आसार हैं। ऐसे में किसानों को चिंता सता रही है कि आखिर उनकी फसल कहीं बर्बाद न हो जाए। किसान यही कामना भी कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में वर्षा न हो, जिससे किसानों के धान सुरक्षित रह सके। किसानों का कहना है कि इस मौसम में बूंदाबांदी या वर्षा होना किसानों के लिए बहुत ही नुकसानदायक है।
किसान बोले 19 हजार एकड़ में जलभराव से फसल प्रभावित
सिरसा: सिरसा में कपास का क्षेत्र 204866 हेक्टेयर, धान का 92700 हेक्टेयर, बाजरा 3192 हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई है। क्षेत्र में जलभराव से 268 शिकायतें मिली हैं। किसान नेता लखविंद्र सिंह औलख बताते हैं कि जलभराव की वजह से 19 एकड़ में फसल खराब होने के कगार पर है। जबकि प्रशासन इसे दो हजार एकड़ से तीन हजार एकड़ मांग रहा है। फसल खराब होने के मामले में कपास पर अधिक असर पड़ा है।