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अगर आपके बच्चेे को भी Mobile Phone की लत हैै तो पढ़ लें यह खबर, Addiction है बहुत खतरनाक

मोबाइल फोन की लत वाले बच्चे औसतन आठ से 11 घंटे तक Mobile में गेम खेलते और वीडियो देखते थे। इनका स्कूल जाना भी बंद हो चुका था। तीन से चार दिन में नहाते थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 09:18 AM (IST)Updated: Tue, 11 Feb 2020 08:58 AM (IST)
अगर आपके बच्चेे को भी Mobile Phone की लत हैै तो पढ़ लें यह खबर, Addiction है बहुत खतरनाक
अगर आपके बच्चेे को भी Mobile Phone की लत हैै तो पढ़ लें यह खबर, Addiction है बहुत खतरनाक

रोहतक [पुनीत शर्मा]। अभिभावक जाने-अनजाने बच्चों को Mobile सौंप देते थे, लेकिन Mobile की लत बच्चों को न केवल हिंसक बना रही है। इससे उनका भविष्य भी अंधकार की ओर अग्रसर हो रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (आइएमएच) में संचालित राज्य व्यसन निर्भरता केंद्र के चिकित्सकों द्वारा संचालित Behavioral Addiction क्लीनिक में पिछले दो वर्षों में 23 बच्चों में Mobile और दो युवाओं में पोर्न की लत को छुड़वाया जा चुका है। हालांकि लोग जागरूकता के अभाव में Mobile की लत छुड़ाने के लिए बच्चों को राज्य व्यसन निर्भरता केंद्र में नहीं लेकर आ रहे हैं। 

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डॉ. विनय, डॉ. सुनीला और डॉ. सिद्धार्थ केंद्र में आने वाले मरीजों की विभिन्न प्रकार की लत छुड़वा रहे हैं। क्लीनिक की शुरुआत से अब तक 25 लोगों का उपचार किया जा चुका है। इनमें 21 मरीजों की उम्र महज 14 से 17 वर्ष थी। वहीं दो की उम्र 14 से कम और बाकी दो 25 से अधिक के थे। सभी बच्चे Mobile Addiction के कारण हिंसक हो चुके थे।

परिजनों ने बताया था कि उक्त बच्चे औसतन आठ से 11 घंटे तक Mobile में गेम खेलते और वीडियो देखते थे। इनका स्कूल जाना भी बंद हो चुका था। तीन से चार दिन में नहाते थे। परिजन इन बच्चों पर अधिक ध्यान नहीं रख पाते थे और इनको व्यक्तिगत Mobile दिया हुआ था। इस कारण वह वह पूरी-पूरी रात Mobile में ही व्यस्त रहने लगे थे। वहीं 25 से अधिक आयु वर्ग के दोनों युवा पोर्न Addiction का शिकार थे।

शेड्यूल तैयार करते हुए किया गया उपचार

BehavioralAddiction क्लीनिक में चिकित्सकों द्वारा सभी बच्चों का दिन और रात का शेड्यूल तैयार किया गया था। साथ ही बच्चों के साथ उनके मां-बाप की भी काउंसिलिंग की गई, जिससे कि वह उनकी परेशानी को समझें और उचित व्यवहार करें। सभी बच्चों के जीवन जीने के तरीके में धीरे-धीरे बदलाव किया गया और उनकी रुचि वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ाने के लिए अधिक समय दिया। जिसके बाद उक्त सभी बच्चे अपनी लत को छोड़ सके।

बच्चों के सामने कम से कम Mobile का प्रयोग करें

आइएमएच के निदेशक डॉ. राजीव गुप्ता का कहना है कि Behavioral Addiction क्लीनिक बच्चों की Mobile व पोर्न की लत छुड़वाने के लिए किया गया था। लोगों में अभी जागरूकता का अभाव है, जिसके चलते क्लीनिक संचालन का उद्देश्य अभी पूरी तरह से सफल नहीं हो पा रहा है। लोगों से आग्रह है कि बच्चों को व्यक्तिगत Mobile न दें तथा बच्चों के सामने कम से कम Mobile का प्रयोग करें। यदि फिर भी किसी बच्चे को समस्या है तो तुरंत क्लीनिक में लाकर उनका उपचार कराएं।

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