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मिर्चपुर में इस कारण भड़की थी आग, जानें क्‍यों दबंगों ने खेला था बर्बरता का नंगा नाच

मिर्चपुर में अप्रैल 2010 में कुत्‍ते के भौंकने पर हुए झगड़े के बाद दबंग जाति के लोगों ने दलित बस्‍ती पर हमला बोल दिया था और आग लगा दी थी। बाद में नेताओं ने भी अपनी रोटियां सेकीं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 24 Aug 2018 03:55 PM (IST)Updated: Sun, 26 Aug 2018 08:52 PM (IST)
मिर्चपुर में इस कारण भड़की थी आग, जानें क्‍यों दबंगों ने खेला था बर्बरता का नंगा नाच

जेएनएन, हिसार। अाठ साल पहले हुए मिर्चपुर कांड में शुक्रवार को दिल्‍ली हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाए जाने के बाद लोगों को फिर उस खौफनाक रात की याद आ गई है। यह दिल हिला देनेवाली घटना बेहद मामूली बात पर हुई थी। दलित बस्‍ती से गुजर रहे एक दबंग समुदाय के परिवार का दामाद पर कुत्‍ते ने भौंक दिया था। इस पर झगड़े के बाद दबंगों ने दलित बस्‍ती में आग लगा दी। इसमें 70 साल के बुर्जुग ताराचंद और उनकी दिव्‍यांग बेटी सुमन जिंदा जल गए। करीब 52 अन्‍य लोग झुलस गए थे। इसके बाद विवादों की एेसी आग भड़की की कि पूरा हरियाणा और उस समय की सरकार इसकी चपेट में आ गया। इस अाग पर नेताओं ने राजनीति की रोटी खूब सेंकी।

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मिर्चपुर में दामाद पर कुत्‍ता भौंकने से भड़की थी आग, नेताओं ने भी खूब सेकीं रोटियां

19 अप्रैल 2010 का दिन था। बताया जाता है कि एक दबंग जाति के परिवार का दामाद और कुछ लोग गांव की वाल्‍मीकि बस्‍ती से गुजर रहे थे। इसी दाैरान वाल्मीकि बस्ती में योगेश चौहान के पालतू कुत्‍ते के उन पर भौंक दिया। इस पर थोड़ी देर गांव की दबंगों की बस्‍ती से कुछ लाेग वहां पहुंचे और दोनों पक्षों में कहासुनी और फिर मारपीट हो गई। इसके बाद 20 अप्रैल को लगभग शांति रही, लेकिन 21 अप्रैल को फिर विवाद भड़क गया।

यही जिंदा जल गए थे 70 साल के ताराचंद और उनकी दिव्‍यांग बेटी सुमन।

मिर्चपुर कांड ने हरियाणा की राजनीति को हिला कर रख दिया था, कांग्रेस आ गई थी दबाव में

21 अप्रैल की रात को दबंगों ने दलित बस्‍ती पर धावा बोल दिया और वहां जो मिला उसी पर हमला कर दिया। उपद्रवियों ने बस्‍ती में घरों में आग लगा दी। इससे एक घर में रह रहे 70 साल के ताराचंद और उनकी अपाहिज पुत्री सुमन जिंदा जल गए मौत हो गई। दलित बस्ती के करीब 25 घर जल गए थे। हमले और आगजनी में 52 लोग घायल हो गए थे।

घटना के बाद गांव में तैनात रहे सीआरपीएफ के जवान।

दबंगों की लगाई आग में 25 घर हो गए थे राख, वृद्ध ताराचंद व दिव्‍यांग सुमन जिंदा जल गई थी

घटना के बाद हरियाणा में हड़कंप मच गया और इसने जातीय व राजन‍ीतिक विवाद का रूप ले लिया। मिर्चपुर गांव और अासपास का क्षेत्र पुलिस छावनी में तब्‍दील हाे गया। घटना के कुछ दिन बाद गांव में सीआरपीएफ की टुकडियां तैनात कर दी गईं। इसके बावजूद असुरक्षा की भावना के कारण जनवरी, 2011 में 130 से ज्यादा दलित परिवारों ने गांव से पलायन कर लिया। यह कांड देशभर में गूंजा था और प्रदेश की बदनामी हुई थी।

 

हिसार में वेदपाल तंवर के फार्म हाऊस मेंं मिर्चपुर के दलित परिवार के लोग।

हिसार में वेदपाल तंवर के फार्म हाऊस में रह रहे हैं मिर्चपुर के 130 दलित परिवार

अब ये परिवार हिसार के कैमरी रोड क्षेत्र में वेदपाल तंवर के फार्म हाउस में शरण लिए हुए हैं। वैसे मिर्चपर गांव में अब भी 40 दलित परिवर रह रहे हैं1 14 जनवरी, 2011 को यह मामला हिसार से दिल्ली की रोहिणी अदालत में स्थानांतरित हुआ और 31 अक्टूबर, 2011 को अदालत ने तीन को उम्रकैद, पांच को पांच-पांच साल कैद सात को दो-दो साल कैद की सजा सुनाते हुए उन्हें प्रोबेशन पर रिहा कर दिया था।

हिसार में वेदपाल तंवर के फार्म हाऊस मेंं मिर्चपुर के दलित परिवार के लोग।

8 दिसंबर, 2016 को गांव मिर्चपुर से सीआरपीएफ को हटा लिया गया था। प्रशासन की तरफ से मिर्चपुर के दलितों को सुरक्षा का पूरा भरोसा दिया गया था। मिर्चपुर कांड के बाद गांव में पुलिस चौकी स्थापित की गई थी। सीआरपीएफ के करीब 75 जवान जाने के बाद चौकी स्टाफ पर सुरक्षा की जिम्मेवारी थी।

गांव में रहते हैं परिवार

मिर्चपुर गांव में 2010 में हुए विवाद के बाद आज भी 40 परिवार गांव में रहते हैं। इन परिवार में पहले मामले के गवाह भी है। इसमें मुख्य रूप से संजय, रामनिवास, अभिषेक, वीरभान, महाजन, मीना कुमार आदि हैं।

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राजनीति का अखाड़ा बन गया था मिर्चपुर, राहुल गांधी भी पहुंचे थे

घटना के बाद हिसार और मिर्चपुर राजनीति का अखाड़ा बन गया था। इस विवाद की आग पर राज्‍य और केंद्रीय नेताआें ने जमकर अपनी रोटियां सेकी थीं। इस घटना के कारण तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनकी सरकार निशाने पर आ गई थी। कांग्रेस, इनेलो, भाजपा और हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के नेताओं ने अपने हिसाब से जमकर इस पर राजनीति की। हजकां का अब कांग्रेस में विलय हो चुका है। पूरे मामले में कुलदीप बिश्‍नोई पर भी मामले को तूल देने के आरोप लगे थे। उन्‍होंने इसे गलत बताते हुए उस समय सरकार पर जमकर हमले किए थे।

पूरे मामले को जाट और गैर जाट का मामला भी बनाने की कोश्‍ािश की गई। हुड्डा सरकार पर हमले बढ़े तो राहुल गांधी भी बिना किसी पूर्व सूचना के मिर्चपुर पहुंचे अौर प‍ीडि़त परिवाराें से मिले। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने हालत पर काबू करने के साथ-साथ पूरे मामले को शांत करने की भरपूर कोश्‍ािश की। राजनीतिक विरोध्‍ाियों को जवाब देने के लिए सीएम सहित तमाम मंत्री मैदान में उतर आए।

मिर्चपुर कांड: घटनाक्रम

- 19 अप्रैल 2010 : मिर्चपुर की वाल्मीकि बस्ती में योगेश चौहान के कुत्ते के भौंकने पर दो समुदायों में मारपीट।

- 21 अप्रैल 2010 : वाल्मीकि बस्ती पर हमला, घरों में आग लगाई, ताराचंद वाल्मीकि और उसकी अपाहिज बेटी सुमन की जलने से मौत। हमले के सात आरोपी गिरफ्तार।

- 24 अप्रैल 2010 : मिर्चपुर से वाल्मीकि परिवारों का पलायन, हिसार लघु सचिवालय परिसर में धरना लगाया। पीड़ित परिवारों को मुआवजे के एलान के बाद धरना खत्म। ताराचंद के तीनों बेटों को नौकरी और करीब 25 लाख मुआवजा मिला।

- 29 अप्रैल 2010 : कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने मिर्चपुर का दौरा किया।

- 1 मई 2010 : नारनौंद थाना इंचार्ज विनोद काजल गिरफ्तार।

- 2 मई 2010 : नायब तहसीलदार जागे राम गिरफ्तार। बाद में जागेराम समेत 10 को जांच में क्लीन चिट मिली। पुलिस ने मई से सितंबर तक 103 आरोपियों को गिरफ्तार किया।

- 2 जुलाई 2010 : 13 सांसदों की संसदीय कमेटी ने मिर्चपुर का दौरा किया। अगस्त महीने में प्रदेश सरकार ने पूर्व जस्टिस इकबाल सिंह जांच आयोग गठित किया। 

- 8 दिसंबर 2010 : सुप्रीम कोर्ट ने मिर्चपुर केस को हिसार की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करने के आदेश दिए। पांच नाबालिगों को छोड़कर बाकी आरोपी हिसार की सेंट्रल जेल से तिहाड़

जेल स्थानांतरित।

- 15 दिसंबर : अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की टीम ने मिर्चपुर का दौरा किया। 

- 14 जनवरी 2011 : रोहिणी में अनुसूचित जाति एवं जनजाति की विशेष अदालत में एडीजे डा. कामिनी लाऊ ने सुनवाई शुरू की।

- जनवरी 2011 में 130 से अधिक परिवार गांव छोड़ कर कैमरी रोड स्थित वेदपाल तंवर के फार्म हाऊस में आए

- 31 अक्टूबर 2011 को रोहणी कोर्ट ने 15 लोगों को सजा सुनाई। इन 15 में से तीन लोगों को उम्रकैद, पांच को पांच-पांच साल की कैद, सात लोगों को दो-दो साल कैद की सजा हुई थी। इन पर 20-20 हजार रुपये जुर्माना हुआ था।

- 2011 में एक गवाह विक्की गवाह की मौत हो चुकी है।

- 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दो सदस्य कमेटी गठित की थी। हिसार के सेशन जज और मुंबई से प्रोफेसर शमीम मोदी थे।

- अगस्त 2014 में दो सदस्य कमेटी ने पुर्नवास के लिए टाउनशिप बनाने की सिफारिश की थी।

- 2014 में मामला सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भेजा। वहां यह मामला अभी चल रहा है।

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पिछले साल फिर उभरा विवाद, दलितों ने किया पलायन

 

एक बार फिर विवाद होने के बार 31 जनवरी 2017 को मिर्चपुर गांव से पलायन करते दलित परिवार।

- 30 जनवरी 2017 को देर रात फिर दलितों और दबंग जाति के लोेगों के बीच झगड़ा हो गया था। हमले में शिव कुमार, सोमनाथ, रोहित, हरप्रीत और गुरमीत नामक युवा घायल हो गए। राहुल पुत्र ईश्वर, राहुल पुत्र प्रकाश और संदीप को भी चोट लगीं।  झगड़े के बाद दलित समुदाय ने मिर्चपुर चौकी में पुलिस को शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करने पर लोग भड़क गए। हमला होने से डरे दलित समुदाय ने गांव से पलायन की तैयारी कर ली थी।  इसके बाद एसपी ने चौकी इंचार्ज का तबादला कर दिया था।

- 31 जनवरी 2017 को दलित बस्‍ती से 40 परिवारों ने गांव से पलायन कर लिया। इसके बाद पलायन करने वाले परिवारों से मंत्री कृष्ण बेदी ने रात को मुलाकात की थी। उन्‍होंने घायलों को 50 हजार, परिवारों को 25 हजार, एक सरकारी नौकरी, प्रत्येक परिवार को क्वार्टर  देने का वादा किया।

- 1 फरवरी 2017 को गांव में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य एवं पूर्व राज्यसभा सांसद ईश्वर सिंह पहुंचे। उन्होंने गांव मिर्चपुर में विवाद की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया था। यह कमेटी को दस दिन में रिपोर्ट देने को कहा था। कमेटी में उपायुक्त सहित दो मजिस्ट्रेट को लगाया गया।

- 21 अक्टूबर 2017 को मिर्चपुर कांड के पीडि़तों के पुनर्वास संबंधी याचिका पर हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया। इसमें बताया गया कि मिर्चपुर गांव में दलितों को अब कोई खतरा नहीं है। सरकार के कोर्ट में दिए गए हलफनामे से दलित नाराज हो गए थे। दलितों का कहना था कि वे डर के मारे पलायन करके आए थे ना कि रोजगार के लिए।

- 5 अप्रैल 2018 को सरकार ने बाल्मीकि समुदाय के लोगों के लिए ढंढूर में साढ़े आठ एकड़ जमीन पर 256 लोगों को प्लाट देने की घोषणा की थी।

- 14 अप्रैल 2018 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने गांव ढंढूर में मिर्चपुर पीड़ितों के लिए चिह्नित की गई जमीन को देखने पहुंचे।

-  7 जुलाई 2018 को मुख्यमंत्री ने गांव ढंढूर में मिर्चपुर पीड़ितों को बसाने के लिए पुनर्वास योजना का शुभारंभ किया।

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सरकार ये सुविधाएं देगी

साढ़े आठ एकड़ में चार करोड़ 56 लाख रुपये की लागत से आवासीय सुविधाएं दी जाएगी। इस क्षेत्र का नाम दीनदयाल पुरम रखा गया है। इस क्षेत्र में एक पार्क भी विकसित किया जाएगा, जिसका नाम भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क रखा जाएगा।


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