नौ राज्यों में लाखों पक्षी बने एवियन इन्फ्लूएंजा के शिकार, सात लाख से ज्यादा पक्षी मारे गए, इंसानों के लिए भी घातक
Disease in Birds नौ राज्यों में पक्षी एक घातक रोग एवियन इन्फ्लू्लूएंजा के शिकार हो रहे हैं। अब तक इस घातक बीमारी से करीब सात लाख पक्षियों की मौत हो चुकी है। यह बीमारी इंसानों के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
जागरण संवददाता, हिसार : पशु-पक्षियों से इंसानों और इंसानों से पशु-पक्षियों में फैलने वाली जूनोटिक बीमारियां अपना शिकंजा कसती जा रही हैं। पक्षियों में एवियन एन्फ्लूएंजा रोग तेजी से फैल रहा है और इसके लाखों पक्षी शिकार हो रहे हैं। अब तक इस बीमारी से करीब सात लाख पक्षियों की माैैत हो चुकी है। यह इंसानों के लिए घातक हो सकता है।
महाराष्ट्र और केरल में सबसे अधिक एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप केंद्र मिले
दिसंबर 2020 से दिसंबर 2021 के बीच देश के नौ राज्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा (एच 5 एन 1) यानि बर्ड फ्लू ने पक्षियों को शिकार बनाया है। इस वायरस के कारण इन राज्यों में कई प्रकोप केंद्र बने। महाराष्ट्र में 52 तो केरल में 22 एवियन इन्फ्लूएंजा प्रकोप केंद्र मिले। लोगों को जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए इन नौ राज्यों में 7.43 लाख पक्षियों को मारना पड़ा।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार जिन राज्यों को बर्ड फ्लू ने प्रभावित किया उनमें हरियाणा के अलावा पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, जम्मू कश्मीर, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं। इसके लिए केंद्र सरकार ने कड़े कदम भी उठाए हैं। कई राज्य इस बीमारी से खुद को मुक्त घोषित भी कर चुके हैं।
एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप की स्थित
अवधि - प्रभावित राज्य - प्रकोप केंद्रों की संख्या - मारे गए पक्षियों की संख्या (लाख में)
दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 -केरल - 7 - 0.69
जनवरी और फरवरी 2021 -हरियाणा - 4 - 1.74
फरवरी से अप्रैल 2021 - जम्मू कश्मीर - 6 - 0.08
जनवरी और फरवरी 2021 -गुजरात - 3 - 0.17
जनवरी से अप्रैल 2021 - महाराष्ट्र - 52 - 1.45
दिसंबर 2020 से जनवरी 2021 -मध्य प्रदेश - 3 - 0.31
जनवरी 2021 - उत्तर प्रदेश - 1 - 0.14
जनवरी से अप्रैल 2021 - पंजाब - 4 - 1.45
जनवरी 2021 - छत्तीसगढ़ - 2 - 0.23
नवंबर और दिसंबर 2021 -केरल - 22 - 1.17
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क्या है एवियन इन्फ्लूएंजा
यह बीमारी वर्ष 2006 में सामने आई थी। एवियन इन्फ्लूएंजा (एआइ) अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो खाद्य-उत्पादन करने वाले पक्षियों (मुर्गियों, टर्की, बटेर, गिनी फाउल) सहित पालतू और जंगली पक्षियों की कई प्रजातियों को प्रभावित करती है। इस विषाणु को इन्फ्लूएंजा ए या टाइप ए विषाणु भी कहते हैं। कभी-कभी यह विषाणु मानव सहित अन्य कई स्तनधारी जीवों को भी संक्रमित कर सकता है।
एवियन इन्फ्लूएंजा पर विशेषज्ञों की राय
हिसार स्थित लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के शोध निदेशक व अमेरिका में एवियन इन्फ्लूएंजा पर कार्य कर चुके डा. नरेश जिंदल बताते हैं कि केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठा रही हैं। हरियाणा में पिछली बार जब बर्ड फ्लू का प्रकोप हुआ था तब लुवास में राज्य स्तरीय लैब स्थापित की गई थी।
उन्होंने कहा कि हम पहले चरण की टेस्टिंग यहां कर सकते हैं, मगर फाइनल रिपोर्ट के लिए सैंपल भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान में भेजने पड़ते हैं। अगर कोई भी पशु या मनुष्य एवियन इन्फ्लूएंजा से ग्रसित पक्षी के संपर्क में आता है तो वह भी संक्रमित हो सकता है। कई बार हमने देखा कि पशुपालक यूं ही सड़क पर इस वायरस से ग्रसित पक्षियों को फेंक देते है। ऐसे रोगग्रसित पक्षियों को गड्ढा खोदकर चूना डालकर दबाना चाहिए।