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मेनका गांधी की टीम देखेगी आखिरकार डिप्टी मेयर कैसे चलाते हैं साबुन फैक्टरी में गोशाला

जागरण संवाददाता, हिसार : गांव सातरोड स्थित साबुन फैक्टरी में गोशाला चलाने पर डिप्टी मेयर भीम महाजन प

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 09:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 09:00 AM (IST)
मेनका गांधी की टीम देखेगी आखिरकार डिप्टी मेयर कैसे चलाते हैं साबुन फैक्टरी में गोशाला
मेनका गांधी की टीम देखेगी आखिरकार डिप्टी मेयर कैसे चलाते हैं साबुन फैक्टरी में गोशाला

जागरण संवाददाता, हिसार : गांव सातरोड स्थित साबुन फैक्टरी में गोशाला चलाने पर डिप्टी मेयर भीम महाजन पर शिकंजा कसता जा रहा है। बिना रजिस्ट्रेशन और नियमों को ताक पर रखकर चलाई जा रही इस गोशाला का मामला केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी तक पहुंच गया है। पशुओं पर अत्याचार रोकने के लिए काम कर रही उनकी संस्था पीपल्स फॉर एनीमल के सदस्य सोमवार को उनकी फैक्टरी का निरीक्षण करेंगे जहां गोशाला चलाई जा रही है। संस्था यहां निरीक्षण कर देखेगी कि आखिरकार डिप्टी मेयर भीम महाजन कैसे साबुन फैक्टरी में गायों को पाल रहे हैं। संस्था यह भी देखेगी कि आखिरकार नगर निगम की नाक की नीचे इस तरह चल रही गोशाला कैसे चलती रही। अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद क्यों इसे रोका नहीं गया। संस्था के सदस्य पूरी रिपोर्ट बनाकर केंद्रीय मंत्री को देंगे इसके बाद संस्था की ओर से कड़ा संज्ञान लिया जाएगा।

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वहीं दूसरी ओर मामला सुर्खियों में आने के बाद प्रशासन भी नियमों को ताक पर रखकर बनाई गोशाला पर सख्त होता जा रहा है। शनिवार को इस मामले में नगर निगम के ज्वाइंट कमिश्नर जयवीर यादव ने निगम कर्मचारियों से डिप्टी मेयर की गोशाला से संबंधित रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा पशुपालन विभाग की टीम भी सोमवार को फैक्टरी मालिक को इस मामले में नोटिस थमाएगी। सोमवार को ही इस मामले में गो सेवा आयोग के सदस्य भी इस मसले को लेकर फैक्टरी का निरीक्षण कर सकते हैं। डीसी ने पशुपालन विभाग से मांगी रिपोर्ट

वहीं डीसी अशोक कुमार मीणा भी इस मामले में पूरी नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने इस गोशाला से संबंधित सारी जानकारी पशुपालन विभाग से ली और उन्हें आदेश दिए हैं कि साबुन फैक्टरी में गोशाला चलाने का मामला क्या है इस पर पूरी रिपोर्ट बनाकर उनके सामने पेश की जाए। इस रिपोर्ट के आधार पर ही आगामी कार्रवाई की जाएगी।

ये है मामला :::

गायों और नंदियों की सेवाओं में आगे रहने वाले डिप्टी मेयर भीम महाजन व उनकी पिता साबुन व क्रेशर फैक्टरी में सालों से गोशाला चला रहे हैं। बीते दिनों प्रदूषण बोर्ड और नगर निगम प्रशासन के अधिकारियों को जानकारी मिली तो जांच का सिलसिला शुरू हो गया। जहां प्रदूषण बोर्ड ने मौका निरीक्षण किया तो उनके होश उड़ गए। कैमिकल की इंडस्ट्री के अंदर क्रेशर और साबुन बनाने की फैक्टरी भी चल रही थी। प्रदूषण बोर्ड के दबाव में क्रेशर फैक्टरी को आनन फानन में बंद कर दिया गया। परंतु साबुन बनाने की फैक्टरी आज भी जारी है। मामले का खुलासा तब हुआ जब तीन महीने पहले किसी अज्ञात व्यक्ति ने डिप्टी मेयर भीम महाजन की इंडस्ट्री में चल रही गोशाला को लेकर शिकायत दी। शिकायत मिलने के बाद पर्यावरण विभाग ने पशुओं के स्वास्थ्य को देखते हुए तुंरत प्रभाव से क्रेशर स्टोन को बंद करने के आदेश दे डाले। वहीं किराये पर दी गई इंटरलॉ¨कग बनाने की फैक्टरी पर भी मजबूरन महाजन परिवार को बंद करनी पड़ी। इन सब घटनाओं के बावजूद साबुन बनाने की फैक्टरी आज तक चल रही है और उसके साथ लगते इंडस्ट्रियल गोदाम में गायों को रखा जा रहा है।

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ये है इतिहास

साल 1989 में इंडस्ट्री के लिए पौने चार एकड़ जमीन खरीदी गई। डिप्टी मेयर भीम महाजन के पिता गुलशन महाजन ने गुलशन शॉप एंड कैमिकल के नाम से इंडस्ट्री पौने चार एकड़ में सातरोड के सामने स्थापित की। साबुन बनाने के साथ वहां पर 60 गायों को रखना शुरू कर दिया। गोशाला का रूप दे दिया गया। एसपी श्रीकांत जाघव ने सातरोड के पास कई गायों से भरा ट्रक पकड़ा था। उस दौरान महाजन परिवार ने अपनी गोशाला में उन्हें रखने की अनुमति ले ली। इसके बाद कैमिकल इंडस्ट्री में गोशाला धड़ल्ले से चलने लगी। लाला श्री कांशी राम महाजन के नाम पर गोशाला का नाम रखा गया और पशुओं की संख्या 250 पहुंच गई। वहीं दूसरी ओर साबुन बनाने की फैक्टरी में धीरे-धीरे क्रेशर व टाइल बनाने भी शुरू हो गया। बड़े स्तर पर जहां इंडस्ट्री चल रही थी। गायों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता दिखाने के बजाय धड़ल्ले से धूल और कैमिकल के साथ उनको रखते रहे। ..

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गायों की सेहत से ऐसे हो रहा खिलवाड़

. साबुन बनाने की कैमिकल इंडस्ट्री में भाप बनती है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के कैमिकल फर्श व अन्य जगहों पर गिरते हैं जो पानी के साथ जमीन में जाते है। फैक्टरी की खुली जगह में बचे हुए अवशेष भी डलते हैं, जिससे कैमिकल भूमि में जाता है और पानी के साथ मिलते हैं।

. भूमिगत पानी में टीडीएस सहित विभिन्न प्रकार इंडस्ट्रियल कैमिकल होते हैं। जो धीरे-धीरे पशुओं को नुकसान पहुंचाते हैं और उन पशुओं का दूध पीने वालों के स्वास्थ्य पर भी नियमित सेवन से दुष्प्रभाव पड़ता है।

. क्रेशर से उड़ने वाली धूल हवा के साथ पशुओं की सांसों में जाती है, जिसका उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

कोट्स

मेरे संज्ञान में यह मामला है और मैं पूरे मामले को चेक कर रहा हूं। अधिकारियों से रिपोर्ट लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

- डा. जयवीर ¨सह यादव, ज्वाइंट कमिश्नर

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कोट्स

मैं मामले पर पूरी नजर बनाए हुए हूं। मैंने पशुपालन विभाग से रिपोर्ट मांगी है। पशुपालन विभाग जैसे ही रिपोर्ट मुझे देगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

अशोक कुमार मीणा, डीसी, हिसार।


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