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पिता बोला- नाम का अर्थ ही नहीं, बेटा जाने शौर्य की कहानी, इसलिए नाम रखा है अभिनंदन

पिता ने कहा बड़ा होकर बेटा जब स्वयं के नाम के बारे में सोचेगा पाकिस्तान के कब्जे से लौटे जाबांज सैनिक की बेबाकी और शौर्य की कहानी उसे गर्व से भर देगीवो फौजी भी बनेगाअभिनंदन जैसा

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 01:56 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 11:25 AM (IST)
पिता बोला- नाम का अर्थ ही नहीं, बेटा जाने शौर्य की कहानी, इसलिए नाम रखा है अभिनंदन
पिता बोला- नाम का अर्थ ही नहीं, बेटा जाने शौर्य की कहानी, इसलिए नाम रखा है अभिनंदन

हिसार [संदीप बिश्नोई] मिग 21 प्‍लेन से पाकिस्‍तान के प्‍लेन F-16 को ध्‍वस्‍त करने वाले और पाकिस्‍तान की धरती से चौड़ी छाती कर सही सलामत गर्व से वतन लौटे विंग कमांडर अभिनंदन का जिक्र हर आेर है। हर कोई उनको सम्‍मान देने के लिए आतिशबाजी, निशुल्‍क खाना खिलाने समेत अलग-अलग तरीके अपना रहा है। मगहर हरियाणा के हिसार जिले में युवक अजय ने अभिनंदन को सम्‍मान देने के लिए अलग ही तरह का काम किया है। युवक अजय ने अपने आठ दिन पहले जन्‍मे बेटे का नाम ही अभिनंदन रख दिया।

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अजय का कहना है कि हमारे अभिनंदन ने साहस और वीरता की नई इबारत लिखी है। मैं भी उनके जैसा निडर फौजी बनना चाहता था, लेकिन पारिवारिक परिस्थितयां और किस्मत ऐसी रहीं कि मैं सैनिक नहीं बन पाया। मैं अपने आठ दिन के बेटे का नाम अभिनंदन रख रहा हूं। बड़ा होकर जब-जब वो स्वयं के नाम के बारे में सोचेगा, पाकिस्तान के कब्जे से लौटे जाबांज सैनिक की बेबाकी और शौर्य की कहानी उसे गर्व से भर देगी। फिर वो फौजी भी बनेगा, वो भी अभिनंदन जैसा।

देश को 10 फीसद सैनिक देने वाले हरियाणा के गांव बाड्या ब्राह्मणान के अजय कुमार के साथ उनकी पत्नी ममता वर्मा भी कहती हैं कि एक मां के रूप में मेरे लिए इससे अच्छी बात ओर क्या होगी कि मां भारती के एक वीर सैनिक के नाम पर हम अपने बेटे का नाम रख रहे हैं। हम सोच ही रहे थे कि बेटे का क्‍या नाम रखें, और अचानक ये घटना हुई तो अभिनंदन के नाम पर ही नाम रखने का संकल्‍प कर लिया।

अजय कुमार के अनुसार वे सैनिक बनना चाहते थे। इसके लिए एक बार सिरसा जिले में हुई फौजी भर्ती में गए, लेकिन डॉक्यूमेंट में कमी के कारण वे सेना में भर्ती नहीं हो पाए। पिता बचपन में ही चल बसे थे, इसलिए पारिवारिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। उन्हें मजबूरन घर चलाने के लिए प्राइवेट नौकरी करनी पड़ी और ट्रांसपोर्ट में काम पर लग गए। इसके बाद दोबारा भर्ती में नहीं जा पाया। अब मैं छतीसगढ़ में ट्रांसपोर्ट में काम कर रहा हूं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जो कुछ सीमा पर हो रहा है, उससे खून खोल उठता है। सोचता हूं कि काश मेरा भी सेना में चयन हो गया होता और मैं भी अभिनंदन की तरह सीमा पर दहाड़ रहा होता।


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