फतेहाबाद में भी पहुंची लंपी स्किन डिजीज, 14 गायों की सैंपल की रिपोर्ट आई पाजीटिव, रहें सतर्क
पशुपालन विभाग ने शुक्रवार को रतिया गोशाला के अलावा बाड़ा महमड़ा क्षेत्र से 12 गोवंश के 42 सैंपल लिए थे। जिसमें सभी पशु लंपी स्किन डिजीज से ग्रस्त मिले। संक्रमण से फैल रही बीमारी में देशभर में अनेक पशु संक्रमित हो रहे है।
जागरण संवाददाता, फतेहाबाद : फतेहाबाद जिले में लंपी स्किन डिजीज की बीमारी तेजी से फैल रही हैं। रतिया क्षेत्र में कई गोवंशों में बीमारी की पुष्टि स्वास्थ्य विभाग के सैंपल में हो गई। अब स्वास्थ्य विभाग रिपोर्ट के आधार पर पशुओं का इलाज शुरू कर दिया है। वहीं अन्य जगह भी ऐसे पशुओं की तलाश की जा रही है। ताकि पशुओं में इस लंपी स्किन डिजीज के लक्षण मिलने के बाद तुरंत सैंपल लेते हुए इलाज शुरू किया जा सके। पशुपालन विभाग ने शुक्रवार को रतिया गोशाला के अलावा बाड़ा, महमड़ा क्षेत्र से 12 गोवंश के 42 सैंपल लिए थे। जिसमें सभी पशु लंपी स्किन डिजीज से ग्रस्त मिले।
संक्रमण से फैल रही बीमारी में देशभर में अनेक पशु संक्रमित हो रहे है। जिले में अब इस रोग की पुष्टि होने के बाद पशुपालन विभाग भी सक्रिय हो गया। सोमवार को पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. सुखविंद्र सिंह ने जिले के पशुपालन विभाग के चिकित्सकों व उपमंडल अधिकारियों की बैठक ली। बैठक उन्होंने अधिकारियों व चिकित्सकों को निर्देश दिया कि वे लगातार गांवों व गोशालाओं का विजिट करें। वहां पर लोगों को जागरूक करें कि बीमारी से ज्यादा भयभीत न हो। इस बीमारी से पशुओं की मृत्यु दर बेहद कम है।
जिन 12 पशुओं में लंपी स्किन डिजीज होने की पुष्टि हुइ है। उन पशुओं में कई प्रकार की अन्य बीमारी भी सामने आई है। पशुओं में खून की कमी तो है ही। इसके अलावा बुखार व पशुओं में बुखार व भूख न लगने की बीमारी भी है। पाचन क्रिया भी प्रभावित हुई है। वहीं चीचड़ से अधिक बीमारी फैलती है।
आजकल पशुओं को चीचड़ का प्रकोप ज्यादा है। एक चीचड़ 24 घटे में 1.25 ग्राम पशु का खून चूस लेता है तथा शकर किस्म की गायों में चिचूडिया बुखार (थिलेरिया) कर देता है। संक्रमित बीमारी लंपी स्क्रिन को चीचड़ ही तेजी से फैला रहे है। चीचड़ों को कंट्रोल करने के लिए ब्यूटोक्स दवा 2 मिलीलीटर एक लीटर पानी में मिलाकर बाडे़ में पशु के शरीर पर स्प्रे करे। पशुपालक इस बात का ध्यान रखें कि यह स्प्रे खुरली में न करे, जिससे पशुओं को नुकसान हो सकता है। 4-5 दिन बाद दूसरा स्प्रे करे तथा पशु के शरीर पर जख्म हों तो उसे छाया में ही रखें। उन्होंने कहा कि पशुओं को संतुलित दाना दें।
पशुपालन विभाग गोशालाओं का निरीक्षण करते हुए गोवंश को संक्रमित बीमारी से बचाने का प्रयास कर रहा है। पशुपालन विभाग के वीएस व वीएलडी लगातार गोशालाओं में जाकर पशुओं की देखरेख कर रहे है। सोमवार को एक दर्जन के करीब गोशाला में पशुपालन विभाग के चिकित्सक गए। वहां पर गोशाला प्रबंधकों को बीमारी के बचाव के उपचार बताए। लंपी स्किन डिजीज का अक्सर गोवंश पर अधिक होता है।
- सुखविंद्र सिंह, उपनिदेशक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग।