Move to Jagran APP

हरियाणा बार्डर के करीब पहुंचा टिड्डी दल, एमपी की ओर हो सकता है रुख, अलर्ट घोषित

राजस्थान सीमा से डटे हरियाणा के सात जिले हाई अलर्ट पर। हरियाणा सीमा से 135 किमी दूर होने की वैज्ञानिकों ने दी जानकारी। हवा का रूख तय करेगा किस ओर जाएगा टिड्डी दल

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 07:10 AM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 07:10 AM (IST)
हरियाणा बार्डर के करीब पहुंचा टिड्डी दल, एमपी की ओर हो सकता है रुख, अलर्ट घोषित
हरियाणा बार्डर के करीब पहुंचा टिड्डी दल, एमपी की ओर हो सकता है रुख, अलर्ट घोषित

हिसार, जेएनएन। टिड्डी दल के हमले की आशंका से राजस्थान सीमा से लगते हरियाणा के सात जिले सहमे हुए हैं। इन जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। दवाओं का स्टॉक इन जिलों में पहुंच चुका है। राजस्थान से स्टे सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़ और नूंह जिलें के किसानों के साथ हरियाणा कृषि विभाग और चौधरी चरण ङ्क्षसह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) की टीमें संपर्क बनाए हुए हैं।

loksabha election banner

यहां के किसानों को वाट््सएप ग्रुप और आनलाइन माध्यम से जागरूक किया जा रहा है और कोई भी टिड्डी दिखने पर तुंरत सूचना देने को कहा गया है। प्रदेश में टिड्डी दल से निपटने को सभी जिलों में नोडल अधिकारी बनाए गए हैं।

एचएयू के कीट विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी टिड्डी दल हरियाणा सीमा से 135 किलोमीटर दूर है। गंगानगर और जयपुर के पास इस दल के होने की सूचना मिल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हरियाणा पर टिड्डी का खतरा टल सकता है क्योंकि यह सूचना भी आ रही है कि इस दल ने मध्यप्रदेश की ओर रूख कर लिया है। मगर फिर भी अलर्ट रहने की जरूरत है क्योंकि हवा ही इनकी दिशा तय करती है। इन टिड्डियों की संख्या 10 हजार टिड्डियां प्रति हेक्टेयर या 5-6 टिड्डियां प्रति झाड़ी आंकी गई है।

रेतीली मिट्टी में 10-15 सेंटीमीटर गहराई में समूह में देती हैं अंडे

चौधरी चरण ङ्क्षसह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग ने किसानों को टिड्डी दल से सुरक्षा संबंधित महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि टिड्डियां छोटे एंटिना वाली और प्रवासी आदत की होती हैं। टिड्डियां अकेले या झुंड में रहती हैं, बहुभक्षी होती हैं। व्यस्क मादा टिड्डियां नमी युक्त रेतीली मिट्टियों में 10-15 सेंटी मीटर की गहराई पर समूह में 60 से 80 अंडे देती हैं। अंडे चावल के दाने के समान 7 से 9 मिलीमीटर लंबे और पीले रंग के होते हैं। अंडों से शिशु निकलते हैं उन्हें होपर या फुदका कहा जाता है जो कि सबसे ज्यादा नुकसान करता है। इनका रंग पीला, गुलाबी एवं काली धारियों युक्त होता है। टिड्डी के उडऩे की क्षमता 13 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा होती है और इसका झुंड 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है। टिड्डी दल रात को झाडिय़ों एवं पेड़ों पर विश्राम करती है और सुबह उडऩा प्रारंभ करती है।

150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर लेती हैं टिड्डियां

झुंड में टिड्डियां हजारों से लेकर लाखों की संख्या तक हो सकती है। यह झुंड दिन के समय 12 से 16 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 150 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं। ये झुंड रात के समय विभिन्न वनस्पतियों पर बैठ जाते हैं और अधिक से अधिक क्षति पहुंचाते हैं। इन टिड्डियों का रंग जब गहरा भूरा या पीला होने लगे तो यह परिपक्व व्यस्क बन जाती हैं जो अंडे देने में सक्षम होती हैं। अंडे देने की स्थिति आने पर ये टिड्डियां 2-3 दिनों तक उड़ नहीं पाती।

टिड्डियां आने पर इन बातों का रखें ध्यान

- हरियाणा में टिड्डियों के झुंड के प्रवेश करने की संभावना कम है परन्तु सचेत रहकर आपसी सहयोग करें ।

- टिड्डियों के झुंड के दिखाई देने पर ढोल या ड्रम बजाकर इन्हें फसलों पर बैठने से रोका जा सकता है।

- रेतीले टिब्बों, इलाकों में अगर टिड्डियों के झुंड (पीले रंग की टिड्डियां) जमीन पर बैठी दिखाई दे तो उस स्थान को चिन्हित कर तुरंत सूचित करें।

- टिड्डियां अगर झुंड में न होकर अलग-2 हैं और इनकी संख्या कम है तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

- अनावश्यक कीटनाशकों का प्रयोग फसलों पर न करें।

टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए सिफारिश किए गए कीटनाशक

कीटनाशक- मात्रा प्रति हैक्टेयर

क्लोरपायरिफास- 20 फीसद ईसी 1.2 लीटर

क्लोरपायरिफास- 50 फीसद ईसी 480 मिली लीटर

मैलाथियान- 50 फीसद ईसी 1.85 लीटर

मैलाथियान- 25 फीसद डब्ल्यूपी 3.7 किलो ग्राम

डैल्टामैथरिन- 2.8 फीसद ईसी 450 मिली लीटर

फिपरोनिल- 5 फीसद एससी 125 मिली लीटर

फिपरोनिल- 2.8 फीसद ईसी 225 मिली लीटर

लैम्डा-साइहैलोथ्रीन- 5 फीसद ईसी 400 मिली लीटर

लैम्डा-साइहैलोथ्रीन- 10 फीसद डब्ल्यूपी 200 ग्राम

----टिड्डी दल अभी हरियाणा सीमा से 135 किमी दूर है। हरियाणा में इसके प्रवेश की संभावना कम है फिर भी प्रदेश अलर्ट पर है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक हरियाणा कृषि विभाग के साथ तालमेल करके काम कर रहे हैं। टिड्डी से निपटने को पुख्ता प्रबंध है।

- प्रोफेसर योगेश कुमार, एचओडी, कीट विज्ञान विभाग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.