Move to Jagran APP

नेताजी के गनर रहे 98 वर्षीय जीवित स्वतंत्रता सेनानी को मृत मान गौरव पट पर दिखाया स्वर्गीय

गांव में पंचायत विभाग द्वारा लगाए गए गौरव पट पर उन्हें स्वर्गीय दर्शाकर उनके अपमान करने का मामला प्रकाश में आया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 12:24 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 12:34 PM (IST)
नेताजी के गनर रहे 98 वर्षीय जीवित स्वतंत्रता सेनानी को मृत मान गौरव पट पर दिखाया स्वर्गीय

राजेश चुघ ,बरवाला : बरवाला उपमंडल के ऐतिहासिक व स्वतंत्रता सेनानियों के गांव हसनगढ़ के निवासी जिला हिसार के एक मात्र जीवित स्वतंत्रता सेनानी आजाद ¨हद फौज के सिपाही 98 वर्षीय भलेराम, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ गनर के रूप में कार्य कर चुके हैं। इस महान शख्सियत को उन्हीं के गांव में पंचायत विभाग द्वारा लगाए गए गौरव पट पर उन्हें स्वर्गीय दर्शाकर उनके अपमान करने का मामला प्रकाश में आया है। ग्राम वासियों ने विभाग की इस बड़ी त्रुटि पर रोष जताया है। इतना ही नहीं एक अन्य दिवंगत स्वतंत्रता सेनानी का नाम भी इस गौरव पट पर गलत लिख दिया गया है। यह गौरव पट गांव में ऐसे स्थान पर लगाया गया है जो सभी को दिखाई भी नहीं पड़ता। गांव के समाजसेवी व स्वतंत्रता सेनानी के भतीजे कुलदीप कोहाड़ ने बताया कि इस त्रुटि को ठीक कराने के लिए वह पंचायत सेक्रेटरी, खंड विकास कार्यालय और जिला विकास व पंचायत अधिकारी सभी को अवगत करा चुके हैं, परंतु उन्होंने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।

loksabha election banner

गौरव पट पंचायती राज हिसार से बनकर आए--बीडीपीओ

इस बारे में बरवाला के खंड विकास व पंचायत अधिकारी संजय टाक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गौरव पट पंचायती राज के हिसार में कार्यकारी अभियंता के कार्यालय से बनकर आए हैं। इसके बारे में वही बेहतर बता सकते हैं।

हमे जो मैटर डीडीपीओ ने दिया वही ¨प्रट कर दिया- एसडीओ

वहीं जब इस बारे में पंचायती राज के कार्यकारी अभियंता कार्यालय में एसडीओ प्रेम ¨सह राणा से जब बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जो भी मैटर जिला विकास व पंचायत अधिकारी कार्यालय और लोक संपर्क कार्यालय से अप्रूव करके हमें दिया गया। वही मैटर हमने इस पर ¨प्रट करवाया है। अब अगर हमें वह इस बारे में त्रुटि ठीक करके नया मैटर देंगे तो उस त्रुटि को ठीक करवा दिया जाएगा।

मैंने कार्यकारी अभियंता को बोल दिया है-- डीडीपीओ

इस बारे जिला विकास व पंचायत अधिकारी अशवीर नैन से जब बात की गई तो उन्होने बताया कि उन्होने गौरव पट पर हुई इस त्रुटि को ठीक करने के लिए पंचायती राज के कार्यकारी अभियंता को बोल दिया है। इसे ठीक कर दिया जाएगा।

जनवरी माह में किया गया था सम्मानित

जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी राज्य मंत्री डा. बनवारी लाल ने बरवाला के किसान विश्राम गृह में स्वतंत्रता सेनानी आजाद ¨हद फौज के सिपाही भले राम को नेताजी सुभाष चंद्र जयंती के उपलक्ष्य पर इसी वर्ष जनवरी माह में उन्हें सम्मान स्वरूप शाल, सम्मान पत्र और मन की बात सुनने के लिए एक रेडियो भी भेंट किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के काफी निकट रहे

स्वतंत्रता सेनानी भलेराम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गनर के रुप में भी काम कर चुके हैं और तीन माह तो वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के काफी निकट रहे। 98 वर्षीय भलेराम आज भी उन दिनों के किस्से सुनाते समय जोश से भर जाते है। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कई देशों में आजादी की लड़ाई में भागीदारी की थी। लड़ाई के दौरान बारिश के दिनों में उनके पास कई-कई दिनों तक राशन नहीं पहुंचता था और एक बार तो उन्होंने लगातार एक सप्ताह तक घास उबाल कर खाया। लड़ाई लड़ते हुए वे श्याम मंगोई, बर्मा, थाईलैंड, रंगून, बैंकांक और इंफाल होते हुए असम की पहाड़ियों के रास्ते मांडले आए। मांडले में नेताजी का बंगला था, यहां उन्होंने तीन महीने डयूटी दी।

लड़ाई के दौरान नदियों व नहरों से गुजरते हुए गीले हुए कपड़े पहने-पहने ही सूख जाते थे, क्योंकि पहनने के लिए दूसरे कपड़े नहीं होते थे। 1945 में पेगू में लड़ाई के दौरान नेताजी से उनकी अंतिम मुलाकात हुई थी। 16 जून 1945 को इन्हे पेगू में गिरफ्तार करके रंगून की जेल में भेज दिया। वहां जेल में हर तरफ कीचड़ था और खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं थी। उस जेल में भले राम सवा साल रहे और देश को आजादी मिलने के बाद वापस भारत भेजा गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.