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माता-पिता और छोटी बहन तो न बची मगर हौसले से मौत को मात दे गई 10 साल की बच्‍ची

रोहतक पीजीआई में कार्यरत डॉ. प्रमोद ने आत्‍महत्‍या कर ली तो यह जान पत्‍नी दो बेटियों को लेकर पानी के टैंक में कूद गई। मां और छोटी बहन भी नहीं बचे मगर 10 साल की बच्‍ची एक तरकीब के सहारे बाहर निकल आई।

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 04:10 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 04:10 PM (IST)
माता-पिता और छोटी बहन तो न बची मगर हौसले से मौत को मात दे गई 10 साल की बच्‍ची
रोहतक में एक 10 साल की बच्‍ची ने साहस का परिचय देकर मौत को मात दे दी

रोहतक, जेएनएन। जाको राखे साइंया, मार सके न कोय, यह कहावत एक बार और सच साबित हुई है। रोहतक में पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के नर्सिंग कालेज के लेक्चरर डा. प्रमोद ने आत्‍महत्‍या कर ली तो यह जान पत्‍नी अपनी दो बेटियों के साथ पानी के टैंक में कूद गईं। माता-पिता और बहन तो नहीं बची मगर दस साल की अन्‍ना ने मौत को मात दे दी। अन्ना को समर कैंप में ही पिता ने तैराकी सिखाई थी, जो उसकी जिंदगी बचाने में कारगर साबित हुई।

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अन्ना पिता व परीक्षा मां की चहेती

दस वर्षीय अन्ना पिता डा. प्रमोद की चेहती तो पांच वर्षीय परीक्षा मां की प्यारी थी। डा. प्रमोद के सुसाइड करने के बाद मां मीनाक्षी दोनों बेटियों के साथ जलघर के टैंक में कूद गई थी। लेकिन अन्ना रात को ही टैंक से निकल गई क्योंकि समर कैंप में उसे तैराकी सिखाई गई थी। हालांकि ज्यादा तैरना नहीं जानती थी, लेकिन किसी तरह हाथ-पैर मारकर दीवार तक पहुंच गई। पानी में बदहवास होने की वजह से नीचे गिरकर पैर भी चोटिल हो गए थे। इसके बाद वह स्वजनों तक पहुंची और घटना के बारे में जानकारी दी। पिता की चहेती थी, इसका उदाहरण सुसाइड नोट है, जिसमें लिखा गया है कि बड़ी बेटी उनका नाम रोशन करेगी।

जलघर में क्यों कूदी मीनाक्षी

मीनाक्षी के दोनों बेटियों के साथ सेक्टर दो के जलघर में कूदने पर लोगों के दिमाग में सवाल था कि आखिर आत्महत्या के लिए जलघर को ही क्यों चुना। बताया जा रहा है कि पूर्व में करीब दस वर्षों तक प्रमोद का परिवार सेक्टर दो में किराए पर रहा था। जिसके चलते मीनाक्षी को जलघर और जलघर की गहराई के बारे में पूरी जानकारी थी। मीनाक्षी को पता था कि यहां पर कूदने के बाद उसकी जान नहीं बचेगी। डॉ. प्रमोद ने हालांकि सुसाइड नोट में मौत का जिम्‍मेदार जिंदगी की भागदौड़ से तंग होना और भगवान को बताया है। मगर चर्चा घरेलू कलह की भी है।

अन्ना ने बताई थी लोहे की सीडी वाले टैंक में कूदी हैं मम्मी

बुधवार रात जब मीनाक्षी अपनी बेटियों के साथ पानी के टैंक में कूदी तो उस समय काफी अंधेरा हो चुका था। ऐसे में अन्ना को केवल यह याद रहा कि जिस टैंक में उसकी मम्मी कूदी थी, उसमें लोहे की सीडी लगी हुई है। अन्ना के बताए अनुसार पुलिस और परिजन पहले टैंक में दोनों की तलाश करने लगे, लेकिन कई घंटे बीतने के बाद भी कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद पुलिस और परिजनों ने दूसरे टैंक में शव की तलाश की तो दोनों शव टैंक में मिले। बताया जा रहा है कि टैंक में लबालब पानी भरा हुआ था। जिसके चलते दोनों पानी में जल्द ही डूब गई थीं।

अन्ना को साथ ले गए उसके मामा

डा. प्रमोद और उनकी पत्नी मीनाक्षी व छोटी बेटी परीक्षा की मौत के बाद अब घर में अन्ना अकेली रह गई। इससे पहले अन्ना के चाचा की भी कैंसर की बीमारी से मौत हो चुकी है। जिसके चलते उनके परिवार में भी कोई सक्षम व्यक्ति नहीं है। ऐसे में अन्ना को उसके मामा चरखी दादरी के वार्ड चार निवासी आकाश पुत्र जगबीर को सौंप दिया।


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