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जयंती पर विशेष : लाला लाजपत राय ने बनवाई थी हिसार की पहली पक्‍की सड़क, यहीं पर शादी की

लाला लाजपत राय यहां 1886 से 1892 तक रहे। 1889 में नगरपालिका के पहले सचिव बने थे तो हिसार से ही उन्‍होंने राजनीति में कदम रखा। हिसार की जैन गली निवासी राधा रानी उनकी जीवनसंगिनी बनी।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 28 Jan 2020 01:08 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2020 01:08 PM (IST)
जयंती पर विशेष : लाला लाजपत राय ने बनवाई थी हिसार की पहली पक्‍की सड़क, यहीं पर शादी की
जयंती पर विशेष : लाला लाजपत राय ने बनवाई थी हिसार की पहली पक्‍की सड़क, यहीं पर शादी की

हिसार [पवन सिरोवा] महान स्वाधीनता सेनानी लाला लाजपत राय आधुनिक हिसार के विकास के सूत्रधार रहे हैं। 1889 में नगर पालिका के पहले भारतीय सचिव बनने के साथ ही हिसार के शिल्पी होने का गौरव भी उनके नाम है। उनके कार्यकाल में हिसार में पहली ईंटों की पक्की सड़क बनी जो इलाइट सिनेमा के पिछे रेड स्क्वेयर मार्केट और रामपुरा मोहल्ले के बीच की सड़क है। हिसार से लाला लाजपत राय ने राजनीति में कदम रखा। इसके बाद हिसार के पत्ते पर ही नेशनल कांग्रेस अधिवेशन में सन 1888 में हिस्सा लिया और कांग्रेस के सदस्य बने। 1888 और 1889 के नेशनल कांग्रेस के वार्षिक सत्रों के दौरान उन्होंने हिस्सा लेते हुए जंगे आजादी में कूद पड़े। यहीं लाला ने स्वाधीनता की लड़ाई लड़ी और देश के महान स्वाधीनता सेनानी कहलाए।

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प्रसिद्ध इतिहासकार व प्रो. डा. महेंद्र सिंह ने बताया कि वकालत की पढ़ाई के बाद लाला लाजपत राय हिसार आए। यहां 1886 से 1892 तक रहे। वकालत के दौरान एसोसिएशन के सदस्य बने। हिसार की जैन गली निवासी राधा रानी उनकी जीवनसंगिनी बनी। उनका प्रभाव लोगों पर कितना था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लाला हिंदू परिवार से थे और मुस्लिम बाहुल्य एरिया से सर्वसम्मति से जनप्रतिनिधि चुने गए। 1889 में नगर पालिका हिसार के ऑनरेरी सचिव बने। वे अंग्रेजी हुकूमत में पहले भारतीय सचिव थे। लाला जी ने ही हिसार में सन 1886 में आर्य समाज की स्थापना की थी।

गवर्नर को लोक प्रशासन की गिनवाई कमियां तो डीसी बने पालिका पदेन अध्यक्ष

लाल लाजपत राय के आग्रह पर पहली बार नगर पालिका का पदेन अध्यक्ष डीसी को बनाया गया। यह 1890-91 में पंजाब गवर्नर का हिसार में स्वागत पालिका के माध्यम से हो, इस पर जब सचिव अड़े तो वोटिंग हुई। उस समय पालिक के 25 सदस्यों ने वोटिंग की। जिसमें 12 अंग्रेज एक तरफ व दूसरी तरफ 12 हिंदुस्तानी थे। 25वां वोट लाला लाजपत राय का था जो भारतीयों के पक्ष में आया। इस जीत के साथ ही पहली बार गवर्नर के आगमन पर स्वागत पालिका सचिव की ओर से किया गया। इस दौरान लाला ने गवर्नर को लोक प्रशासन की कमियां गिनवाई। इसके बाद अध्यक्ष डीसी बने।

हिसार से ही रखा राजनीति में कदम

हिसार में देश को एक महान स्वाधीनता सेनानी देने के साथ ही कांग्रेस को एक महान लीडर दिया। वकालत छोड़कर हिसार की राजनीति में कदम रखने वाले लाला लाजपत राय ने यहीं से राजनीति की शुरुआत करते हुए उसमें आगे बढ़े। कांग्रेस में हिसार का अपना पता देकर प्रारंभिक सदस्यता के साथ आगे बढ़े। इसके बाद देश में एक वक्त ऐसा आया जब लाल-बाल-पाल का मतलब कांग्रेस हो गया। यानि वे कांग्रेस का सबसे मजबूत हिस्सा बने। फील्ड मूवमेंट शुरू किया और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पर्याय बन गए।

हरियाणा की राजनीति देश की राजनीति बन गई। इसके अलावा 1905 में बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा के दौरान उन्होंने अपने देश की वस्तु अपनाना और दूसरे देश की वस्तु का बहिष्कार की दिशा में कदम बढ़ाया। जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक आंदोलन का रुप दिया। इसके अलावा उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी के रुप में लोगों को जागरुक करने के लिए पगड़ी संभाल जट्टा के भाव को लोगों तक पहुंचाया। उन्हें पगड़ी के माध्यम से हरियाणा और पंजाब के इलाके में पगड़ी को मान सम्मान का प्रतिक बताते हुए लोगों को राष्र्टीय भावना से जोडऩे का काम किया। यहीं आगे चलकर अंग्रेजों के प्रति लड़ाई बनी।

साइमन कमीशन का किया था जोरदार विरोध

लाला की कड़ी मेहनत और देशभक्ति के जज्बे के कारण लोगों का उनका विश्वास बढ़ता गया। वे मजदूरों के शुरुआती स्थापित संगठन में अध्यक्ष भी बने। इसके अलावा स्विटजरलैंड जिनेवा सम्मेलन में हिस्सा लिया था। 1928 में लाला जी ने साइमन कमीशन के विरोध में जबरदस्त प्रदर्शन में किया। ब्रिटिश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसा दीं। लाला जी गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान 17 नवंबर 1928 को उनका निधन हो गया। जंगे आजादी में उनके अदम्य साहस भरे योगदान के कारण उन्हें पंजाब केसरी कहकर संबोधित किया जाता था। हिसार में लाला लाजपत राय के नाम से यूनिवर्सिटी से लेकर मार्केट व नगर और चौक का नाम भी रखा हुआ है।


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