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जानें कोरोना वायरस का कैसे खात्‍मा करती है डीआरडीओ की खोजी 2-DG दवा, क्‍यों है इतनी प्रभावी

डीआरडीओ के वरिष्ठ विज्ञानी और कोविडरोधी दवा खोज प्रोजेक्ट के हेड हरियाणा के हिसार जिला निवासी डा. सुधीर चांदना ने बताया कोरोना वायरस शरीर में पहुंचने के बाद हमारे सिस्टम को हाइजैक कर लेता है। वायरस के ग्‍लूकोज के ऊर्जा लेने के बीच में दवा अपना असली काम करती है

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 02:52 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 02:52 PM (IST)
जानें कोरोना वायरस का कैसे खात्‍मा करती है डीआरडीओ की खोजी 2-DG दवा, क्‍यों है इतनी प्रभावी
विज्ञानी डॉ. चांदना ने बताया कोरोनारोधी 2डीजी दवा ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए शोध में प्रयोग होती थी

हिसार [वैभव शर्मा] रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा खोजी गई कोविडरोधी 2- डीऑक्सी-डी ग्लूकोज (2-डीजी) दवा शरीर में पहुंच कर किस प्रकार से काम करती है। इसको लेकर अब स्थिति साफ हो चुकी है। डीआरडीओ के वरिष्ठ विज्ञानी और कोविडरोधी दवा खोज प्रोजेक्ट के हेड हरियाणा के हिसार जिला निवासी डा. सुधीर चांदना बताते हैं कि कोरोना वायरस शरीर में पहुंचने के बाद हमारे सिस्टम को हाइजैक कर लेता है। मगर उसे हाईजैक करने के लिए एनर्जी यानि ऊर्जा की आवश्यकता होती है, ताकि वह वायरसों का समूह शरीर की सेल्स में बढ़ा सके।

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शरीर में वायरसों की संख्या में इजाफा करने के लिए कोरोना वायरस ग्लूकोज से ऊर्जा लेता है। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति को एक निश्चित मात्रा में पानी में 2-डीजी दवा को घोलकर ग्लूकोज के रूप में दिया जाता है। 2-डीजी ग्लूकोज का ही बदला हुआ रूप है। यह शरीर में वायरस को चकमा देने का काम करती है। डीआरडीओ की 2-डीजी दवा शरीर में स्थिति सेल्स में जाती है, खासकर वायरस से संक्रमित सेल्स में अधिक मात्रा में जाती है।

क्योंकि वायरस के प्रभाव से पीड़ित सेल्स अधिक ऊर्जा मांगते हैं। इसलिए वह ग्लूकोज अधिक लेना चाहते हैं। जिसके साथ-साथ दवा भी तेजी से संक्रमित सेल्स के भीतर चली जाती है और ऊर्जा को सेल्स में बनने ही नहीं देती। सामान्‍य शब्‍दों में कहें तो वायरस दवा में मौजूद ग्‍लूकोज का प्रयोग कर आगे नहीं फैल पाता है।

इस उदाहरण से समझिए 2-डीजी दवा का मेकेनिज्म

डा. चांदना बताते हैं कि अगर 100 माॅलिकूल ग्लूकोज के सेल्स में जाने हैं तो 50 ही जाएंगे और 50 माॅलिकूल इस दवा के जाएंगे। एक वायरस अपने से ऊर्जा के जरिए एक लाख वायरस बनाता है तो यह दवा ओवरऑल इस ऊर्जा को बाधित कर वायरस ग्रोथ को ही बाधित करने का काम करती है। वायरस को ऊर्जा नहीं मिलती और वह आगे वायरस का निर्माण शरीर में नहीं कर पाते और धीमे-धीमे मरने लगते हैं।

दवा काे किस प्रकार दिया जाएगा और कौन खा सकता है

डा. चांदना ने बताया कि 2-डीजी दवा एक ग्लूकोज की तरह है। इसलिए इसे पाउडर के रूप में ही एक निश्चित मात्रा में दिया जाएगा। उन्होंने यह भी साफ किया आगे इंजेक्शन या गोली के रूप में इस दवा को लाने का कोई विचार नहीं हैं। यह ग्लूकोज है इसलिए पाउडर में ही आएगा। उनके ट्रायल में इस दवा के कोई भी दुष्परिणाम  मरीजों पर नहीं देखने को मिले। दवा को मध्यम और गंभीर मरीजों को दिया गया था। यह दवा सभी के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।

20 वर्ष से भी अधिक समय से ब्रेन ट्यूमर के इलाज में कर रहे थे प्रयोग

डा. चांदना बताते हैं कि डीआरडीओ की टीम इस दवा का पिछले 20 से भी अधिक वर्षों से ब्रेन ट्यूमर के इलाज में प्रयोग कर रही थी। इस पर कई शोध भी प्रकाशित हुए। कोविड में भी यही दवा है बस डोज में परिवर्तन किया गया है। फिर कोविड आने के बाद इसकी डोज में परिर्वतन कर सार्स कोव-2 वायरस पर भी इसका प्रयोग असरदार रहा।

वैक्‍सीनेशन से कैसे भिन्‍न है 2डीजी दवा

भारत सरकार द्वारा वैक्‍सीन की फोर्म में उपयोग की जाने वाली कोविशील्‍ड व कोवैक्‍सीन टीकाकरण करके दी जा रही है। जिससे शरीर में एंटी बॉडी बनती है। मगर इसके लिए लंबा समय लगता है। साथ ही इन वैक्‍सीन को संक्रमितों को नहीं दिया जा रहा है। संक्रमित व्‍यक्ति के स्‍वस्‍थ होने और एक निश्‍चित समय के बाद ही इसे प्रयोग किया जा रहा है। मगर डीआरडीओ की 2डीजी दवा ओरल यानि बूंदनुमा मात्रा में शरीर में जाते ही अपना काम शुरू कर देती है और वायरस को कमजोर करना शुरू कर देती है। इससे किसी गंभीर स्थि‍ति में पहुंचे व्‍यक्ति की भी जान बचाई जा सकती है।


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