Kisan Andolan: रोहतक में किसान ने गेहूं पर चलाया ट्रैक्टर, किसान नेता बोले- विरोध करने के और भी तरीके
किसान ने कहा कि वह अपनी गेहूं की फसल सरकार को नहीं बेचेगा। बल्कि गांव में ही गरीब व जरूरतमंदों को देकर उनकी सहायता करेगा। तक जब तीनों कृषि कानून रद नहीं होंगे तब तक किसान ऐसे ही विरोध स्वरूप कोई न कोई कदम उठाते रहेंगे।
रोहतक, जेएनएन। रोहतक के महम के भैणी सुरजन गांव में एक किसान ने सोमवार को तीन कृषि कानूनों के विरोध में अपनी साढ़े तीन एकड़ फसल पर ट्रैक्टर चलाकर फसल नष्ट कर दी। किसान का कहना है कि तीन कृषि कानून रद नहीं किए जाने से रोष बना हुआ है। उधर, फसल नष्ट करने के कदम को अन्य किसान नेताओं ने अनुचित माना है। साथ ही भावुकता में इस प्रकार का कदम न उठाने का आह्वान भी किया है।
मंडी में नहीं बेचेंगे फसल, गरीबों को कर देंगे दान
जिला के भैणी सुरजन गांव किसान मंदीप ने तीन साढ़े तीन एकड़ गेहूं की फसल पर ट्रैक्टर चलाकर दिया। मंदीप ने कहा कि गेहूं की फसल अच्छी हुई थी लेकिन तीन कृषि कानून रद न होने से मजबूरी में यह रास्ता अपनाना पड़ा है। मंदीप का कहना है कि उसके पास 24 एकड़ में गेहूं की फसल है। वह सिर्फ दो एकड़ गेहूं को परिवार के लिए रखेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि अब बाकी फसल को नष्ट नहीं करेंगे। लेकिन इतना जरूर है कि वे अपनी गेहूं की फसल को मंडी में सरकार को नहीं बेचेंगे, बल्कि गांव में ही गरीब व जरूरतमंदों को देकर उनकी सहायता करेंगे। उन्होंने कहा कि तक जब तीनों कृषि कानून रद नहीं होंगे तब तक किसान ऐसे ही विरोध स्वरूप कोई न कोई कदम उठाते रहेंगे।
भाकियू प्रदेश अध्यक्ष बोले- फसल नष्ट करना ठीक नहीं
भारतीय किसान यूनियन अंबावता के प्रदेश अध्यक्ष अनिल नांदल उर्फ बल्लू प्रधान ने कहा कि तीन कृषि कानूनों रद न होने से किसानों में गहरा रोष बना हुआ है। लेकिन एक किसान का इस तरह से अपनी फसल को नष्ट करने का तरीका सही नहीं कहा जा सकता है। विरोध करने के और भी अनेक तरीके हैं। किसान चाहे तो इस बार रोष प्रकट करते हुए अपनी फसल को मंडी में नहीं ले जाकर गांवों में ही गरीब व जरूरतमंदों में बांट दें।
किसान सभा के जिला प्रधान बोले- विरोध का यह तरीका गलत
अखिल भारतीय किसान सभा के जिला प्रधान प्रीत सिंह ने कहा कि अपनी फसल का नुकसान कर किसान का विरोध करने का तरीका एकदम गलत है। हालांकि तीन कृषि कानून रद न होने से किसानों में बहुत रोष बना हुआ है। लेकिन कोई भी किसान भावुक होकर अपनी फसल का नुकसान न करें। धैर्य के साथ किसान आंदोलन में शामिल हों और आंदोलन को मजबूत करें।