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Kisan andolan: संयुक्त माेर्चा की बैठक में आज बनेगी रणनीति, विपक्षी दलाें के सांसदों को ई-मेल से भेजेंगे ज्ञापन

बहादुरगढ़ में टीकरी बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है। संसद सत्र के दौरान घेराव की रणनीति बनेगी। विपक्षी दलों के सांसदों को ई-मेल से ज्ञापन भी भेजे जा रहे हैं। इसके जरिये आंदोलनकारी सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 12:58 PM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 12:58 PM (IST)
Kisan andolan: संयुक्त माेर्चा की बैठक में आज बनेगी रणनीति, विपक्षी दलाें के सांसदों को ई-मेल से भेजेंगे ज्ञापन
इसी को लेकर आज शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हो रही है।

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है। किसान आंदोलनकारियों ने 22 जुलाई से प्रदर्शन का ऐलान कर रखा है। इसी को लेकर आज शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हो रही है। इसमें आगामी रणनीति बनाई जाएगी।

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आज ही संयुक्त मोर्चा की ओर से विपक्षी दलों के सांसदों को ई-मेल से ज्ञापन भी भेजे जा रहे हैं। इसमें उन्हें ताकीद किया जा रहा है कि संसद में कृषि कानूनों के खिलाफ या तो चुप्पी तोड़ों या फिर कुर्सी छोड़ो। इसके जरिये आंदोलनकारी सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। साथ ही अपने हक में तमाम विपक्षी दलों की आवाज बुलंद करने की भी कोशिश है। इस बीच दिल्ली में संसद के बाहर प्रदर्शन को लेकर आंदोलनकारी भी सावधानी बरतेंगे। उन्होंने पहले ही यह ऐलान कर दिया है कि टीकरी बार्डर से सीधे तौर पर कोई भी दिल्ली नहीं जाएगा।

रोज 200 किसान बसों से जाएंगे दिल्ली

फिलहाल सरकार से वार्ता करने वाले 40 संगठनों के पांच-पांच सदस्यों को रोजाना बस से दिल्ली भेजे जाने की रणनीति है। ऐसे में जो किसान टीकरी बार्डर से सिंघु बॉर्डर जाएंगे, उसका पूरा रिकार्ड रखा जाएगा। उनकी आइडी चेक की जाएगी। स्वाभाविक रूप से आंदोलनकारियों की ओर से यह एहतियात 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से सबक लेते हुए बरता जाएगा।

शांतिपूर्ण तरीके से होगा प्रदर्शन

किसान नेताओं का कहना है कि जो भी प्रदर्शन होगा, वह शांतिपूर्वक तरीके से किया जाएगा। लेकिन, यदि दिल्ली में प्रदर्शन के लिए जाने वाले किसानों के साथ कुछ भी गलत होता या फिर उन्हें गिरफ्तार किया जाता है तो फिर बाकी किसान भी अपनी गिरफ्तारी देने के लिए पहुंच जाएंगे। आंदोलन को चाहे कितना भी वक्त लगे, लेकिन वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे। जब तक सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक संघर्ष जारी रहेगा।

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