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Kisan Andolan: दिल्ली के लिए रवाना हुए किसान, कहा- आरपार की लड़ाई के लिए हैं तैयार

हिसार के लघु सचिवालय पर धरने पर बैठे किसान उनकी मांगे पूरी ना होने पर शनिवार को किसानों का जत्था दिल्ली बार्डर पर भी रवाना हुआ है। किसानों ने कहा कि जब तक सभी मांगों के पूरा होने तक आंदोलन जारी करने की बात कही।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 12:00 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 12:00 PM (IST)
Kisan Andolan: दिल्ली के लिए रवाना हुए किसान, कहा- आरपार की लड़ाई के लिए हैं तैयार
हिसार से दिल्ली रवाना हुआ किसानों का जत्था।

जागरण संवाददाता, हिसार। हिसार में किसान पिछले 219 दिन से लघु सचिवालय के बाहर फसलों का मुआवजा, डीजल के दाम बढ़ना आदि मांगों काे लेकर धरना चल रहा था। मगर अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है। अब धरने में शामिल किसानों ने आरपास की लड़ाई का मन बना लिया है। इसको लेकर शनिवार को किसानों का जत्था दिल्ली बार्डर पर भी रवाना हुआ है।

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मांगे पूरा होने तक आंदोलन जारी रहेगा

धरने की अध्यक्षता वरिष्ठ किसान नेता रामफल ज्याणी व अनिल बैंदा काबरैल ने संयुक्त रुप से की व मंच संचालन जिला प्रेस सचिव सूबेसिंह बूरा ने किया। धरने पर बैठे किसानों को कई नेताओं ने संबोधित करते हुए किसानों की एकजुटता पर बल दिया।  इसके साथ ही सभी मांगों के पूरा होने तक आंदोलन जारी करने की बात कही। किसान नेताओं के भाषण के बाद किसान सभा के जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार के नेतृत्व में हिसार से सैंकड़ों किसान दिल्ली में टिकरी बार्डर पर जाने के लिये रवाना हुए। इस दौरान भी किसानों ने जमकर नारेबाजी की है। 

सरकार की तरफ से वार्ता का निमंत्रण न मिलने पर रोष

दिल्ली से सटे बार्डर पर विभिन्न स्थानों से आये हुए किसानों में पूरा उत्साह बना हुआ है। केंद्र सरकार द्वारा वार्ता के लिये औपचारिक निमंत्रण न मिलने से किसान नेताओं में रोष है। सभी किसान संगठन एकजुटता से लड़ाई लड़ रहे हैं और लड़ाई में जीत हासिल करने के बाद ही घरों को लौटेंगे। इसमें कई किसान तो ऐसे हैं जो कई बार दिल्ली बार्डर पर आंदोलन में शामिल हो चुके हैं। 

अब किसानों की यह हैं मांगें 

जब तक एमएसपी पर गारंटी कानून, सभी झूठे मुकदमें वापिस नहीं हो जाते, बिजली विधेयक 2020 वापिस, 700 शहीद किसानों को शहीदी का दर्जा नहीं मिल जाता, उस समय तक आंदोलन जारी रहेगा। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर किसान मांगों को लेकर लामबंद हैं।


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