Kisan Andolan : कोरोना महामारी बनी आंदोलन में चर्चा, ठंडा पानी नहीं पीएंगे आंदोलनकारी
किसान आंदोलन में अब कोरोना की ही चर्चा है। आंदोलनकारियों में कोरोना का भय साफ दिख रहा है। मगर वे पीछे हटने को राजी नहीं हैं। अब कोरोना से बचाव के लिए किसानों ने ठंडा पानी न पीने का फैसला लिया है। पर किसान टीकारण के लिए राजी नहीं हैं।
बहादुरगढ़, जेएनएन। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में हर वक्ता की जुबान पर कोरोना महामारी का नाम है। कोई इस बीमारी को मामूली संक्रमण बता रहा है तो कोई इससे बचने के नुस्खे बता रहा है। आंदोलन में अब कोरोना महामारी को लेकर भय का माहौल भी साफ दिखाई देने लगा है। मगर आंदोलनकारी अब भी अपनी मांगों पर अडिग हैं और अपने हिसाब से ही कोरोना का इलाज करने का निर्णय ले रहे हैं।
प्रशासन की ओर से टीकरी बॉर्डर वाले आंदोलन स्थल पर कई बार वैक्सीनेशन कैंप लगाकर किसानों को वैक्सीन लगवाने के प्रति आह्वान किया जा चुका है मगर पांच-सात किसानाें ने ही अब तक वैक्सीन लगवाई है। कोरोना टेस्ट के प्रति भी किसान गंभीर नहीं हैं। आंदोलन में शामिल किसान नेताओं का कहना है कि यह बीमारी ही कुछ नहीं है। यह सिर्फ आंदोलन को समाप्त करने की एक साजिश है। साथ में किसान नेताओं को आंदोलन स्थल पर इस महामारी के कारण घट रही भीड़ के कारण चिंता भी बनी हुई है। ऐसे में यहीं किसान नेता मंच से यह भी साफ कह रहे हैं कि अगर किसी आंदोलनकारी में कोरोना महामारी के लक्षण प्रकट होते हैं तो प्राथमिकता के आधार पर उसका इलाज कराया जाएगा।
आंदोलन स्थल पर दिया जाएगा इलाज
साथ ही कोरोना महामारी को रोकने के लिए खुले मंच से भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा ने किसानों को साफ शब्दों में कहा है कि वे ठंडा पानी पीने से बचें। मामूली खांसी, जुकाम और बुखार होने पर सभी को आंदोलन स्थल पर ही दवा प्रदान की जाएगी। किसान नेता इतना कहकर किसानों का हौसला भी रख रहे हैं कि सरकार कोरोना के बहाने किसान आंदोलन पर शाहीन बाग के फार्मूले को लागू करने की कोशिश कर रही है और किसानों को यहां से उठाना चाह रही हैं। ऐसे में हमें सजग रहना होगा। सरकार की इन चालों से सावधान रहना होगा। लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना होगा।
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