किसान आंदोलन : चढ़ते तापमान के बीच माहौल को और ज्यादा गर्म करेंगे आंदोलनकारियों के तेवर
सरकार से वार्ता हुए दो महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है। सरकार ने जो प्रस्ताव दिया वह आंदोलनकारियों ने ठुकरा दिया मगर जिस तरह से अब दिल्ली कूच का ऐलान किया गया है उससे अब सभी की नजरें इस कदम पर जरूर टिक गई हैं।
बहादुरगढ़, किसान आंदोलन एक बार फिर से तेज हो सकता है। कृषि कानूनों के विरोध में नवंबर 2020 से दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे आंदोलनकारियों के तेवर अब चढ़ते तापमान के बीच माहौल को अौर ज्यादा गर्म करते नजर आ रहे हैं। सरकार से वार्ता हुए दो महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है। सरकार ने जो प्रस्ताव दिया, वह आंदोलनकारियों ने ठुकरा दिया, मगर जिस तरह से अब दिल्ली कूच का ऐलान किया गया है, उससे अब सभी की नजरें इस कदम पर जरूर टिक गई हैं। इन आंदोलनकारियों की एक बार दिल्ली में एंट्री 26 जनवरी को हुई थी। उस दिन क्या हुआ, वह सबने देखा।
इसलिए अब फिर से दिल्ली कूच का ऐलान हर किसी को असज कर रहा है। वैसे तो दो महीने से दिल्ली कूच की बातें राकेश टिकैत भी करते रहें हैं और दूसरे किसान नेता भी। फरवरी में संसद कूच तय भी किया गया था, मगर लाल किले की घटना के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था। अब पांच अप्रैल को भारतीय खाद्य नियम के कार्यालयों पर प्रदर्शन और 10 अप्रैल को बहादुरगढ़ के एरिया से गुजरने वाले केएमपी एक्सप्रेस-वे को 24 घंटे तक जाम रखने के ऐलान के अलावा जिस तरह से संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली में संसद कूच की बात कही है वह गर्मी के मौसम में पूरे माहौल को उबाल देने के लिए काफी है। तारीख भले ही अभी तय नहीं की है, लेकिन मई का पहला सप्ताह इसके लिए तय किया है। इसी सप्ताह में पांच राज्यों के चुनावी नतीजे भी आने हैं।