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Kargil Vijay Diwas 2020: कारगिल के शहीद की पत्‍नी बोली- बस एक सपना, बेटा हो सेना में भर्ती

सिरसा के कृष्ण कुमार 1997 में सेना में भर्ती हुए थे। 1999 में वे कारगिल युद्ध में शहीद हो गए। दिवाली पर लौट कर आने का वादा करके गए थे। पर कभी नहीं लौटे पत्‍नी को शहादत पर गर्व है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 04:27 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 04:27 PM (IST)
Kargil Vijay Diwas 2020: कारगिल के शहीद की पत्‍नी बोली- बस एक सपना, बेटा हो सेना में भर्ती
Kargil Vijay Diwas 2020: कारगिल के शहीद की पत्‍नी बोली- बस एक सपना, बेटा हो सेना में भर्ती

सिरसा [महेंद्र सिंह मेहरा] Kargil Vijay Diwas 2020 मेरा पति देश के लिए शहीद हुआ। उनकी शहादत पर मुझे गर्व है। अब मैं चाहती हूं कि मेरे पति की तरह ही बेटा भी फौज में भर्ती होकर देश सेवा करे। फौज में भर्ती के लिए बड़ा बेटा मनोज सुबह-शाम तैयारी करता है। ये कहना है कारगिल में शहीद हुए गांव तरकांवाली निवासी कृष्ण कुमार बांदर की पत्नी संतोष का। शहीद कृष्ण कुमार 21 जुलाई 1997 में सेना में भर्ती हुए थे। 1999 में उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन से लोहा लेते हुए देश के लिए कुर्बानी दी। आज भी उनको याद करते हुए परिवार और गांव के लोग गर्व से भर जाते हैं।

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42 दिन बाद गांव पहुंचा पार्थिक शरीर

शहीद की पत्नी संतोष ने बताया कि शादी के छह महीने के बाद पति सेना में भर्ती हो गए थे। शहीद होने से एक महीने पहले घर पर आए थे। जब कारगिल में युद्ध शुरू हुआ तो वापस ड्यूटी पर बुला लिया गया। इसके बाद मैं अपने मायके जंडवाला चली गई। 30 मई 1999 को शहीद होने के बारे में परिजनों को सूचना मिली। जिस पर मुझे वापस बुला लिया गया। शहीद होने के बारे में मुझे तब पता चला जब 42 दिन बाद घर पर पार्थिक शरीर पहुंचा। इस पर मुझे बहुत दुख हुआ। मगर खुशी इस बात की थी कि देश के लिए उन्होंने अपना बलिदान दिया।

कई दुश्मनों को मार गिराया

कारगिल में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद कृष्ण कुमार ने कई दुश्मनों को मार गिराया। 30 मई के दिन दुश्मनों से लोहा लेते समय उनकी छाती में गोली लगी। उस समय कारगिल की लड़ाई चरम सीमा पर थी। जिसके कारण कृष्ण कुमार का शव बर्फ से ढक गया। गांव में परिजनों को कृष्ण कुमार के शहीद होने की सूचना तो मिली। इसके बाद उनका शव 42 दिन बाद गांव में पहुंचा।

----मुझे गर्व है कि मेरा पति देश के लिए शहीद हुआ। मेरे बेटे को भी फौज की वर्दी में देखना चाहती हूं। बेटा मनोज बारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है। इसी के साथ सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहा है।

संतोष बांदर, शहीद की पत्नी


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