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Kargil Vijay Diwas 2020: दो माह पहले हुई थी सगाई, जयमाला के सपने छोड़ कारगिल में अपनाई शहादत

फतेहाबाद के गांव मेहूवाला के शहीद जवान की शहादत से दो माह पहले हुई थी सगाई त्रिशूल चोटी पर दुश्मनों से लड़ते शहीद हो गए।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 06:23 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 06:23 PM (IST)
Kargil Vijay Diwas 2020: दो माह पहले हुई थी सगाई, जयमाला के सपने छोड़ कारगिल में अपनाई शहादत
Kargil Vijay Diwas 2020: दो माह पहले हुई थी सगाई, जयमाला के सपने छोड़ कारगिल में अपनाई शहादत

फतेहाबाद, जेएनएन। वतन पे जो फिदा होगा, अमर वो नौजवां होगा...। स्वतंत्रता दिवस आते जब यह गीत कहीं दूर से भी सुनाई दे जाता है तो बीएसएफ के पूर्व जवान जय सिंह की भुजाएं फड़क उठती हैं। आंखें नम मगर तेवर वही फौजी के। कारण कि उनके भी जवान बेटा नरेंद्र सिंह देश पर फिदा थे। तभी तो शादी की बात छोड़ कारगिल पर विजय के लिए मतवाला हो गया। जाट रेजीमेंट का यह जांबाज सिपाही दुश्मनों से लड़ते हुए शहादत के गले में जयमाला डाल गया।

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बात वर्ष 1999 के अप्रैल माह के आसपास की है। तब नरेंद्र सिंह दो माह की छुट्टी पर अपने पैतृक गांव मेहूवाला आये थे। मां रेशमा देवी ने सिर पर स्नेह का हाथ रखते हुए बेटे के शादी लायक होने की बात चलाई। अनुशासित थे नरेंद्र सिंह । माता-पिता के निर्णय से इतर जा नहीं सकते थे। नरेंद्र के पिता व वर्ष 1991 में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स से सेवानिवृत्त जय सिंह जाखड़ बताते हैं कि राजस्थान की लड़की से उनकी सगाई भी कर दी थी। मगर बेटे ने मातृभूमि की रक्षा के लिए मोर्चा संभाल लिया। 8वीं रेजिमेंट से बहादुर सिपाही नरेंद्र सिंह दुश्मनों को परास्त करते हुए मश्कोह घाटी के प्वाइंट 5301 पर पहुंच गए। रात के अंधेरे में दुश्मन गोलियां बरसा रहे थे। पर, नरेंद्र सिंह उनपर कहर बनकर टूट पड़े। ऐसा स्वाभाविक भी था।

कारण कि उन्हें दो माताओं-भारत माता व जननी रेशमा देवी के आशीर्वाद का कवच था। मां रेशमा देवी ने घर से निकलते वक्त बेटे को विजयी होने का आशीर्वाद दिया था। वह कहती हैं, उनका बेटा सपूत निकला। आशीष का फल था कि उन्होंने पांच पाकिस्तानी दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिये। पर, रात के अंधेरे में घात लगाए दुश्मनों की दो गोलियां नरेंद्र को लगीं। एक जांघ में तो दूसरी सिर में। महज 21 साल के लाल ने भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए मातृभूमि पर प्राण न्योछावर कर दिये। इस तरह शादी छोड़ शहादत के गले में जयमाला डाल दिये।

पैतृक विरासत थी मातृभूमि की रक्षा

शहीद नरेंद्र सिंह को मातृभूमि की रक्षा का जज्बा विरासत में मिला था। न केवल उनके पिता जय सिंह जाखड़ बीएसएफ के जवान थे बल्कि चाचा बिहारी लाल जाखड़ भी फौज में ही थे। दादा अमर सिंह भी फौजी ही रहे। देशसेवा के लिए नरेंद्र सिंह ने वर्ष 1996 में जाट रेजिमेंट ज्वाइन किया था।


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