दिव्यांगता को चुनौती देता अग्रोहा का कालू शेखावत, टायर पंक्चर लगा पेश कर रहा मिसाल
विश्व दिव्यांगता दिवस पर विशेष पंक्चर की मोबाइल दुकान चलाता है कालू मैसेज करते ही पहुंच जा
विश्व दिव्यांगता दिवस पर विशेष :पंक्चर की मोबाइल दुकान चलाता है कालू, मैसेज करते ही पहुंच जाता है
फोटो कैप्शन:02द्धद्बह्य371
सुनील सेन अग्रोहा
कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो मंजिल दूर नहीं होती। ऐसा ही एक अनुकरणीय उदाहरण अग्रोहा में देखने में आया है। 24 वर्षीय दिव्यांग कालू शेखावत न तो सुन सकता ना बोल सकता है। करीब चार सालों से टायर पंक्चर की दुकान चलाकर अपने वृद्ध माता पिता का पेट पाल रहा है। कालू की मां ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि कालू न बोल सकता है, ना सुन सकता है। ऐसे में बहुत गहरा दुख पहुंचा। उसे कई बार स्कूल भेजने की कोशिश की लेकिन दिव्यांग होने के कारण उसे स्कूल अध्यापकों ने पढ़ाने से मना कर दिया। कालू जैसे तैसे अपने परिवार का गुजारा चला रहा है। कालू ने इशारों में बताया कि उसके माता-पिता वृद्ध हो चुके हैं और काम नहीं कर सकते। वह प्रतिदिन कभी दो सौ तो कभी तीन सौ रुपये कमाता है।
भाई-भाभी सहित है पूरा परिवार
कालू के परिवार में उसके माता-पिता, एक बड़ा भाई और भाभी हैं। कालू का बडा भाई वाहन चालक है। उसका कहना है, वह प्राइवेट वाहन चलाता है। कभी घर खाली बैठना पड़ता है। कालू अभी अविवाहित है जबकि उसका भाई भगवान दास विवाहित है और उसके दो बच्चे हैं।
दुकान-दुकान घूम सीखा टायर पंक्चर का काम
कालू के बड़े भाई भगवान सिंह ने बताया कि करीब सात साल पहले उसके भाई कालू ने अपने पैरों पर खड़े होने की सोची और दिव्यांग होने के कारण उसे कहीं कोई काम नहीं मिला। अंत में एक टायर पंक्चर की दुकान पर उसने रहना शुरू किया। कई दुकानों पर काम करने के बाद करीब दो साल की मेहनत के बाद उसने अपना पूरा काम सीख लिया। अपने काम में माहिर होने के बाद उसने एक ऑटो लिया, जिसमें वह अपनी मोबाइल दुकान चलाता है।
फोन में मैसेज करते ही पहुंच जाता है कालू
कालू अपनी पूरी दुकान एक ऑटो में लेकर चलता है। फिलहाल अग्रोहा मेडिकल गेट के आगे अपने ऑटो से टायर पंक्चर की दुकान चलाता है। ग्रामीण परमजीत जाखड़,अजय काली राठौड़ ने बताया कि कालू पढ़ा लिखा नहीं है फिर भी एंड्रोयड फोन चलाता है। जिसमें वह सोशल साइट जैसे फेसबुक और वाट्सएप का प्रयोग करता है। ग्रामीण बताते हैं कि यदि किसी वाहन चालक का वाहन पंक्चर हो गया, तो कालू को फोन पर जगह की लोकेशन फोटो सहित भेजने पर वह ऑटो के साथ आ जाता है और पंक्चर वाहन को ठिक कर देता है।
चाहिए सरकार से सहायता
कालू के पिता भीलसिंह ने बताया कि कालू को सरकार की तरफ से दिव्यांग पेंशन मिलती है। लेकिन यह पेंशन परिवार के गुजारे के लिए अपर्याप्त है यदि सरकार कोई योजना के तहत कालू को लोन आदि देकर उसका काम शुरू करवा दे तो उसका परिवार आसानी से गुजारा कर सकता है।