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बस एक नियम और लुवास भर्ती परीक्षा के टॉपर हुए बाहर, कम स्कोर वालों को मिली नौकरी

लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने अपने विभागों के लिए लैब अटेंडेंट भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी किया है। मगर अब यह विवादों में है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 15 Sep 2020 04:03 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2020 04:03 PM (IST)
बस एक नियम और लुवास भर्ती परीक्षा के टॉपर हुए बाहर, कम स्कोर वालों को मिली नौकरी
बस एक नियम और लुवास भर्ती परीक्षा के टॉपर हुए बाहर, कम स्कोर वालों को मिली नौकरी

हिसार, जेएनएन। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने अपने विभागों के लिए लैब अटेंडेंट भर्ती परीक्षा का परिणाम जारी किया है। यह भर्ती पिछले दो साल से अटकी हुई थी। इन 12 पदों के लिए हरियाणा एवं अन्य राज्यों के हजारों आवेदकों ने परीक्षा दी थी। परिणाम के आधार पर टॉप 250 आवेदकों को दस्तावेजों के सत्यापन के लिए बुलाया गया। डॉक्यूमेंटेशन के दौरान दिए गए सोसिओ इकोनोमिक स्टेट्स के अतिरिक्त अंक ने समस्या तैयार की है। भर्ती परीक्षा के टॉपर सहित अन्य टॉप स्कोरर भी सरकारी नौकरी की दौड़ से बाहर और परीक्षा में कम अंक वालों को लुवास में सरकारी नौकरी मिल गई।

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यह नियम आ रहा है आड़े

प्रदेश सरकार ने 2015 के बाद हरियाणा में होने वाली ग्रुप सी और डी की भर्ती के लिए नियम बनाए हैं। जिस आवेदक के माता-पिता, भाई-बहन और पत्नी या परिवार में अन्य कोई सरकारी नौकरी में नहीं है, उसे भर्ती में पांच अंक दिए जाएंगे। इस नियम से बिना सरकारी नौकरी वाले आवेदकों को तो बड़ा फायदा होता है, मगर सरकारी नौकरी वाले घरों के मेधावी आवेदकों को बेवजह नौकरी से वंचित होना पड़ता है। इस भर्ती में भी यही हुआ। लुवास के लैब अटेंडेंट भर्ती परीक्षा के टॉपर ने भर्ती परीक्षा में सौ में 81 अंक लिए, इसके बावजूद उसकी जगह 77 अंक वाले उम्मीदवार का चयन हो गया।

आवेदकों ने जताया विरोध

आज जहां सरकारी नौकरी के लिए आधे-आधे अंक के लिए आवेदक दिन-रात में कर रहे हैं। वहां कम अंक वाले आवेदकों को पांच-पांच अंक देकर नौकरी देना सीधा पक्षपात है। लुवास भर्ती के अन्य टॉप स्कोरर दीपेंद्र, मनोज और प्रियंका, जो टॉप दस में होने के बावजूद चयनित नहीं हुए का कहना है कि इस तरह एग्जाम में पांच-पांच अंक लेने से जब टॉपर ही बाहर बैठे हैं तो अन्य के लिए नौकरी के सारे रास्ते बंद हो गए हैं। अब ऐसा लगता है कि जिन घरों में कोई सरकारी नौकरी में है उनके अन्य सदस्यों को कभी भी हरियाणा में नौकरी नहीं मिलेगी।


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