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जानें, जज ने रामपाल को सजा सुनाते हुए क्‍यों की स्टीव जॉब्स व जुकरबर्ग की चर्चा

रामपाल को सजा सुनाने के दौरान जज ने नकली गॉडमैन की चर्चा करने के साथ भारतीय धर्म व संस्‍कृति की महत्ता भी बताई। इस क्रम में जज ने स्टीव जोब्स और मार्क जुकरबर्ग की भी चर्चा की।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 05:45 PM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2018 09:18 AM (IST)
जानें, जज ने रामपाल को सजा सुनाते हुए क्‍यों की स्टीव जॉब्स व जुकरबर्ग की चर्चा
जानें, जज ने रामपाल को सजा सुनाते हुए क्‍यों की स्टीव जॉब्स व जुकरबर्ग की चर्चा

हिसार, [अमित धवन]। सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल को सजा सुनाते समय विशेष अदालत ने कई तल्ख टिप्पणियांं कीं। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देसराज चालिया ने भारतीय धर्म और संस्‍कृति की महत्‍ता की चर्चा भी की। इस क्रम में उन्‍होंने एपल के प्रमुख स्टीव जॉब्स और गूगल के मुखिया मार्क जुकरबर्ग का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने भारत के विश्‍व में महत्‍व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसी कारण जोब्स और जुकरबर्ग जैसे लोग यहां आते हैं।

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जज ने रामपाल जैसे कथित गॉडमैन की चर्चा करते हुए अपने फैसले में कहा, अपराध का कोई धर्म नहीं होता है। अपराधी हो या पीडि़त उनको धर्म, जाति, वर्ग के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। जज ने टिप्पणी में कहा, 21वीं सदी में देश की एक बड़ी आबादी ऐसी है जिसको एक वक्त का खाना नसीब नहीं होता। 30 फीसद जनसंख्या आज भी निरक्षर है।

जज ने फैसले में कहा कि ऐसे लोगों को थोड़ा भोजन और छत देकर यह गॉडमैन अपने वश में कर लेते हैं और उनका व्यापक स्तर पर शोषण करते हैं। पता नहीं क्यों लोग इन संदिग्ध लोगों पर इतना भरोसा कर लेते हैं। यहां तक कि इनके लिए अपनी जान भी देने को तैयार हो जाते हैं।

कहा- अच्‍छे विचारों में संतों की कमी नहींं, इसी कारण जोब्‍स व जुकरबर्ग जैसे लोग आते हैं भारत

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश देसराज चालिया कहा, ऐसा नहीं है कि वर्तमान समय में अच्छे विचारों के संत, महात्मा भारत में नहीं हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो स्टीव जोब्स, मार्क जुकरबर्ग जैसे लोग अपने संघर्ष के दिनों में भारत की यात्राएं नहीं करते। भारतीय धर्म, संस्‍कृति व विचार का विश्‍व में उच्‍च स्‍थान है। यही कारण है कि स्‍टीव जॉब्‍स और मार्ग जुकरबर्ग यहां आने से खुद को रोक नहीं पाते।

सबने अपना निजी भगवान बना रखा है

जज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि वर्तमान समय में प्रत्येक जाति, वर्ग और समाज ने अपना-अपना निजी भगवान बना लिया है। उस भगवान के प्रति निष्ठा जाहिर करने के लिए उनके नाम से पेड़ों के नीचे छोटे-छोटे मंदिर अथवा बड़े-बड़े पत्थर रख दिए जाते हैं, जो बाद में बड़े-बड़े मंदिरों का स्वरूप धारण कर लेते हैं।

कानून सर्वोच्च

जज ने कहा कि कानून की सर्वोच्चता को मान्यता देना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। यदि कानून किसी अपराध के लिए सजा का प्रावधान करता है तो कानून के पास उसको लागू करने का तंत्र भी होता है। राज्य का कर्तव्य है कि यह देखे कि कोई व्यक्ति अथवा संगठन कानून को अपने हाथों में न ले पाए।

वकील नहीं कर सके रामपाल का बचाव

कोर्ट ने लिखा है कि बचाव पक्ष की तरफ से ऐसा कोई तथ्य अथवा वस्तु प्रस्तुत नहीं की गई, जिससे यह सिद्ध हो सके कि अभियुक्त निर्दोष है। अभियोजन पक्ष के साक्ष्य पूर्णतया सही और विश्वास योग्य हैं। इन पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है। इसी को देखते हुए सजा दी जा रही है।

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जेल में धार्मिक किताबें पढ़ दिन काट रहा रामपाल, सुबह करता है मेडिटेशन

जेल में रामपाल का दिन धार्मिक किताबें पढ़कर कटता है। रात को दस बजे सोने के बाद रामपाल पांच बजे उठ जाता है। जागने के बाद वह मेडिटेशन करता है। रामपाल के पास किसी को जाने की इजाजत नहीं है। सजा सुनाए जाने के बाद उसकी सुरक्षा को भी बढ़ाया गया है। सजायाफ्ता होने के साथ ही जेल के नियमानुसार पहले मिलने वाले नियमों में अब पूरा बदलाव हो गया है। रामपाल को राजगढ़ रोड स्थित सेंट्रल जेल-2 में रखा गया है। जेल प्रशासन ने रामपाल को अलग सेल में रखा है। वह चुप रहता और अपना समय व्यतीत कर रहा है। उससे कोई बात नहीं करता।

रामपाल की दिनचर्या

रामपाल सुबह उठकर रूटीन में मेडिटेशन करता है। उसे किताबें पढऩे का शौक है। उसने जेल प्रशासन से मांग कर धार्मिक किताबें अपने पास रखी है। वह इन किताबों को पढ़ता है। सजा होने के बाद अभी उसके चेहरे पर कोई शिकन जेल के अधिकारियों को भी नहीं दिखी। अन्य कैदियों की तरह रामपाल को भी सुबह खाने में दाल-रोटी और शाम को सब्जी-रोटी मिलती है। उसे दूध भी दिया जाता है।

पांच मिनट होती है बात

रामपाल को जेल नियमानुसार पांच मिनट फोन पर बात करने की इजाजत है। इसके लिए उसकी तरफ से दो नंबर दिए है। रामपाल की तरफ से अपने परिवार और वकीलों के नाम मिलने वाली लिस्ट में डाले हुए है। परिवार में पत्नी, बेटी, पौत्र-पौत्री उससे मिलने आते हैं। कैदी नंबर मिलने के बाद अब उसके परिवार के सदस्य सप्ताह में एक बार ही मिल सकेंगे।


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