ब्लू बर्ड झील में वन्यप्राणी और पर्यटन विभाग की संयुक्त टीमें तैनात, जंगल से तलाशे तीन बतख
पवन सिरोवा हिसार ब्लू बर्ड झील में पानी सूखने के कारण बतखों के जीवन पर मंडरा रहे खत
पवन सिरोवा, हिसार : ब्लू बर्ड झील में पानी सूखने के कारण बतखों के जीवन पर मंडरा रहे खतरे को समाप्त होने की उम्मीद बन गई है। दैनिक जागरण ने झील सूखने के कारण गायब हुए बतखों पर समाचार प्रकाशित करने के बाद पर्यटन विभाग और वन्य विभाग के आला अफसर हरकत में आ गए हैं। झील में पानी प्रबंध के लिए कार्य शुरू हो गया है वहीं दूसरी तरफ दोनों विभागों ने अपनी अपनी टीमें झील में तैनात कर दी हैं। साथ ही झील से गायब हुए तीन बतख भी टीमों को मिल गए हैं। कर्मचारियों ने झील व उसके आसपास के जंगल में सर्च अभियान चलाकर गायब हुई 16 बतखों में से 3 बतख ढूंढ ली हैं। हालांकि अभी भी 13 बतखों की प्रशासन के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं की वे कहां गईं।
बता दें कि सिरसा दिल्ली बाइपास पर हरियाणा टूरिज्म का ब्लू बर्ड टूरिज्म केंद्र साल 1995 से 52 एकड़ में स्थापित है, जिसमें से करीब 18 एकड़ में झील, कांप्लेक्स व जंगल एरिया है। ठेका लेने वाली कंपनी के कारण झील में पानी सूख गया था। इसके बाद से यहां मौजूद 25 में से 16 बतख गायब हो गई थीं। पानी सूखने के कारण बत्तखों के पास शिकारी व कुत्ते पहुंचने लगे।उधर ठेका लेने वाली एजेंसी का संचालक को भी पिछले करीब दो माह से पर्यटन विभाग के अधिकारी तलाश रहे हैं, जो नाकाम रहे। रेवाड़ी के धारुहेड़ा की निजी कंपनी मालिक के घर जब पर्यटन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी पहुंचे तो घर पर किराएदार मिले, पेट्रोल पंप व गैस एजेंसी पर ताले मिले। टीम नोटिस चस्पा कर लौट आई। टेंडर भी रद कर दिया।
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इंस्पेक्टर से लेकर वन दरोगा करेंगे बतखों की सुरक्षा
वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट के डीएफओ पवन ग्रोवर ने जीवों की सुरक्षा के लिए इंस्पेक्टर रामेशवर दास को आदेश दिए। पवन ग्रोवर के आदेश पर झील में एक सब इंस्पेक्टर और एक वन दरोगा की डयूटी लगा दी गई है। जो 24 घंटे में कई बार झील का निरीक्षण करेंगे। ताकि बतखों का शिकार करने वालों पर शिकंजा कसा जा सके और उनकी सुरक्षा रहे। उधर पर्यटन विभाग के मैनेजर संदीप कुमार ने कर्मचारियों को झील की नियमित निगरानी व बतखों की संभाल के आदेश दिए।
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बंद नहरी नाले को खोलने मैनेजर खुद फील्ड में उतरे
बतखों का मामला गरमाते ही मैनेजेर संदीप कुमार झील में पानी प्रबंध के लिए उतरे। उन्होंने खुद बंद नाले के एरिया में जाकर जेसीबी से झाड़ियां हटवाईं और सफाई कार्य शुरू करवाया। यहां नाला पूरी तरह क्षतिग्रस्त किया हुआ था। नाला बंद कर झील के हिस्से के पानी को कहीं ओर भी प्रयोग किया जा रहा था।
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महीने में एक सप्ताह मिलता है पानी, चार दिन शेष
नहर से झील के लिए पर्यटन विभाग को महीने में एक सप्ताह ही पानी मिलता है। झील से नहर के बीच करीब 150 किले आते हैं, जिनमें से नहरी नाला बनाया हुआ है। जो फिलहाल बंद हो चुका है। जेसीबी सहित पर्यटन विभाग की टीम दो दिन से इस कार्य में लगी हुई है, जिसमें एक लाख से अधिक खर्च नाला खोलने पर आने की संभावना है। वर्तमान में पानी के लिए चार दिन शेष बचे हुए हैं। ऐसे में अब पर्यटन विभाग के मैनेजर ने नहर विभाग के स्टाफ से भी पानी के लिए संपर्क किया है।
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बतखों के लिए झील में पानी हो इसके लिए जेसीबी से नाला दुरुस्त करवाने का कार्य शुरू कर दिया है। साथ ही बत्तखों की सुरक्षा के लिए स्टाफ को आदेश दिए हैं।
संदीप कुमार, मैनेजर, पर्यटन विभाग हिसार।
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बतख पालतू पक्षी है। जो डेमेस्टिक श्रेणी में आते हैं। उनकी सुरक्षा के प्रबंध करवाने के लिए इंस्पेक्टर को आदेश दिए हैं। पक्षियों की सुरक्षा हो इसके लिए हमारी ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
- पवन ग्रोवर, डीएफओ, वन्यप्राणी विभाग हिसार।