loksabha election 2019: सियासत के मैदान में इस बार दर्शक दीर्घा में जिंदल घराना
ओपी जिंदल 47.61 फीसद मत लेकर पहली बार 1991 में विधायक बने थे। इसके बाद उनके साथ कभी उनकी धर्मपत्नी सावित्री जिंदल तो कभी नवीन जिंदल प्रतिनिधि बनते रहे। इस बार ऐसा नहीं हुआ।
हिसार [गौरव त्रिपाठी] किसी न किसी रूप में राजनीति के मैदान में उतरकर विरोधियों को पटखनी देने वाला हरियाणा का प्रमुख औद्योगिक घराना जिंदल परिवार इस बार लोकसभा चुनाव में दर्शक दीर्घा में बैठा है। ओपी जिंदल ने 1991 में हिसार विधानसभा हलके से जीत हासिल कर राजनीति में कदम रखा था। वे एक बार कुरुक्षेत्र से सांसद और तीन बार हिसार से विधायक बने।
उनके बाद पत्नी सावित्री जिंदल ने हिसार विधानसभा और बेटे नवीन जिंदल ने कुरुक्षेत्र लोकसभा से वर्ष 2009 के चुनाव में जिंदल घराने की उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन इस बार 2019 के लोकसभा चुनाव में नवीन जिंदल ने चुनाव लडऩे से पैर पीछे खींच लिए हैं।
बाऊजी यानी ओपी जिंदल ने वर्ष 1991 में हुए विधानसभा चुनाव से राजनीति में कदम रखा था। वे हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर हिसार से विधानसभा का चुनाव लड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी ओमप्रकाश महाजन को 4117 वोटों से हरा दिया था। इसके बाद ओपी जिंदल ने केंद्रीय राजनीति का रुख किया और वर्ष 1996 के चुनाव में कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया।
वे हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव में उतरे और प्रो कैलाशो देवी को 51777 वोटों से हराकर देश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचे। वर्ष 1998 और 1999 में हुए लगातार दो लोकसभा चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में ओपी जिंदल ने कुरुक्षेत्र की बजाय हिसार को अपनी सियासी कर्मभूमि बनाने के लिए हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में हरियाणा लोकदल के सुरेंद्र सिंह बरवाला ने उन्हें 80491 वोटों से हरा दिया।
वर्ष 1999 के चुनाव में ओपी जिंदल दोबारा कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे मगर इस चुनाव में प्रो कैलाशो देवी ने उन्हें हरा दिया। वर्ष 2000 और 2005 के विधानसभा चुनाव में ओपी जिंदल हिसार विधानसभा सीट से जीतकर चंडीगढ़ पहुंचे।
ओपी जिंदल ने वर्ष 2004 के चुनाव से बेटे नवीन जिंदल को कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय राजनीति में लांच किया था। नवीन ने 2004 और 2009 के चुनाव में कुरुक्षेत्र से जीत दर्ज की। वर्ष 2014 के चुनाव में नवीन वहां से हार गए और 287722 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे। ओपी जिंदल के निधन के बाद उनकी पत्नी सावित्री जिंदल ने वर्ष 2009 में हिसार हलके से चुनाव जीता। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा के कमल गुप्ता से हार गईं।
पर्दे के पीछे अब भी सक्रिय भूमिका में परिवार
भले ही जिंदल घराने से इस बार कोई प्रत्याशी बनकर चुनाव नहीं लड़ रहा है, मगर पर्दे के पीछे जिंदल परिवार की भूमिका अब भी बनी रहेगी। नगर निगम चुनाव में जिंदल हाउस से आशीर्वाद प्राप्त करने वाली रेखा ऐरन को कांग्रेस ने मेयर प्रत्याशी घोषित किया था। हालांकि रेखा ऐरन को भाजपा के गौतम सरदाना से मात मिली थी, मगर जिंदल परिवार की अहमियत इसके बाद भी ज्यादा प्रभावित नहीं हुई। लोकसभा चुनाव में भी सावित्री जिंदल भव्य बिश्नोई के नामांकन के दौरान लघु सचिवालय पहुंचीं तो उन्होंने भव्य के प्रत्याशी घोषित होने से छह घंटे पहले ही ट्वीट कर उनके नामांकन में आने के लिए लोगों को न्योता भी दे दिया था।
पार्टी छोडऩे की अफवाहों पर सावित्री जिंदल ने लगाया था अंकुश
लोकसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद नवीन जिंदल का एक फोटो बीजेपी नेताओं से मिलते हुए वायरल हुआ था। खबर उड़ी कि जिंदल परिवार बीजेपी में शामिल हो सकता है, मगर सावित्री जिंदल ने यह बयान देकर सारी अफवाहों पर विराम लगा दिया था कि वो वहीं रहेंगी जहां बाऊजी छोड़कर गए थे।