निलंबित करने के बाद डीपीएम रणविजय को किया जींद अटैच, लोकल गड़बड़ी पर मांगा स्पष्टीकरण
फतेहाबाद में 7 साल से डीपीएम रहे रणविजय सिंह के खिलाफ दर्जनों लोगों ने शिकायत दी है। उनमें से कई इस मिशन से जुड़े रहे है। अब उनकी शिकायत दी हुई है। इसके अलावा विभिन्न संगठन से जुड़े लोगों ने भी आरटीआई लगाकर अनेक शिकायत दी हुई है।
फतेहाबाद, जागरण संवाददाता। फतेहाबाद में लंबे तक हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक रहे रणविजय सिंह को प्रदेश सरकार ने निलंबित करते हुए जींद में अटैच कर दिया। निलंबन के दौरान अब उनकी जींद में ही हाजिरी लगेंगी। हालांकि यह निलंबन उनका निदेशालय स्तर पर हुए कथित ई-मेल प्रकरण को लेकर किया गया है। जबकि जिला स्तर पर उनके कार्यकाल में हुई गड़बड़ी के बारे में लगातार स्पष्टीकरण मांगें जा रहे है। जबकि रणविजय का का कहना है कि उन्होंने जवाब 700 पेज का भेजा हुआ है। वहीं मिशन के कर्मचारी बताते है कि जिले में नोयडा की एक ई बैंकिंग का कार्य करने वाले कंपनी साथ भी मिलकर मिशन के अधिकारियों ने गड़बड़ी हुई।
500 रुपये लगाया था जुर्माना
कंपनी का सरकार के साथ जिले के गांव बीघड़ के लिए ट्रायल बेस पर शुरू हुई। इसके बाद कंपनी व सरकार का अनुबंध नहीं हो सका। लेकिन मिशन के अधिकारियों ने इसे पूरे जिले में चला दिया। वो भी मुख्यालय को अंधेर में रखकर। हद तो यह है कि अधिकारियों ने महिलाओं को आदेश दिए थे कि जो समूह से जुड़ी महिला इस कंपनी के साथ आनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं करेंगी। उसे 500 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
पूरे जिले में एक कंपनी को बिना सरकार की मंजूरी लिए चला दिया था
फतेहाबाद में 7 साल से डीपीएम रहे रणविजय सिंह के खिलाफ दर्जनों लोगों ने शिकायत दी है। उनमें से कई इस मिशन से जुड़े रहे है। अब उनकी शिकायत दी हुई है। इसके अलावा विभिन्न संगठन से जुड़े लोगों ने भी आरटीआई लगाकर अनेक शिकायत दी हुई है। अब उनकी जांच हो रही है। ऐसे में उन पर कार्रवाई होना तय है। दरअसल, रणविजय सिंह डीपीएम रहते कई बार विवादों में रहे। यहां तक की कई बार उच्चाधिकारियों के खिलाफ महिलाओं को प्रदर्शन करते हुए आडियो भी वायरल हुई। इतना ही नहीं उन्होंने जिला महिला महासंघ का गठन करके हुए लाखों रुपये का कारोबार किया। बाद में इस संगठन का खाता सरकार ने सील करवा दिया। इसके महासंघ के मार्फत सरकारी टेंडर लेते हुए मास्क व सेनिटाइजर सहित अनेक कार्य हुई। वहीं मनरेगा महासम्मेलन हो या गीता जयंती उसके भी टेंडर हुए। संबंधित अधिकारी इसे टेंडर जारी करते रहे। जबकि उनको भी बता था कि ये महासंघ सरकार की अनुमति लेकर नहीं बनाया हुआ।
कंपनी आनलाइन ट्रांजेक्शन बिना इंटरनेट के करती थी
सरकार ने नोयडा की एक बैंकिंग साफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के साथ ट्रायल बेस पर कार्य शुरू किया। 2017 में इसके लिए गांव बीघड़ का चयन हुआ। कंपनी महिलाओं को एक इलेक्ट्रोनिक यंत्र देती थी। जो बिना इंटरनेट के ई बैकिंग का कार्य करता था। हालांकि सरकार ने इस कंपनी के साथ फिर पूरे जिले का अनुबंध नहीं किया। लेकिन मिशन के अधिकारियों ने इसे पूरे जिले में चला दिया। बकायदा महिलाओं को हिदायत दी थी कि वे इस कंपनी के मार्फत लेनदेन करें। अन्यथा उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगाया जाएगा। जो समूह के कार्यवाही रजिस्ट्रर में भी दर्ज है।
शिकायत को अधिकारियों ने फाड़कर फैंक दिया : शिकायतकर्ता
गांव धारनिया के सुशील पंवार व भट्टूकलां की शेफाली सिहाग ने आरोप लगाया कि उन्होंने आनलाइन बैंकिंग को लेकर कई बार संबंधित अधिकारियों को शिकायत दी, लेकिन उन्होंने किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की। अधिकारियों ने उनकी शिकायत को फाडकर फैंक दिया। अब सरकार पूरे मामले की जांच करवाए तो बड़ा घोटाला उजागर होगा। इसके लिए जरूरी है कि सरकार पूरे प्रकरण को गंभीरता से ले। जो हमने इससे संबंधित आरटीआई मांगी हुई है वो भी उपलब्ध करवाए।
शिकायत आने पर होगी कार्रवाई : बंसल
आनलाइन बैंकिंग को लेकर अभी मेरे पास किसी प्रकार की लिखित में शिकायत नहीं आई है। शिकायत आने के बाद ही इस बाबत कार्रवाई होगी। अन्य मामलों की जांच निदेशालय स्तर पर हो रही है।
- कुलभूषण बंसल, सीईओ, जिला परिषद।
भट्टूकलां की महिला थी एजेंट, आरोप निराधार : हरिओम
जिले में हमारा सरकार के साथ अनुबंध था, उसी के अनुसार हमने कार्य कर रहे है। रही बात भट्टूकलां के महिला के आरोपों की। वो खुद इस कंपनी की कमिशन एजेंट थी। उन्हें इसके लिए नियमानुसार लाभ मिला। इतना ही नहीं वो 2017 से जुड़कर कार्य कर रही है।
- हरिओम, जिला प्रबंधकन, आनलाइन बैकिंग कंपनी।