जेई और ठेकेदार पीड़ित परिवार को दे रहे लालच, बोले-50 हजार रुपये तक दे देंगे, क्वार्टर कर दो खाली
रेलवे कॉलोनी में बीते रविवार को खुले सीवरेज मैनहॉल में गिरने से
संवाद सहयोगी, हिसार : रेलवे कॉलोनी में बीते रविवार को खुले सीवरेज मैनहॉल में गिरने से हुई एक साल के मासूम रोहित की मौत के बाद भी रेलवे अधिकारियों ने कोई सबक नहीं लिया है। अब रेलवे अधिकारी सीवरेज पर ढक्कन लगाने के बजाय पीड़ित परिवार को 50 हजार रुपये का लालच देकर क्वार्टर खाली कराने की बात कह रहे हैं। पीड़ित टोनी ने बताया कि शुक्रवार को रेलवे अधिकारी और ठेकेदार आए थे। इस दौरान उन्होंने क्वार्टर को खाली करने की बात कही थी। उन्होंने हम पर काफी दबाव भी बनाया। यहां तक कि उन्होंने कहा कि यदि क्वार्टर खाली नहीं किया गया तो पुलिस को बुलाकर खाली करवा लेंगे, लेकिन पीड़ित परिवार ने अभी क्वार्टर खाली करने से साफ मना कर दिया।
मृतक रोहित की मां काजल ने बताया कि मासूम बेटे के मरने के बाद घर में अभी तक चुल्हा तक नहीं जला है। इन्हें क्वार्टर खाली कराने की लग रही है। वहीं कुछ देर बाद अधिकारी और ठेकेदार वहां से चले गए। पीड़ित परिवार का कहना है कि बार-बार क्वार्टर खाली कराने की बात कही जा रही है। ऐसे में इस स्थिति में जाएं तो कहा जाएं। अधिकारियों और ठेकेदार को सिर्फ क्वार्टर खाली करने से मतलब है। उन्हें बेटे के मरने से कोई लेना-देना नहीं है, वो तो सिर्फ मां ही बाप जान सकता है।
.. मम्मी बाबू कहा है
वहीं मृतक रोहित की मां काजल का कहना है कि उनकी तीन साल की बेटी राधिका है। आंगन में रोहित दिखाई नहीं देने पर बार-बार राधिका पूछ रही है कि मम्मी बाबू कहा है। बस मां बिलख कर यहीं जवाब दे रही है कि बेटा अब बाबू नहीं रहा। वहीं मासूम रोहित की मौत के बाद पीड़ित परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका है।
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अभी भी नहीं लगे सीवरेज पर ढक्कन, कैसे बच पाएंगे मासूम
वहीं अभी तक रेलवे कॉलोनी में बने सीवरेज पर ढक्कन लगाने का काम शुरू नहीं किया गया है, जबकि रेलवे अधिकारियों ने एक साल के मासूम रोहित की मौत के दो दिन बाद कॉलोनी में खुले सीवरेज पर ढक्कन लगाने की बात कही थी। ऐसे में अभी तक सीवरेज पर ढक्कन न लगने पर अधिकारियों की लापरवाही साफ झलक रही है। अब भी खुले सीवरेज हादसें को न्यौता दे रहे है।
वर्जन
पीड़ित परिवार के पास ठेकेदार गया होगा। मैं वहां नहीं गया। मैं तो किसी ओर काम से दूसरी तरफ मेजरमेंट करने गया था।
- आशुतोष चौधरी, जेई, रेलवे