Move to Jagran APP

राजस्थान में ब्याही हरियाणा की जाट बेटियों को नहीं मिल रहा आरक्षण का लाभ, सांसद ने दोनों सीएम को लिखा पत्र

सांसद धर्मबीर सिंह ने राजस्थान और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। हरियाणा की जाट बेटियों को राजस्थान में आरक्षण न मिलने का मुद्दा उठाया है। हरियाणा के आठ जिलों की हजारों लड़कियों का विवाह राजस्थान में हुआ है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Thu, 29 Jul 2021 07:40 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jul 2021 07:40 PM (IST)
राजस्थान में ब्याही हरियाणा की जाट बेटियों को नहीं मिल रहा आरक्षण का लाभ, सांसद ने दोनों सीएम को लिखा पत्र
राजस्थान में ब्याही बेटियों को दूसरे राज्य का बताकर आरक्षण में लाभ नहीं मिलता।

पवन शर्मा, बाढड़ा (चरखी दादरी)। हरियाणा की जाट वर्ग की बेटियों को राजस्थान सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं में ओबीसी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा। यह मुद्दा अब गर्माता जा रहा है। सांसद धर्मबीर सिंह ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत सहित दोनों राज्यों के सीमावर्ती सांसदों को विशेष पत्र लिखकर इस मामले के समाधान का आग्रह किया है।

loksabha election banner

सांसद धर्मबीर ने बताया कि इससे प्रदेश के आठ जिलों की हजारों महिला जो राजस्थान में विवाहित हैं उनकी प्रतिभा के साथ उपेक्षा बरती जा रही है। इसलिए राजस्थान सरकार को इसमें छूट देनी चाहिए। सांसद धर्मबीर सिंह से पिछले दिनों जयपुर में अपने आरक्षण की मांग को लेकर संचालित धरने पर बैठी महिला आवेदकों ने बताया कि वह हरियाणा में जन्म लेकर राजस्थान में विवाह के बाद स्थायी निवासी हैं। लेकिन जाट वर्ग को ओबीसी में शामिल किए जाने के बाद भी उनको दूसरे राज्य की बताकर आरक्षण श्रेणी लाभ नहीं दिया जाता। उन्हें सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया जाता है। सांसद ने तर्क रखा कि जब राजस्थान की जाट वर्ग की लड़की का हरियाणा में विवाह होते ही वह सभी लाभ लेती है, तो हरियाणा की बेटियों को वंचित क्यों रखा जा रहा है।

हरियाणा की बेटियों का अधिकार छीना जा रहा

सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि राजस्थान सरकार का यह नियम वास्तव में हरियाणा की बेटियों का वाजिब अधिकार छीन रहा है। उन्होंने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, प्रदेश के सीएम मनोहर लाल सहित दोनों राज्यों के सिरसा, हिसार, गुरुग्राम, सीकर, झुंझनु, अलवर इत्यादि लोकसभा क्षेत्र के सांसदों को भी पत्र लिखकर इस समस्या का समाधान करते हुए सरकारी व गैर सरकारी विभागों में आरक्षण का लाभ देने की मांग की है।

दक्षिणी हरियाणा के वैवाहिक संबंध हैं अधिक

हरियाणा प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्र की जीवनशैली ही राजस्थानी नहीं बल्कि उनका वैवाहिक संबंध भी राजस्थान से ज्यादा है। प्रदेश के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, दादरी, नारनौल, रेवाड़ी, गुरुग्राम जैसे आठ जिलों के प्रत्येक परिवार का पड़ोस के राज्य राजस्थान के चुरु, सीकर, झुंझनु, अलवर तक रिश्तेदारी है। इन जिलों में ज्यादा जाट बिरादरी की बहुतायत है। हरियाणा की लड़कियां विवाह के बाद राजस्थान में काफी महंगी शिक्षा प्राप्त कर जेबीटी, एसटीसी, एएनएम, बीएड सहित अनेक रोजगारपरक कोर्स करती हैं लेकिन बाद में वहां की लड़कियों को ओबीसी का लाभ मिलने व हरियाणा में जन्मी आवेदकों को सामान्य श्रेणी में आने से मेरिट में आने के बावजूद रोजगार पाने में असफल रह जाती हैं। जिससे इन्होंने जयपुर में बेमियादी आंदोलन शुरू कर इसे नारी जाति के लिए काला कानून बताते हुए खत्म कर उनको ओबीसी कैटेगरी में लेने की मांग की।

महिला जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं ली सुध

एक तरफ तो प्रदेश सरकार ने पंचायतीराज संस्थाओं में महिला वर्ग को 50 फीसद पद आरक्षित कर नया कीर्तिमान रचने का काम किया है लेकिन इसी प्रदेश के आठ जिलों की जो बेटियां राजस्थान में ब्याही गई उनके हितों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जो कि महिला अधिकारों की उपेक्षा है। यह मुद्दा अकेले हरियाणा के नहीं बल्कि राजस्थान के सांसद, मंत्रियों, विधायकों के लिए भी असमंजस कारण बना रहा है। प्रदेश के इन जिलों से जहां मौजूदा समय में महिला सांसद सुनीता दुग्गल, दिग्गज कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी, विधायक नैना चौटाला, पूर्व सांसद श्रुति चौधरी, स्टील किंग ओमप्रकाश जिंदल की पत्नी सावित्री जिंदल जैसी महान हस्तियां हरियाणा की तरफ से लोकसभा व प्रदेश सरकारों में भागीदारी कर चुकी हैं। लेकिन हरियाणा की लड़कियों की राजस्थान में शादी के बाद से ही ओबीसी में न शामिल करने पर अब तक कोई आवाज उठाने की बजाए एक्ट को ही सर्वोपरी मान चुकी हैं।

हरियाणा की बेटियों को राजस्थान में निराशा

राजस्थान सरकार द्वारा जब भी कोई भर्ती का विज्ञापन जारी होता है तो महिला आवेदक रोजगार पाने के लिए आरक्षण प्रक्रिया में ढिलाई देने के लिए सांसद, मंत्रियों, विधायकों व उपायुक्तों के कार्यालयों में पहुंच कर मान मनोबल शुरु कर देती हैं। इससे उनकी लिखित परीक्षा की तैयारी से ज्यादा आरक्षण का दबाव बना रहता है। सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि प्रदेश की हजारों महिलाओं के साथ लंबे समय से उपेक्षा बरती जा रही है। इसलिए सीएम मनोहर लाल को राजस्थान सरकार से विशेष संवाद करना चाहिए तथा सांसदों को भी इस आवाज को मजबूती देनी चाहिए।

हिसार की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.