Move to Jagran APP

50 साल पहले कही बात हुई सच, शुगर, बीपी सहित कई बीमारियां ज्‍यादातर खाने के रसायनों के कारण

1970 में एचएयू के रिटायर्ड प्रोफेसर ने एक सेमिनार में कहा था कि गेहूं और दूसरी फसलों में रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से न केवल धरती की सेहत खराब होगी बल्कि इन रसायनों से मानव सेहत बिगड़ेगी। उस समय उनका मज़ाक उड़ाया गया था मगर बात सच साबित हुई

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 03:44 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 10:10 PM (IST)
एचएयू के रिटायर्ड प्रोफेसर हेमराज शर्मा जहर मुक्‍त खेती के लिए जैविक खाद बनाने में जुटे हुए हैं

हिसार, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्व विद्यालय (एचएयू)  के प्रो. हेमराज शर्मा ने 50 साल साल 1970 में एक सेमिनार में कहा था कि रसायन युक्त खेती लोगों की बीमारी का घर बनेगी। गांव से लेकर शहरों तक लोगों को रक्तचाप मधुमेय, जैसे बीमारियां घेर लेंगी। उस समय लोग इस बात काे हास्यापद बताते थे, लेकिन अब यह बात सच होती दिख रही है।

loksabha election banner

15 वर्ष पूर्व एचएयू से सेवानिवृत हुए प्रो हेमराज शर्मा ने अपनी जानकारी और अनुभव साझा करते हुए बताया कि मैंने जब साल 1970 में पहली बार एक सेमिनार में कहा था कि गेहूं और दूसरी फसलों में रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से न केवल धरती की सेहत खराब होगी बल्कि इन रसायनों के कण खाद्य श्रृंखला में जाकर मानव सेहत को भी बिगाड़ सकते हैं। उस समय सभी ने मेरा मज़ाक उड़ाया था, लेकिन अनुमान आज सही साबित हो रहा है। गांव और शहरों में व्याप्त डायबिटीज, बी पी और अन्य बीमारियां मुख्यतया खाने में रसायनों के कारण आ रही हैं।

डॉ शर्मा का कहना है कि मनुष्यों व पशुओं में बढ़ती बीमारियां अनाजों व सब्जियों में उन रासायनिक खादों के प्रवेश से हुई हैं जो फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किए जा रहे हैं। प्रो. हेमराज ने कहा कि मैंने ऐसे जैविक खादों पर काम करना शुरू किया था जिनमें कोई रासायनिक पदार्थ न हो और जो फसलों की पैदावार भी बेहतर दें। हम इस मकसद में एक हद तक कामयाब रहे हैं। जैविक खाद तैयार करने के लिए फलीदर पौधों की जड़ों में पाई जाने वाली गांठों में मिलने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं की पहचान कर उन्हें उपयुक्त मीडियम में बढ़ाया जाता है। इसकी एक मिलीलीटर मात्रा में लाखों सूक्ष्म जीवाणु हो सकते हैं। पहले इन्हे कोयले या किसी अन्य उपयुक्त पदार्थ पर रख कर सुरक्षित किया जाता था अब सभी जैविक खाद तरल रूप में तैयार किए जा रहे हैं। फसल के बीज को बोने से पहले जैविक खाद के घोल में उपचारित किया जाता है।

जैविक खाद का खर्च कम - किसान

जैविक खाद का उपयोग करने वाले समैण गांव के किसान राजेश कुमार कहते हैं कि उन्होंने धान की फसल के लिए बायो खाद का उपयोग किया था और इसके अच्छे परिणाम मिले। खर्चा भी कम आया क्योंकि उन्होंने महंगे रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया। काजलहेड़ी गांव के तुलसीराम ने 200 मिलीलीटर जैविक खाद 80 रूपए में लैब से खरीदी और सरसों की बढ़िया फसल ली। जैविक खाद का खर्च तो बीड़ी के खर्च से भी कम होता है। पैदावार न केवल ज़्यादा होती है बल्कि ज़हर मुक्त होती है।

यूनिवर्सिटी में चल रही रिसर्च

विश्वविद्यालय कैंपस के एक कोने में स्थित बायो फर्टिलाइजर लैब में लगभग 15 वैज्ञानिक व वर्कर इस विश्वास के साथ विभिन्न फसलों के लिए उपयुक्त जैविक खाद उत्पादन में लगे हैं कि ये खाद एक दिन न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में खेती का स्वरूप बदल सकते हैं।  वर्ष 1979 में सूक्ष्म जीवाणु उत्पादन केंद्र को बायो फर्टिलाइजर लैब का दर्जा मिल गया था। 1985 में लैब को राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद का पुरूस्कार प्राप्त हुआ। अब इस लैब का संचालन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप, पीपीपी योजना के तहत एक निजी कंपनी कर रही है और हेमराज शर्मा इसके अवैतनिक सलाहकार के रूप में इससे जुड़े हुए हैं। अब यहां कई प्रकार के जैविक खादों का उत्पादन हो रहा है और खेतों में इसके उपयोग के उत्साहवर्धक परिणाम भी मिल रहे हैं।  बायो फर्टिलाइजर लैब का काम अब पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तौर पर विश्वविद्यालय के माइक्रो बायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो राजेश गेरा व प्रो बलजीत सहारण की निगरानी में चल रहा है। वे लैब में तैयार किए जा रहे जैविक खाद की क्वालिटी को सत्यापित करते हैं।

निजी कंपनी का तर्क

निजी कंपनी के सीईओ डॉ सतीश कुमार बताते हैं कि उनकी लैब में प्रतिदिन 1200 लीटर जैविक खाद बनाने की क्षमता है पर यह उत्पादन मांग के अनुरूप ही किया जाता है। कंपनी की अन्य अधिकारी डॉ बसंती बरार बताती हैं कि लगभग सात हज़ार किसान अब एफपीओ योजना के तहत लैब से जुड़े हैं और विश्वविद्यालय के कुछ रिसर्च स्कॉलर भी लैब में काम करते हैं।

यह भी पढ़ें: हरियाणा भाजपा प्रभारी तावड़े व दुष्‍यंत चौटाला की लंबी मंत्रणा से सियायत गर्म, नई चर्चाए

यह भी पढ़ें: रहें बाखबर, मुश्किलों भरा है हरियाणा में केएमपी एक्सप्रेस वे का सफर, जानें क्‍या हो सकती हैं दिक्‍कतें

हरियाणा की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.